धर्म

कल है मासिक शिवरात्रि,पूजा करने से अविवाहित कन्याओं को मिलेगा मनचाहा वर

जून (June) का दूसरा सप्ताह आज से शुरू हो गया है। हिन्दू पंचांग (Hindu calendar) के अनुसार यह सप्ताह धार्मिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है। आज पहले दिन सोम प्रदोष व्रत है। इसके अलावा मासिक शिवरात्रि, रोहिणी व्रत, वट सावित्री व्रत, अमावस्या, शनि जयंती, सूर्य ग्रहण, महाराणा प्रताप जयंती, रंभा तीज आदि आने वाली है। हिंदू धर्म (Hindu Religion) में मासिक शिवरात्रि (Masik Shivratri) का विशेष महत्व है। हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन भगवान शिव (Lord Shiva) की आराधना कर महावरदान प्राप्त किया जा सकता है। इस माह मासिक शिवरात्रि 08 जून, मंगलवार को है।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन आधी रात को शिवलिंग (Shivling) के रूप में भगवान उत्पन्न हुए थे। शिवलिंग के रूर में प्रकट होने के बाद सबसे पहले उनकी पूजा ब्रह्मा जी और विष्णु जी ने की थी। हिंदू धर्म में मासिक शिवरात्रि (Masik Shivratri) का विशेष महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक महीने में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को शिवरात्रि मनाई जाती है। मासिक शिवरात्रि, शिव और शक्ति के संगम का एक पर्व है। आइए जानते हैं व्रत का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि…

मासिक शिवरात्रि की तिथि और शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, हिंदी कैलेंडर के ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि का शुभारंभ 8 जून को 11 बजकर 24 मिनट से होगा. यह तिथि 9 जून दिन बुधवार को दोपहर 1 बजकर 57 मिनट तक रहेगी। इस दिन भगवान शिव की पूजा के लिए शुभ समय 8 जून को रात 12 बजे से लेकर 12 बजकर 40 मिनट तक ही है। शिव भक्तों को चाहिए कि इस 40 मिनट के अंदर भोलेनाथ की पूजा कर लें।

मासिक शिवरात्रि व्रत पूजा विधि
मासिक शिवरात्रि पर भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिएसुबह जल्दी उठकर नित्यकर्म और स्नान के बाद स्वच्छ कपड़े धारण करें। पूजाघर की साफ सफाई करें. शिवलिंग का रुद्राभिषेक करें। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, रुद्राभिषेक से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। रुद्राभिषेक में शिवलिंग पर गाय का दूध, बेलपत्र, धतूरा और श्रीफल आदि अर्पित करें। भगवान शिव पर धूप, अगरबत्ती, दीप, फल और फूल अर्पित करें। ये भगवान शिव की प्रिय वस्तुएं हैं। पूजा के बाद शिव पुराण या शिव चालीसा का पाठ करें।

मासिक शिवरात्रि का महत्त्व
पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक़, शिवरात्रि के दिन माता पार्वती और भगवान शिव का विवाह हुआ था। तभी से इस तिथि को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान शिव ने साकार रूप धारण किया था। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना से भक्त की मनोकामनाएं पूर्ण होती है। उनके दुःख मिट जाते हैं। अविवाहित कन्याओं को मनचाहा वर मिलता है। मासिक शिवरात्रि का व्रत करने से दंपत्तियों का जीवन सुखमय और आनंदमय होता है और जीवन में आने वाली सभी प्रकार की बाधाएं स्वत: ही समाप्त हो जाती हैं।

 

 

 

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