09 सितंबर को मनाई जाएगी वराह जयंती,विष्णु सहस्त्रनाम पाठ होगा फलदायक
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को भगवान वराह की जयंती मनाई जाती है। इस बार हरतालिका तीज के साथ भगवान श्री वराह जयंती 9 सितंबर गुरुवार को मनाई जाएगी। श्रद्धालुओं को भगवान वराह या विष्णु भगवान का पूजन कर व्रत व उपवास के साथ विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना चाहिए। भगवान विष्णु के इस अवतार ने पृथ्वी को अथाह जल से बाहर निकाला था और दैत्यों के राजा हिरण्याक्ष का वध किया था। भगवान विष्णु के इस स्वरूप को उद्धारक देवता के रूप में जाना जाता है। वराह जयंती के दिन भगवान विष्णु के आधे सुअर और आधे मनुष्य रूपी अवतार की पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और उसे सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।
ये है इस अवतार से जुड़ी कथा
पुरातन समय में दैत्य हिरण्याक्ष ने जब पृथ्वी को ले जाकर समुद्र में छिपा दिया, तब ब्रह्मा की नाक से भगवान विष्णु वराह रूप में प्रकट हुए। भगवान विष्णु के इस रूप को देखकर सभी देवताओं व ऋषि-मुनियों ने उनकी स्तुति की। सबके आग्रह पर भगवान वराह ने पृथ्वी को ढूंढना प्रारंभ किया। अपनी थूथनी की सहायता से उन्होंने पृथ्वी का पता लगा लिया और समुद्र के अंदर जाकर अपने दांतों पर रखकर वे पृथ्वी को बाहर ले आए। जब हिरण्याक्ष दैत्य ने यह देखा तो उसने भगवान विष्णु के वराह रूप को युद्ध के लिए ललकारा। दोनों में भीषण युद्ध हुआ। अंत में भगवान वराह ने हिरण्याक्ष का वध कर दिया। इसके बाद भगवान वराह ने अपने खुरों से जल को स्तंभित कर उस पर पृथ्वी को स्थापित कर दिया। इसके पश्चात भगवान वराह अंतर्धान हो गए।
वराह भगवान की पूजा विधि
– वराह जयंती (Varaha Jayanti 2021) का पावन पर्व दक्षिण भारत में विशेष रूप से मनाया जाता है।
– इस दिन भगवान विष्णु के साधक प्रात:काल उठकर स्नान-ध्यान के बाद वराह अवतार की विधि-विधान से पूजा, जप एवं कीर्तन करते हैं।
– इस दिन भगवान वराह के मंत्र का जप मूंगे अथवा लाल चंदन की माला से जपने का विधान है।
– ऐसा करने पर भगवान वराह का शीघ्र ही आशीर्वाद प्राप्त होता है और भूमि-भवन से जुड़े सुखों की प्राप्ति होती है।