महिला के नंबर से अनोखी ठगी,पुलिस के फोन से खुला राज

ऑनलाइन फ्रॉड के लगातार मामले सामने आते रहे हैं । टेक कंपनी माइक्रोसॉफ्ट की हालिया रिपोर्ट से ये खुलासा हुआ है पूरी दुनिया में ऑनलाइन फ्रॉड के शिकार सबसे ज्यादा भारतीय होते हैं। ऐसे में ही मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh News) के इंदौर में अनोखी और बड़ी ठगी का मामला सामने आया है यहां एक महिला एंड्रॉयड फोन का इस्तेमाल ही नहीं कर रही थी, लेकिन इसके बावजूद उसके वॉट्सएप से कई लोगों के साथ ठगी हो गई। महिला के नंबर से मुंबई में लोन देने वाली कंपनी वाट्सएप चला रही थी। महिला को इस बात की जानकारी भी नहीं थी। महिला को भी यह बात तब पता चली जब उससे बाहर की पुलिस ने सम्पर्क किया। फिलहाल पुलिस मामले की जांच में जुटी है।
ये है पूरा मामला
दरअसल कंपनी लोगों को लोन दिलाने के नाम पर रकम ऐंठती थी। वह लोगों से वाट्सएप के द्वारा बातचीत करते थे और लोन पास कराने के लिए उनसे पैसे लेते थे। जब पैसे देने के बावजूद लोगों के लोन पास नहीं हुए तो उन्होंने वाट्सएप नंबर पर कॉल किया तो नंबर इंदौर की रहने वाली महिला का निकला। खास बात ये है कि महिला के पास कीपैड वाला मोबाइल है और उसने कभी वाट्सएप डाउनलोड नहीं किया था।
धोखाधड़ी का पता चलने पर लोगों ने पुलिस में इसकी शिकायत की। जिसके बाद पुलिस ने इंदौर की महिला को मुंबई तलब भी किया। हालांकि जांच में चौंकाने वाला खुलासा हुआ और पता चला कि महिला के नंबर से वाट्सएप चलाकर अन्य लोग धोखाधड़ी कर रहे थे। महिला ने भी पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है कि उसका नंबर लोन दिलाने वाली कंपनी के कस्टमर केयर नंबर के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा था। फिलहाल पुलिस मामले की जांच कर रही है कि महिला के नंबर पर लोन देने वाली कंपनी वाट्सएप कैसे इस्तेमाल कर रही थी? क्या इसके लिए पीड़ित महिला के फोन को हैक किया गया या फिर किसी अन्य तरीके से यह धोखाधड़ी की जा रही थी!
इन बातों रखें ध्यान
किसी अंजान व्यक्ति को मोबाइल इस्तेमाल करने के लिए ना दें। साथ ही किसी अंजान व्यक्ति के साथ ओटीपी शेयर ना करें। जिन नंबर्स का आप इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं, उन पर भी चेक करते रहें कि वाट्सएप तो डाउनलोड नहीं बता रहा है।
ऐसे मामलों में क्या है कानून?
इस तरह के मामलों की रोकथाम के लिए क्या कोई कानून है? इस पर साइबर सुरक्षा और साइबर कानून विशेषज्ञ का कहना है कि Information technology Act , 2000 की धारा 66 सी में इसका प्रावधान किया गया है। जिसमें बताया गया है कि धोखाधड़ी या बेईमानी से किसी व्यक्ति के हस्ताक्षर का इस्तेमाल करना, पासवर्ड या विशिष्ठ पहचान का इस्तेमाल करने पर सजा हो सकती है। इस कानून के तहत दोषी पाए गए व्यक्ति को 3 साल तक की सजा और एक लाख रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता ।