कब है बकरीद, जानिए तारीख और इस पर्व का महत्व

बकरीद इस्लाम मजहब का प्रमुख त्योहार है। इस साल बकरीद (Bakrid 2021) 20 या 21 जुलाई यानी मंगलवार/बुधवार को पड़ेगी। हालांकि ईद की वास्तविक तारीख चांद के दीदार पर ही तय होगी। बकरीद को ईद-उल-अजहा, ईद-उल-जुहा, बकरा ईद, के नाम से जाना जाता है। हर साल मीठी ईद के बाद बकरीद का त्योहार मनाया जाता है। यह रमजान माह के खत्म होने के लगभग 70 दिनों के बाद मनाई जाती है। साल में ईद दो बार आती है, एक बार मीठी ईद और इसके बाद बकरीद। मीठी ईद को Eid-ul-Fitr कहा जाता है, जबकि बकरीद को बकरा ईद, Eid-Ul-Zuha या Eid al-Adha कहा जाता है। रमजान के बाद मीठी ईद मनाई जाती है जिसमें सेवइयां खाने का चलन है, जबकि बकरीद पर बकरे की बलि दी जाती है। जानिए इस साल बकरीद किस दिन पड़ेगी
ऐसे मनाई जाती है बकरीद
बकरीद पर कुर्बानी देने की प्रथा है। बकरीद पर मुस्लिम समुदाय के लोग साफ-पाक होकर ईदगाह मे नमाज पढ़ते हैं। नमाज के बाद कुर्बानी दी जाती है। ईद के मौके पर लोग अपने रिश्तेदारों और करीबों लोगों को ईद की मुबारकबाद देते हैं। ईद की नमाज में लोग अपने लोगों की सलामती की दुआ करते हैं। एक-दुसरे से गले मिलकर भाईचारे और शांति का संदेश देते हैं। बाजारों में भी रौनक दिखाई देती है।
बकरीद मनाने का कारण
बकरीद को कुर्बानी का दिन कहा जाता है. इसको लेकर एक कहानी प्रचलित है. इस्लाम मजहब की मान्यता के अनुसार, कहा जाता है अल्लाह ने हजरत इब्राहिम से सपने में उनकी सबसे प्रिय चीज की कुर्बानी मांगी थी। हजरत इब्राहिम अपने बेटे से बहुत प्यार करते थे, लिहाजा उन्होंने अपने बेटे की कुर्बानी देने का फैसला किया। अल्लाह के हुक्म की फरमानी करते हुए हजरत इब्राहिम ने जैसे ही अपने बेटे की कुर्बानी देनी चाही तो अल्लाह ने एक बकरे की कुर्बानी दिलवा दी। कहते हैं तभी से बकरीद का त्योहार मनाया जाने लगा। इसलिए ईद-उल-अजहा यानी बकरीद हजरत इब्राहिम की कुर्बानी की याद में ही मनाया जाता है।
कुर्बानी के हैं ये नियम
बकरीद पर कुर्बानी के लिए भी कुछ नियम हैं। इस दिन बकरे के अलावा ऊंट या भेड़ की भी कुर्बानी दी जा सकती है। उस पशु को कुर्बान नहीं किया जा सकता जिसको कोई शारीरिक बीमारी या भैंगापन हो, जिसके शरीर का कोई हिस्सा टूटा हो। शारीरिक रूप से दुर्बल जानवर की भी कुर्बानी नहीं दी जा सकती, इसीलिए बकरीद से पहले ही जानवर को खिला पिलाकर हष्ट पुष्ट किया जाता है। कम-से-कम जानवर की उम्र एक साल होनी चाहिए।
कुर्बानी के बाद गोश्त के होते हैं तीन हिस्से
बकरीद पर कुर्बानी हमेशा ईद की नमाज अदा करने के बाद ही की जाती है। इस दौरान बलि किए गए बकरे के गोश्त के तीन हिस्से किए जाते हैं। एक हिस्सा खुद के परिवार के लिए। दूसरा हिस्सा सगे संबन्धियों और दोस्तों के लिए और तीसरा हिस्सा जरूरतमंद लोगों के लिए रखा जाता है। तमाम लोग इस मौके पर दान पुण्य भी करते हैं।