कल रखा जाएगा शोभन योग में सावन का पहला मंगला गौरी व्रत, जानिए महत्व
सावन मास के सोमवार के दूसरे दिन ‘मंगला-गौरी’ का व्रत होता है। मंगला गौरी व्रत भगवान शिव की अर्धांगनी पार्वती जी को समर्पित होता है। बहुत कम लोग जानते हैं कि सावन के सोमवार के बराबर ही मंगलवार का महत्व है। इस बार मंगला गौरी व्रत मंगलवार 27 जुलाई को है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन सुहागिन महिलाएं माता पार्वती की पूजा करती है और मंगला गौरी का व्रत रखती हैं। जो सुहागिन महिलाएं मंगला गौरी का व्रत रखती हैं उन्हें अखंड सौभाग्यवती होने का वरदान प्राप्त होता हैऔर संतान सुख की प्राप्ति होती है। कहते हैं जिनके वैवाहिक जीवन में कष्ट चल रहा है या फिर जिनके विवाह में देर हो रही है या जिन्हें पति सुख नहीं मिल रहा है, उन्हें जरूर ये व्रत करना चाहिए।।आइए जानते हैं सावन के पहले मंगला गौरी व्रत के पूजा मुहूर्त एवं महत्व के बारे में।
मंगला गौरी व्रत 2021 मुहूर्त
सावन का पहला मंगला गौरी व्रत शोभन योग में पड़ रहा है। शोभन योग शुभ कार्यों के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। शोभन योग मंगलवार को रात 09 बजकर 11 मिनट तक है। ऐसे में आप मंगला गौरी का व्रत सुबह स्नान आदि के बाद रखें। फिर विधि विधान से माता पार्वती की पूजा करें। पूजा में माता पार्वती को 16 श्रृंगार का सामान अवश्य अर्पित करें। इस दिन आप माता पार्वती चालीसा का पाठ करें और पूजा के अंत में माता पार्वती की आरती करें।
इस दिन राहुकाल दोपहर 03 बजकर 51 मिनट से शाम 05 बजकर 33 मिनट तक है। अभिजित मुहूर्त दोपहर 12 बजे 12 बजकर 55 मिनट तक है। विजय मुहूर्त दोपहर 02 बजकर 43 मिनट से दोपहर 03 बजकर 38 मिनट तक है।
Mangala gauri vrat dates कब-कब है मंगला गौरी व्रत?
सावन 2021 पहला मंगलवार: – 27 जुलाई 2021
सावन 2021 दूसरा मंगलवार: – 3 अगस्त 2021
सावन 2021 में तीसरा मंगलवार: – 10 अगस्त 2021
सावन 2021 में चौथा मंगलवार: – 17 अगस्त 2021
शोभन योग में होगी मंगला गौरी व्रत की पूजा
सावन का पहला मंगला गौरी व्रत शोभन योग बन रहा है और ज्योतिष विज्ञान के मुताबिक शोभन योग को शुभ कार्यों के लिए सर्वोत्तम माना जाता है। शोभन योग मंगलवार को रात 09.11 मिनट तक है। इस दिन राहुकाल दोपहर 03.51 मिनट से शाम 05.33 मिनट तक है। अभिजित मुहूर्त दोपहर 12 बजे से 12.55 मिनट तक है। विजय मुहूर्त दोपहर 02.43 मिनट से दोपहर 03.38 मिनट तक रहेगा।
मंगला गौरी व्रत महत्व-
मंगला गौरी व्रत को ज्यादातर सुहागिनें रखती हैं। मान्यता है कि इस व्रत को रखने से सुहागिनों को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही पति को दीर्घायु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। शास्त्रों के अनुसार, इस व्रत को शुरू करने के बाद कम से कम पांच तक रखा जाता है। हर साल सावन में 4 या 5 मंगलवार पड़ते हैं। सावन के आखिरी मंगला गौरी व्रत को उद्यापन का विधान है।
पूजा विधि
नित्य कर्मों से निवृत्त होकर साफ-सुथरे धुले हुए वस्त्र धारण करें। इस व्रत में एक ही समय अन्न ग्रहण किया जाता है। मां मंगला गौरी की तस्वीर लें और उनके सामने फल-फूल अर्पित करें। फिर आटे की लोई का दीपक जलाएं और उसमें 16 बत्तियां जलाएं। इस पूजा के लिए हर चीज 16 चाहिए होती है। मां का भी 16श्रृंगार करें और 16 तरह की चीजें अर्पित करें। फिर ‘मम पुत्रापौत्रासौभाग्यवृद्धये श्रीमंगलागौरीप्रीत्यर्थं पंचवर्षपर्यन्तं मंगलागौरीव्रतमहं करिष्ये’ श्लोक से पूजा कीजिए।
ऐसे करें देवी पूजा का पूजा अर्चना
मंगला गौरी का व्रत पर सुबह स्नान के बाद विधि विधान से माता पार्वती की पूजा करें। पूजा में माता पार्वती के लिए 16 श्रृंगार का सामान जरूर रखें। माता पार्वती चालीसा का पाठ करें और पूजा के अंत में माता पार्वती की आरती करना न भूलें।
मंगला गौरी व्रत धार्मिक महत्व
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक महिलाएं मंगला गौरी का व्रत अपने पति के सुखी जीवन एवं लंबी आयु के लिए रखती हैं। ऐसा माना जाता है कि अखंड सौभाग्य के लिए रखा जाने वाला ये व्रत संतान सुख भी देता है। इस व्रत को करने से संतान का जीवन भी सुखी होता है।