दिल्ली से आयी विश्वरंग पत्रिका की उपसंपादक सुश्री राकी गर्ग ने माँ', 'दरवाजे, 'मेट्रो में महिलाओं के लिए डिब्बा कविता का पाठ किया। उन्होंने दिलीप चित्रे की कविता का अनुवाद पाठ किया।
भोपाल – रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय में अनुवाद केंद्र की ओर से भारतीय भाषा उत्सव का आयोजन किया गया। प्रतिष्ठा आयोजन में देशभर से आये सात विभिन्न भारतीय भाषा के अनुवादक प्रतिभागी के तौर पर नाग लिए। भारतीय भाषा उत्सव में गुजरात से आये श्री जगदीश परमार ने कार्यक्रम की शुरुआत गुजराती कविता का हिंदी में अनुवाद सुनाकर की इस श्रंखला में उन्होंने गुजराती काश’ कविता का पाठ किया और फिर उसका हिंदी अनुवाद भी किया। इसी कड़ी में दिल्ली से आयी विश्वरंग पत्रिका की उपसंपादक सुश्री राकी गर्ग ने माँ’, ‘दरवाजे, ‘मेट्रो में महिलाओं के लिए डिब्बा कविता का पाठ किया। उन्होंने दिलीप चित्रे की कविता का अनुवाद पाठ किया। उड़ीसा से आये श्री प्रवासिनी महाकुड तिवारी ने उड़िया में कविता पाठ की फिर उसका हिंदी में अनुवाद नी सुनाया।
अपरिचित से परिचित का एक संस्कृति है, एक संस्कार
बंगाल से आयी सुश्री लिपिका शाह ने इस कार्यक्रम में ममता कालिया की कविता खाटी घरेलू औरत का बांग्ला अनुवाद सुनाया। इस कड़ी में उन्होंने बांग्ला कविता अजता’ का हिंदी अनुवाद भी सुनाया मराठी भाषा के कवि चंद्रकात भोंजाल ने अनुवाद के बारे में कहा की मेरा जीवन, सपनों का अनुवाद है। अनुवाद की इस श्रृंखला में उन्होंने खोई हुयी चीज का हिंदी अनुवाद सुनाया। इसके अलावा उन्होंने कारखाना कविता का हिंदी अनुवाद भी सुनाया। मलयाली भाषा के कवि डॉ वी. जी. गोपालकृष्णनन ने अनुवाद के बारे में कहा की अनुवाद को पेश के रूप में ने स्वीकार्य नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा की अनुवाद अपरिचित से परिचित का एक संस्कृति है, एक संस्कार है। इस श्रृंखला में उन्होंने के. सच्चिदानंद की एक छोटी कविता का हिंदी अनुवाद सुनाया।
सीन काफ निजाम के नज़म बयाजे खो गयी है का हिंदी अनुवाद
इसी कड़ी में बलराम गुमास्ता ने खुदीराम बोस की अंतिम यात्रा का वर्णन कीजिये कविता का पाठ किया। इसके अलावा बलराम गुमास्ता की कविता सूचना का अंग्रेजी अनुवाद डॉ. संगीता जौहरी ने सुनाया उर्दू के अनुवादक व आलोचक जानकी प्रसाद शर्मा ने फैज अहमद फैज की नज्म का हिंदी अनुवाद सुनाया। इसके अलावा उन्होंने कैफी आजमी के गजल, सीन काफ निजाम के नज़म बयाजे खो गयी है का हिंदी अनुवाद भी सुनाया। इस श्रृंखला के अंत में लीलाधर मंडलोई ने गुजारती कविता का हिंदी अनुवाद सुनाया इस भारतीय भाषा उत्सव कार्यक्रम की अध्यक्षता रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय भोपाल के कुलाधिपति व जाने-माने आलोचक, कवि, कथाकार संतोष चौबे ने की।