मार्गशीर्ष माह का कब है गुरु प्रदोष व्रत?जानें तिथि, शिव पूजा मुहूर्त और महत्व
पंचाग में हर माह दो प्रदोष व्रत आते हैं। एक कृष्ण पक्ष में और दूसरा शुक्ल पक्ष में पड़ने वाला प्रदोष व्रत भगवान शंकर को समर्पित होता है। प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव (Lord Shiva) और माता पार्वती (Mata Parvati) की पूजा करने का विधान है मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत 16 दिसंबर, गुरुवार के दिन पड़ रहा है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सप्ताह के सातों दिन के प्रदोष व्रत का अपना विशेष महत्व होता है। प्रदोष व्रत में प्रदोष काल में पूजा का विशेष महत्व होता है। गुरुवार होने के कारण इसे गुरु प्रदोष व्रत कहा जाएगा। आइए जानते हैं दिसंबर में प्रदोष व्रत कब है, मुहूर्त और महत्व के बारे में।
प्रदोष व्रत 2021 तिथि (Pradosh Vrat 2021)
हिंदू पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि का आरंभ 15 दिसंबर दिन बुधवार को देर रात 02 बजकर 01 मिनट से होगी। तिथि का समापन 17 दिसंबर दिन शुक्रवार को प्रात: 04 बजकर 40 मिनट पर होगा। प्रदोष व्रत के लिए पूजा का मुहूर्त 16 दिसंबर दिन गुरुवार को प्राप्त हो रहा है। बता दें कि प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में ही की जाती है।
16 दिसंबर, 2021, गुरुवार
गुरुवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को गुरु प्रदोष व्रत कहा जाता है।
मार्गशीर्ष, शुक्ल त्रयोदशी प्रारम्भ – 02:01 ए एम, दिसम्बर 16
मार्गशीर्ष, शुक्ल त्रयोदशी समाप्त – 04:40 ए एम, दिसम्बर 17
प्रदोष काल- 05:27 पी एम से 08:11 पी एम
प्रदोष व्रत 2021 पूजा मुहूर्त (Pradosh Vrat 2021 Puja Muhurat)
प्रदोष व्रत की पूजा हमेशा प्रदोष काल में की जाती है. प्रदोष काल वो समय होता है, जब दोनों समय मिलते हैं। 16 दिसंबर के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 05 बजकर 27 मिनट से रात 08 बजकर 11 मिनट का है। इस दिन भगवान शिव की विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए. बता दें कि प्रदोष व्रत के लिए पूजा मुहूर्त 02 घंटे 44 मिनट का है।
प्रदोष व्रत पूजा- विधि
सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें।
स्नान करने के बाद साफ- स्वच्छ वस्त्र पहन लें।
घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
अगर संभव है तो व्रत करें।
भगवान भोलेनाथ का गंगा जल से अभिषेक करें।
भगवान भोलेनाथ को पुष्प अर्पित करें।
इस दिन भोलेनाथ के साथ ही माता पार्वती और भगवान गणेश की पूजा भी करें। किसी भी शुभ कार्य से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है।
भगवान शिव को भोग लगाएं। इस बात का ध्यान रखें भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।
भगवान शिव की आरती करें।
इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।
प्रदोष व्रत का महत्व
माना जाता है कि गुरु प्रदोष व्रत रखने से शादीशुदा जीवन में खुशहाली आती है. गुरु प्रदोष व्रत मुख्यत: महिलाएं रखती हैं। वहीं यह भी मान्यता है कि शनि प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति को उत्तम संतान की प्राप्ति होती है। कहते हैं कि भगवान शिव भक्तों की भक्ती से प्रसन्न होकर भक्तों के दुख दूर करते हैं और उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।