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चार महीने तक इतने ‘कड़े’  दिन देखेंगे विराट कोहली 

नॉटिंघम ।   विराट कोहली (Virat Kohli) के कप्तानी करियर के सबसे कड़े चार महीनों की शुरुआत यहां बुधवार को होगी जब इंग्लैंड (England) के खिलाफ पांच टेस्ट मैचों की श्रृंखला के पहले टेस्ट के लिए परिपूर्ण भारतीय टीम संयोजन चुनने की उनकी रणनीति की परीक्षा होगी।

कोहली ने न्यूजीलैंड (New Zealand) के खिलाफ विश्व टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल के लिए अंतिम एकादश की घोषणा मैच से कुछ दिन पहले ही कर दी थी और परिस्थितियों का सम्मान नहीं करने के लिए उन्हें आलोचना का सामना करना पड़ा था।

बुधवार को टीम का संतुलन बनाने के लिए कोहली को काफी सोच-विचार करना होगा। भारत का निचला क्रम काफी लंबा है जो अधिकतर रन बनाने में नाकाम रहता है। टीम के पास सिर्फ दो सलामी बल्लेबाज हैं जिसमें से रोहित शर्मा (Rohit Sharma) काफी सक्षम हैं लेकिन इंग्लैंड की परिस्थितियों में उन्होंने टेस्ट मैचों में पारी का आगाज नहीं किया है। दूसरे सलामी बल्लेबाज लोकेश राहुल (Lokesh Rahul) बेहद प्रतिभाशाली हैं लेकिन पारी की शुरुआत में हिचकिचाते हैं।

राहुल ने टेस्ट में 2000 से अधिक रन बनाए और मयंक अग्रवाल के सिर में चोट लगने के बाद रोहित के जोड़ीदार के रूप में राहुल तार्किक पसंद है। इसके अलावा टीम को हार्दिक पंड्या (Hardik Pandya) की कमी खलेगी और साथ ही दो विशेषज्ञ स्पिनरों की उपयोगिता पर भी सवाल उठ सकते हैं।

बंगाल के अभिमन्यु ईश्वरन (Abhimanyu Ishwaran) ने पिछला प्रथम श्रेणी मुकाबला मार्च 2000 में खेला था और उनका उस सत्र में प्रदर्शन काफी खराब रहा था। ऐसे में क्या टीम उन्हें चुनकर जोखिम उठाएगी? यह बड़ा फैसला होगा।

ऐसे में हनुमा विहारी (Hanuma Vihari) पर नजरें होंगी जो आस्ट्रेलिया में एक बार नई गेंद का सामना कर चुके हैं।

विहारी की आफ स्पिन गेंदबाजी और रविचंद्रन अश्विन की मौजूदगी में टीम में शारदुल ठाकुर के खेलने का मौका बन सकता है और गेंदबाजी आलराउंडर के रूप में उन्हें अनुभवी रविंद्र जडेजा पर तरजीह मिल सकती है।

मोहम्मद शमी और इशांत शर्मा तेज गेंदबाजी आक्रमण के अगुआ हैं लेकिन उनकी उम्र बढ़ रही है।

जसप्रीत बुमराह 2019 में कमर के स्ट्रेस फ्रेक्चर के बाद टेस्ट गेंदबाज के रूप में पहले जैसी सफलता हासिल नहीं कर पाए लेकिन पिछली श्रृंखला में अच्छे प्रदर्शन से उन्हें शुरुआती टेस्ट में खेलने का मौका मिल सकता है।

लेकिन भारत के सबसे तेज और फॉर्म में चल रहे गेंदबाज मोहम्मद सिराज का क्या होगी जिनकी तेज गति की गेंद हेलमेट में लगने के बाद मयंक अग्रवाल टेस्ट मैच से बाहर हो गए। कप्तान के लिए सिराज की चुनौती की अनदेखी करना आसान नहीं होगा।

पिछली बार इंग्लैंड दौरे पर कोहली की कप्तानी को लेकर सवाल उठाए गए थे जब लार्ड्स की घास से भरी पिच पर उन्होंने कुलदीप यादव को टीम में चुना था।

इसी तरह आसमान में बादल छाए होने के बावजूद उन्होंने बल्लेबाजी को मजबूत करने के लिए जडेजा को चुना था और बाद में उनसे पर्याप्त गेंदबाजी भी नहीं कराई थी।

पिछले प्रथम श्रेणी मैच में शतक और तैयारी का पर्याप्त समय मिलने के बाद राहुल आत्मविश्वास से भरे होंगे।

वह भारत की ही दो टीमें बनाकर आपस में हुए मैच में भी अच्छी फॉर्म में थे और अब मैदान पर ड्रिंक्स ले जाने की जगह शॉट खेलने को लेकर उत्सुक होंगे।

भारत ने घरेलू सरजमीं पर स्पिन के अनुकूल हालात में विरोधी टीमों को ध्वस्त किया है।

लेकिन अगर इंग्लैंड में टीम के प्रदर्शन की बात करें तो टीम ने पिछले तीन दौरों पर 14 में से 11 टेस्ट गंवाए हैं और इस दौरान दो श्रृंखलाओं में महेंद्र सिंह धोनी कप्तान थे।

कोहली 2014 की श्रृंखला में टीम का हिस्सा थे जब भारत 1-3 से हार गया था और उस समय टीम का यह उप कप्तान बल्ले से बुरी तरह नाकाम रहा था।

कोहली 2018 में अधिक प्रतिबद्ध होकर लौटे और उन्होंने काफी रन बनाए लेकिन लार्ड्स में खराब टीम चयन और साउथम्पटन में एक सत्र में खराब बल्लेबाजी के कारण भारत को 1-4 से हार झेलनी पड़ी।

भारतीय टीम के सामने एक बार फिर ड्यूक गेंदों से जेम्स एंडरसन और स्टुअर्ट ब्रॉड का सामना करने से चुनौती होगी।

एंडरसन और ब्रॉड की अनुभवी जोड़ी का साथ दुनिया के सबसे तेज गेंदबाजों में शामिल मार्क वुड और युवा ओली रोबिनसन देंगे।

ट्रेंटब्रिज की घास वाली पिच पर कोहली और शीर्ष क्रम की राह आसान नहीं होगी। ऐसे में हाल में आलोचना का सामना करने वाले चेतेश्वर पुजारा और अजिंक्य रहाणे को कुछ विशेष करना होगा।

टीम में इन दोनों के स्थान को अभी कोई खतरा नहीं है लेकिन सूर्यकुमार यादव (आज कोलंबो से उड़ान भरने वाले) जैसे विकल्प मौजूद रहते हैं और ये खिलाड़ी प्रदर्शन नहीं करते हैं तो प्रतिभावान खिलाड़ियों को टीम से बाहर रखना आसान नहीं होगा।

जो रूट कड़ी टेस्ट श्रृंखला में ब्रॉड और एंडरसन को उनकी उम्र को देखते हुए रोटेट कर सकते हैं। इंग्लैंड के कप्तान रूट हालांकि स्वीकार कर चुके हैं कि मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के कारण बेन स्टोक्स की गैरमौजूदगी का बड़ा असर पड़ेगा।

रोरी बर्न्स, डोम सिबले, डेन लॉरेंस, जैक क्राउली और ओली पोप जैसे खिलाड़ी कई बार आत्मविश्वास से भरे नहीं दिखे हैं और यह देखना रोचक होगा कि वह अश्विन और शमी का सामना कैसे करते हैं।

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