सियासी तर्जुमा

आखिर क्या करूं मैं? शायद यहीं सोच रहा कांग्रेसी….

वैभव गुप्ता

सियासी तर्जुमा : संजय गांधी (Sanjay Gandhi) परछाई बनकर काम करने वाले प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ (Kamalnath) पर अब राहुल गांधी (Rahul Gandhi) उतना भरोसा नहीं कर रहे है, या फिर कमलनाथ को खुद ही राहुल पर उतना भरोसा नहीं है। यह एक शोध (Research) का विषय है, लेकिन हाईकमान और कमलनाथ के बीच कई बार मुलाकात होने के भी अब तक कोई फैसला न हो पाने के राजनैतिक पंडितों ने सियासी मयाने जरुर निकालने शुरु कर दिए है।

साल 2023 में मध्यप्रदेश में विधानसभा (Assembly election 2023) चुनाव होने है, लेकिन इन चुनावों से पहले कांग्रेस का कार्यकर्ता अपने आप का ठगा हुआ महसूस कर रहा है। जिसका कारण है, कांग्रेस की अंतरिम राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) और उनके बेटे राहुल गांधी में मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) को लेकर निराशा का भाव घर कर गया है। बात साफ है, कि 15 साल के वनवास को खत्म कर मध्यप्रदेश में बनी कांग्रेस सरकार ( congress government) केवल 15 महीने चल पाई। सरकार जाने का कारण ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya sindhiya) को बताया गया लेकिन सरकार गिरने के पीछे सिंधिया के साथ कमलनाथ और दिग्विजय सिंह भी उतने ही जिम्मेदार थे। बल्कि कहां जाए कि तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ और प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ का ध्यान केवल वल्लभ भवन पर था, और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिहं संगठन को संभालने की नाकाम कोशिश कर रहे और कमलनाथ को झूठा भरोसा दिला रहे थे कि कुछ नहीं होगा लेकिनजो हुआ वो फिर सबने देखा।

सरकार जाने के बाद तो राहुल गांधी का जैसे मध्यप्रदेश में कांग्रेस नेताओं पर से जैसे भरोसा ही उठ गया। यहीं कारण है कि कई बार कार्यकर्ताओं की मांग के बाद भी सोनिया – राहुल ये फैसला नहीं ले पाएं कि, मध्यप्रदेश में करना क्या है। युवाओं की बात करने वाली कांग्रेस को मध्यप्रदेश में युवा नेतृव्य पर भरोसा नहीं है, या फिर कहें कि कमलनाथ और दिग्विजय सिंह चाहते है, अगर नेतृव्य बदला जाएं तो उसका फायदा उनके बेटों को ही मिलें। यहीं कारण कि एक बार फिर कांग्रेस पर हमेशा की तरह परिवारवाद की राजनीति करने के आरोप लग रहे है। हाल ही में सोनिया गांधी से प्रदेश अध्यक्ष कमनलाथ ने मुलाकात की। जिसके बाद खबर चली कि अब कमलनाथ पार्टी के अंतरिम कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जा सकते है, लेकिन कमनलाथ सोनिया के मुलाकात के कई दिन बीतने के बाद भी अब तक कांग्रेस हाईकमान ने कोई फैसला नहीं लिया है, या फिर माना जाए तो कोई फैसला लेना ही नहीं था या फिर सरकार जाने के बाद राहुल का कमलनाथ पर उतना भरोसा रहा नहीं या कमलनाथ का ही राहुल पर भरोसा उतना नहीं है ?





ऐसे में एक बड़ा सवाल उभर कर फिर सामने आ रहा है, कि मध्यप्रदेश में जल्द ही नगरीय निकाय के चुनाव होने है, लेकिन पार्टी के कार्यकर्ताओं को ये नहीं पता है कि चुनाव के वक्त उनका नेता कौन रहेगा, क्योंकि कमलनाथ कहते है कि वे मध्यप्रदेश को नहीं छोड़ेंगे….. तो फिर उनके राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनने की खबरों को वायरल कराने के लिए जिम्मेदार कौन है। कमनलाथ कहते है कि, ये खबरें मीडिया के देन होती है। कमलनाथ साहब मीडिया पर आरोप लगाना बहुत आसान होता है, लेकिन अब तो आपकी ही पार्टी के नेता – कार्यकर्ता दबी जुबान में कहते है कि साहब को दिल्ली छिंदवाडा से टाइम मिलें तो वे जिस राज्य के अध्यक्ष है वहां कांग्रेस की स्थिति के बारे में उनसे बात की जाएं।

मध्यप्रदेश में कांग्रेस की गिरती स्थिति का जिम्मेदार कौन है, अगर ये सवाल किसी भी खांटी कांग्रेसी से पूछा जाएगा तो वो यहीं कहेगा कि उसी की पार्टी के वरिष्ठ नेता कांग्रेस को गर्त की स्थिति में पहुंचाने के लिए जिम्मेदार है। साल 2018 में जब मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनीं थी तब भी जनता ने कांग्रेस को नहीं चुना था केवल कुछ सीटें बीजेपी से ज्यादा थी और बाहरी समर्थन लेकर मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सत्ता का वनवास खत्म हुआ था। खैर हम बात उन कांग्रेस के निराश कार्यकर्ताओं की कर रहे है क्योंकि देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस की हालत केवल मध्यप्रदेश में ऐसी नहीं है देश के अन्य राज्य भी गवाही दे रहे है कि समय पर फैसले न लेने की सोनिया गांधी और राहुल गांधी की कमजोरी के चलते ऐसी हालत पार्टी की हो गई है। ये सवाल मीडिया का उठाया हुआ नहीं है ये सवाल तो कांग्रेस के उन वरिष्ठ नेताओं ने खड़ा किया था, जिन्होंने अपनी मेहनत के दम पर कांग्रेस को मजबूत किया था। लेकिन अब कांग्रेस ने अपने कांग्रेसियों को साइड लगा दिया है। यहीं कारण है कि मध्यप्रदेश का कांग्रेस कार्यकर्ता अब सार्वजनिक रुप से अपने नेताओं के खिलाफ कुछ नहीं कहता है, कि लेकिन हकीकत तो मैं अब कांग्रेस का कार्यकर्ता डरने लगा क्योंकि कुछ बोले तो पार्टी से बाहर हो जाओगे और नहीं बोलेगे तो राहुल गांधी कहेंगे डरपोक हो।

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