17 सितंबर को मनाई जाएगी वामन जयंती, जानें पूजन विधि और व्रत कथा
भादो महीने के शुक्लपक्ष की द्वादशी के दिन वामन जयंती मनाई जाती है। इस बार यह तिथि 17 सितंबर यानी कि शुक्रवार को सुबह 8:07 से शुरू होगी।इसके बाद 18 सितंबर 2021 दिन शनिवार को सुबह 6:54 पर इस तिथि का समापन होगा। वामन जयन्ती भगवान विष्णु के वामन रूप में अवतरण दिवस के उपलक्ष्य में मनायी जाती है। मान्यता है कि इसी तिथि को श्रवण नक्षत्र के अभिजीत मुहूर्त में श्रीहरि ने वामन अवतार धारण किया था इसलिए इस दिन वामन जयंती मनाई जाती है। भागवत पुराण के अनुसार, वामन भगवान विष्णु के दशावतार में से पाँचवे अवतार थे व त्रेता युग में पहले अवतार थे। इस दिन भगवान विष्णु की विधिवत् पूजा करने और कथा सुनने से उनकी अपार कृपा मिलती है। तो आइए जानते हैं क्या है इस व्रत की पूजन विधि और व्रत कथा?
वामन द्वादशी तिथि
वामन जयन्ती शुक्रवार, सितम्बर 17, 2021 को
द्वादशी तिथि प्रारम्भ – सितम्बर 17, 2021 को 08:07 AM
द्वादशी तिथि समाप्त – सितम्बर 18, 2021 को 06:54 AM
श्रवण नक्षत्र प्रारम्भ – सितम्बर 17, 2021 को 04:09 AM
श्रवण नक्षत्र समाप्त – सितम्बर 18, 2021 को 03:36 AM
वामन जयंती व्रत पूजन विधि
वामन जयंती के दिन पूजा के नित्यकर्मों से निवृत्त होकर भगवान श्रीवामन का पंचोपचार विधि एवं षोडषोपचार से पूजन करें। इसके बाद भगवान वामन की मूर्ति के सामने 52 पेड़े तथा 52 दक्षिणा रखकर पूजन करें। इसके बाद भगवान वामन को भोग लगाकर ब्राह्मण को दही-चावल चीनी और दक्षिणा दान करके व्रत का पारण करें।
वामन अवतार की मिलती है ऐसी कथा
भागवत कथा के अनुसार विष्णु ने इन्द्र का देवलोक में अधिकार पुनः स्थापित करने के लिए यह अवतार लिया। देवलोक असुरराज दैत्य बली ने हड़प लिया था। बली विरोचन के पुत्र तथा प्रह्लाद के पौत्र थे और एक दयालु असुर राजा के रूप में जाने जाते थे। यह भी कहा जाता है कि अपनी तपस्या तथा ताकत के माध्यम से बली ने त्रिलोक पर आधिपत्य हासिल कर लिया था। वामन, एक बौने ब्राह्मण के वेष में बली के पास गये और उनसे अपने रहने के लिए तीन कदम के बराबर भूमि देने का आग्रह किया। उनके हाथ में एक लकड़ी का छाता था। गुरु शुक्राचार्य के चेताने के बावजूद बली ने वामन को वचन दे डाला।
वामन द्वादशी का महत्व
हिन्दू मान्यताओं में एकादशी का बेहद महत्व है, क्योंकि हर एक एकादशी एक खास व्रत से जुड़ी है। इस दिन लोग पूर्ण विधि के अनुसार व्रत रखते हैं और व्रत से जुड़े देवी-देवता की पूजा करते हैं। हर एक एकादशी में विशेष देव की पूजा करने का एक खास फल भी प्राप्त होता है। ऐसी मान्यता है कि यदि जिस रूप में व्रत रखने एवं पूजा की विधि बताई गई है, ठीक उसी प्रकार से करो तो भगवान जरूर प्रसन्न होते हैं। इसलिए लोग एकादशी का व्रत जरूर रखते हैं, कुछ लोग तो सभी 24 एकादशियों का व्रत रखते हैं। लेकिन कुछ लोग अपनी मनोकामना के अनुसार ही किसी विशेष एकादशी का व्रत रखते हैं।