राजपथ था गुलामी का प्रतीक, भुलाया गया महान नायक को भी : कर्तव्य पथ से मोदी का कांग्रेस पर वार
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को दिल्ली को दो बड़ी सौगातें दी। पहले उन्होंने सेंट्रल विस्टा एवेन्यू में इंडिया गेट पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस का प्रतिमा का अनावरण किया। फिर कर्तव्य पथ का उद्घाटन किया। बता दें कि करीब 3.20 किमी लंबा राजपथ नए रंग-रूप और नाम के साथ अब कर्तव्य पथ के रूप में जाना जाएगा। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम ने कहा कि पीएम मोदी ने कहा कि मैं देश के हर एक नागरिक का आह्वान करता हूं कि आइये, इस नवनिर्मित कर्तव्य पथ को देखिए। इस निर्माण में आपको भविष्य का भारत नजर आएगा। इस दौरान पीएम ने कांग्रेस पर भी बड़ा हमला बोला।
कांग्रेस का नाम लिए बगैर पीएम मोदी ने कहा कि नेताजी सुभाष भारत की विरासत पर गर्व करते थे और भारत को जल्द से जल्द आधुनिक भी बनाना चाहते थे। अगर आजादी के बाद अगर हमारा भारत सुभाष बाबू की राह पर चला होता तो देश इतनी ऊंचाईयों पर होता। लेकिन दुर्भाग्य से आजादी के बाद हमारे इस महान नायक को भुला दिया। उनके विचारों को उनके प्रतीक तक को नजर अंदाज कर दिया गया। लेकिन हम सभी का सौभाग्य है कि हम आज का यह दिन देख रहे हैं। इसके साक्षी बन रहे हैं। नेताजी कहते थे भारत वो देश नहीं जो अपना इतिहास भुला दे। भारत का गौरवमयी इतिहास उसके खून में है, परंपरा में है।
कर्तव्य पथ का उद्घाटन करने के बाद पीएम मोदी ने कहा कि सभी देशवासी सभी इस वक्त इस कार्यक्रम से जुड़े हुए हैं। मैं इस ऐतिहासिक क्षण के साक्षी बन रहे देशवासियों का स्वागत करता हूं। आजादी के अमृत महोत्सव में आज एक नई प्रेरणा मिली है। नई ऊर्जा मिली है। आज हम गुजरे हुए कल को छोड़कर आने वाले कल की तस्वीर में नए रंग भर रहे हैं। आज जो हर तरफ जो नई आभा दिख रही है वो नए भारत के आत्मविश्वास की आभा है।
देश श्रम शक्ति पर कर रहा गर्व
पीएम ने कहा कि आज के इस अवसर पर, मैं अपने उन श्रमिक साथियों का विशेष आभार व्यक्त करना चाहता हूं, जिन्होंने कर्तव्यपथ को केवल बनाया ही नहीं है, बल्कि अपने श्रम की पराकाष्ठा से देश को कर्तव्य पथ दिखाया भी है। नए भारत में आज श्रम और श्रमजीवियों के सम्मान की एक संस्कृति बन गई है, एक परंपरा पुनर्जीवित हो रही है। जब नीतियों में संवेदनशीलता आती है, तो निर्णय भी उतने ही संवेदनशील होते चले जाते हैं, इसलिए देश अब अपनी श्रम शक्ति पर गर्व कर रहा है।
राजपथ की भावना गुलामी का प्रतीक
कर्तव्य पथ केवल ईंट-पत्थरों का रास्ता भर नहीं है। ये भारत के लोकतांत्रिक अतीत और सर्वकालिक आदर्शों का जीवंत मार्ग है। अगर पथ ही राजपथ हो, तो यात्रा लोकमुखी कैसे होगी? राजपथ ब्रिटिश राज के लिए था, जिनके लिए भारत के लोग गुलाम थे। राजपथ की भावना भी गुलामी का प्रतीक थी, उसकी संरचना भी गुलामी का प्रतीक थी। आज इसका आर्किटेक्चर भी बदला है, और इसकी आत्मा भी बदली है।
यह ना तो शुरूआत और ना ही अंत
पीएम मोदी ने कहा कि जिन द्वीपों के नाम अंग्रेजी शासकों के नाम पर थे हमने उनके नाम बदलकर भारत की पहचान दी। हमने पंच प्राणों का विजन रखा है। इन पंच प्राणों में कर्तव्यों की प्रेरणा है। इसमें गुलामी की मानसिकता की त्याग का आह्वान है। अपनी विरासत पर गर्व की अनुभूति है। आज भारत के संकल्प अपने हैं, लक्ष्य अपने हैं। आज हमारे पथ अपने हैं और प्रतीक अपने हैं। आज अगर राजपथ का अस्तित्व समाप्त होकर कर्तव्य पथ बना है। आज अगर जॉर्ज पंचम के निशान को हटाकर नेताजी की मूर्ति लगी है तो यह गुलामी की मानसिकता की त्याग का पहला उदाहरण नहीं है। यह ना तो शुरूात है और ना ही अंत है।
इन्फ्रास्ट्रक्चर का हो रहा तेजी से विस्तार
पीएम मोदी ने कहा कि आज भारत सोशल इन्फ्रास्र्ट्क्चर, डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर के साथ कल्चरल इन्फ्रास्ट्रक्चर पर काम कर रहा है। आज मेडिकल कॉलेज की संख्या में दोगुने की वृद्धि हुई है। आज देश में नए आईआईटी बन रहे हैं। बीते दीन सालों में साढ़े छह करोड़ से ज्यादा ग्रामीण घरों को पाइप से पानी की सप्लाई सुनिश्चित की गई है। भारत का यह सोशल इन्फ्रास्ट्रक्चर सामाजिक न्याय के लिए काम कर रहा है।