7 मई को वरुथिनी एकादशी व्रत, यहां जानें तिथि, शुभ मुहूर्त और व्रत विधि
एकादशी 07 मई 2021 को है। वैशाख महीने(Vaishakh month) में आने वाली एकादशी वरुथिनी एकादशी (Varuthini Ekadashi) के नाम से जानी जाती है। सनातन धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व होता है। इसे करना बेहद शुभ और लाभदायक माना जाता है। इस व्रत में भगवान विष्णु की पूजा आराधना की जाती है। शास्त्रों(scriptures) में एकादशी व्रत के कुछ विशेष नियम बताए गए हैं। कहा जाता है कि इन नियमों का पालन करने से भगवान विष्णु(Lord vishnu) शुभ फल देते हैं। वरूथिनी एकादशी के व्रत से लाभ मिलता है तथा पाप की हानि होती है। यह सबको भोग और मोक्ष प्रदान करने वाली है। आइए जानते हैं इस व्रत का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।
वरूथिनी एकादशी शुभ मुहूर्त (Varuthini Ekadashi 2021 Shubh Muhurat)
वरूथिनी एकादशी शुक्रवार, मई 7, 2021 को
एकादशी तिथि प्रारम्भ – मई 06, 2021 को 02:10 पी एम बजे
एकादशी तिथि समाप्त – मई 07, 2021 को 03:32 पी एम बजे
पारण (व्रत तोड़ने का) समय – 05:35 ए एम से 08:16 ए एम
वरुथिनी एकादशी महत्व (Varuthini Ekadashi Importance)
वरुथिनी एकादशी का अपना एक विशेष महत्व होता है। इस दिन व्यक्ति भगवान विष्णु की पूजा आराधना करते है। पूजा संपन्न होने के बाद अपने यथाशक्ति के अनुसार व्रती दान पुण्य करते है। ऐसी मान्यता है, कि इस दिन दान पुण्य करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। व्यक्ति द्वारा किए गए सभी पापों का शीघ्र ही अंत हो जाता है। ऐसा कहा जाता है, कि जिन लोगों को यमराज से डर लगता है, उन्हें वरुथिनी एकादशी का व्रत अवश्य करना चाहिए। इस व्रत को करने से उनके सारे डर दूर भाग जाते है। इस दिन व्रती भूखे रहकर भगवान विष्णु की पूजा आराधना करते है। इस व्रत को जो भी व्यक्ति करता है उसे , क्रोध नहीं करना चाहिए और झूठ तो कतई नहीं बोलना चाहिए. इस व्रत में तेल से बना भोजन वर्जित होता है।
वरुथिनी एकादशी व्रत विधि (Varuthini Ekadashi Vrat Vidhi)
शास्त्रों के अनुसार वरुथिनी एकादशी करने वाले व्यक्ति को शहद, तेल और उड़द की दाल(Honey, Oil and Urad Dal) जैसे चीजों का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए। वरुथिनी एकादशी के दिन रात्रि जागरण(Nightawakening)का अपना एक विशेष महत्व होता है। इस दिन व्रती रात में भगवान मधुसूदन की पूजा आराधना करते है। वरुथिनी एकादशी को करने से अच्छे फल की प्राप्ति होती है।
वरुथिनी एकादशी के दिन जो व्यक्ति विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा आराधना करता है, भगवान विष्णु दसों दिशाओं से उस व्यक्ति की रक्षा करते है ।