ताज़ा ख़बर
मंत्री बने चाचा तो भतीजे ने ‘विश्वासघाती’ कहकर दिया ‘तोहफा’
समस्तीपुर। कह सकते हैं कि चाचा के सियासी प्रमोशन और अपने अप्रत्याशित डिमोशन से व्यथित भतीजे ने अपने चाचा को ‘विश्वासघाती’ कहकर उन्हें मंत्री बनाने का तोहफा दिया है. मामला बिहार का है ।
बिहार में दिवंगत रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा-चिराग गुट) (LJP-Chirag fraction of Lok janshakti Party) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान (Chirag Paswan) ने अपने चाचा पशुपति कुमार पारस (Pashupati Kumar Paras) पर मंत्री बनने की महात्वाकांक्षा में परिवार और पार्टी के साथ विश्वासघात करने का आरोप लगाते हुए आज कहा कि देश की जनता उन्हें कभी माफ नहीं करेगी।
आशीर्वाद यात्रा पर निकले चिराग पासवान ने गुरुवार को समस्तीपुर (Samastipur) में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि क्षणिक लाभ के लिए चाचा ने न केवल पार्टी को तोड़ा बल्कि मेरे पिता एवं लोजपा के संस्थापक स्व.रामविलास पासवान (Ramvilas Paswan) की पीठ मे भी खंजर घोंपा है। उन्होंने कहा कि उनकी प्राथमिकता पार्टी के जनाधार को मजबूत करना है और उसी का कड़ी आशीर्वाद यात्रा है।
पासवान ने दावा किया कि जनता दल यूनाइटेड (जदयू) में जल्द ही बड़ी टूट होगी। नीतीश सरकार की उलटी गिनती शुरू हो गई है और बिहार में मध्यावधि चुनाव होना तय है। उन्होंने कहा कि जदयू के कई विधायक उनके संपर्क में हैं।
गौरतलब है कि रामविलास पासवान के निधन के बाद चिराग ने पार्टी की जिम्मेदारी संभाली थी । लेकिन इसी बीच चाचा पशुपतिनाथ के एक दांव से चिराग लोकसभा में अपनी पार्टी के संसदीय दल के नेता नहीं रहे थे । इस विभाजन में बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार की प्रमुख भूमिका बताया जाती है । पशुपतिनाथ के उस दांव के बाद से ही यह तय माना जा रहा था कि उन्हें केंद्र में मंत्री बना दिया जाएगा।
पासवान ने दावा किया कि जनता दल यूनाइटेड (जदयू) में जल्द ही बड़ी टूट होगी। नीतीश सरकार की उलटी गिनती शुरू हो गई है और बिहार में मध्यावधि चुनाव होना तय है। उन्होंने कहा कि जदयू के कई विधायक उनके संपर्क में हैं।
गौरतलब है कि रामविलास पासवान के निधन के बाद चिराग ने पार्टी की जिम्मेदारी संभाली थी । लेकिन इसी बीच चाचा पशुपतिनाथ के एक दांव से चिराग लोकसभा में अपनी पार्टी के संसदीय दल के नेता नहीं रहे थे । इस विभाजन में बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार की प्रमुख भूमिका बताया जाती है । पशुपतिनाथ के उस दांव के बाद से ही यह तय माना जा रहा था कि उन्हें केंद्र में मंत्री बना दिया जाएगा।