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सरकार के नए नियमों के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंचा व्हाट्सएप, कहा- नई नीति से यूजर्स की प्राइवेसी आएगी खतरे में

नई दिल्ली। केन्द्र सरकार (Central government) के नए डिजिटल नियमों (New digital rules) के खिलाफ Whatsapp बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट पहुंच गया है। व्हाट्सएप ने कोर्ट में अपील की है कि नए डिजिटल नियमों पर रोक लगे क्योंकि ये यूजर्स की Privacy के खिलाफ है। कोर्ट में व्हाट्सएप ने कहा है ये कानून गैर-संवैधानिक (Non-constitutional) है क्योंकि यूजर्स की प्राइवेसी इससे खतरे में आती है। क्योंकि नई गाइडलाइन (New guideline) के मुताबिक सोशल मीडिया कंपनियों को उस यूजर्स की पहचान बतानी होगी जिसने सबसे पहले किसी मैसेज को पोस्ट या शेयर किया है।

Whatsapp ने साफतौर पर कहा है कि यदि कुछ भी गलत होता है वह सरकार की शिकायत के बाद अपने नियमों के मुताबिक उस यूजर पर कार्रवाई करेगा। व्हाट्सएप प्लेटफॉर्म एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड (End-to-end encrypted) है, इसलिए कानून का पालन करने के लिए व्हाट्सएप को इस एन्क्रिप्शन को तोड़ना होगा। ऐसे में Whatsapp users की प्राइवेसी खतरे में आ जाएगी। भारत में व्हाट्सएप के करीब 55 करोड़ यूजर्स हैं।

social media और OTT प्लेटफॉर्म के तैयार किए गए नियम पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने फरवरी में कहा था कि यह नाकाफी है। कोर्ट ने अपने एक बयान में कहा कि ओटीटी और सोशल मीडिया के लिए बनाए गए नए नियम फिलहाल बिना दांत और नाखून वाले शेर की तरह हैं, क्योंकि इसमें किसी प्रकार के दंड या जुर्माने का कोई प्रावधान नहीं है। सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता (Solicitor General Tushar Mehta) ने नए नियम पर कोर्ट की टिप्पणी पर सहमति जताई और कहा कि नए नियम OTT प्लेटफॉर्म को आत्मनियंत्रण का मौका देने के मकसद से बनाए गए हैं, लेकिन यह भी तर्क सही है कि बिना जुर्माने और दंड के प्रावधान के नियम का कोई मतलब नहीं है और यह दंतहीन है।





बता दें कि इसी साल फरवरी में सरकार ने सोशल मीडिया और OTT प्लेटफॉर्म के लिए नई गाइडलाइन जारी की थी जिसे लागू करने के लिए इन कंपनियों को 90 दिनों का वक्त दिया था जिसकी डेडलाइन आज यानी 26 मई को खत्म हो गई है। सरकार की नई सोशल मीडिया गाइडलाइंस में साफ लिखा गया है कि देश में सोशल मीडिया कंपनियों को कारोबार की छूट है , लेकिन इस Platform के हो रहे दुरुपयोग को रोकना जरूरी है।

केंद्र सरकार की नई सोशल मीडिया गाइडलाइन के तहत शिकायत के 24 घंटे के भीतर सोशल प्लेटफॉर्म से आपत्तिजनक कंटेंट को हटाना होगा। नई गाइडलाइंस के अनुसार आपत्तिजनक कंटेंट को समयसीमा के अंदर हटाना होगा।  देश में इसके लिए जिम्मेदार अधिकारी (नोडल अधिकारी, रेसिडेंट ग्रीवांस अधिकारी) को नियुक्त करना होगा। किसी भी सूरत में जिम्मेदार अधिकारियों को 15 दिनों के अंदर ओटीटी कंटेंट के खिलाफ मिलने वाली शिकायतों का निपटारा करना होगा। साथ ही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को हर महीने अपनी रिपोर्ट जारी करनी होगी।

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