Sports News : किक्रेट से जुड़ा अनोखा सच
नई दिल्ली – भले ही हॉकी(Hockey) को भारत के राष्ट्रीय खेल का दर्जा मिला हो, लेकिन आज भी जब इंडिया पाकिस्तान(India Pakistan) के बीच कोई मैच होता है, तो सड़कें सुनसान हो जाती है। आज भी भारत के करोड़ों युवाओं के लिए किक्रेट खिलाड़ी भगवान से कम नजर नहीं आते है, फिर मास्टर बलास्टर सचिन तेंडुलकर(Sachin Tendulkar) को तो किक्रेट का भगवान माना ही जाता है। लेकिन क्या आपको पता है, कि किक्रेट का कोई भी मैच एकतरफा न हो इसके लिए भी नियम बनाए गए है। क्योंकि अगर मैच एकतरफा हो गया तो फिर कोई मैच देखने ही न आएं। इस खेल में जितना महत्व बल्ले(Bat) का ही उतना ही जलवा गेंद का भी होता है। इसलिए खेल के लिए समय समय पर नियम बनाए भी जाते है और उनका बदला भी जाता है। आज एक ऐसे ही नियम के बारे में हम आपको बता रहे है।
गेंदबाज मौसम फायदा न उठा सकें इसलिए बनाया वाईड का नियम
किक्रेट का मैच तो लगभग हम सभी देखते है। लेकिन हमने कभी ये सोचा कि जब सर के ऊपर बॉल जाती है तो अंपायर उसे वाईड गेंद करार देता है, इसकी शुरुआत कब से हुई और क्यों। तो हम आपको दोनों सवालों के जबाव देते है, दरअसल वनडे(Odi) क्रिकेट इतिहास का पहला वर्ल्ड कप(World CUP) 1975 में इंग्लैंड(England) में जब खेला जाने वाला था, उससे आठ दिन पहले आईसीसी(Icc) ने मौसम को देखते हुए एक बड़ा नियम लागू किया। नियम था वाईड गेंद को लेकर, क्योंकि जब पहला वनडे आयोजित होने वाला था जब इंग्लैंड पर कड़ाके की सर्दी पड़ रही थी। और गेंदबाज इस मौसम का फायदा उठाकर कहीं बल्लेबाज को चोटिल न कर दें। इसलिए गेंदबाजों को रोकने के लिए इन नियम को लागू किया गया था।
बल्लेबाजों को बचाने के लिए सर्वसम्मति से लिया फैसला
अंतर्राष्ट्रीय किकेट परिषद ने बल्लेबाजों(Bowler) को बचाने के लिए हर एक ऐसी गेंद जो बल्लेबाज(Batsman) के सर के ऊपर से जाएंगी उसे वाईड(Wide) देने का फैसला लिया, ताकि गेंदबाज ज्यादा शॉर्ट पिच गेंदें न फेंके। क्योंकि इससे पहले शॉर्ट पिच गेंदों को लेकर कोई नियम नहीं था, और बल्लेबाज लगातार चोटिल भी हो रहे थे। इस नियम के बाद गेंदबाजों की मनमानी पर रोक लगी और बल्लेबाजों ने राहत की सांस ली। हालांकि 1975 के बाद से कई बार शॉर्ट पिच गेंदों को लेकर नियम में बदलाव भी हुए है।