धर्म

कल है विनायक चतुर्थी, जानें पूजा का मुहूर्त और धार्मिक महत्व

Vinayak Chaturthi 2021 : विनायक चतुर्थी इस साल 15 मई दिन शनिवार को है। इस दिन प्रथम पूजनीय भगवान गणेशजी की विधिपूर्वक आराधना की जाती है। विनायक चतुर्थी पर अधिकांश लोग व्रत रखते हैं और गणपति भगवान की आराधना करते हैं, साथ ही गणेश जी को उनका पसंदीदा मोदक का भोग लगाया जाता है और पूजा में उनका सबसे प्रिय दूर्वा अर्पित किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो व्यक्ति विनायक चतुर्थी का व्रत रखते हैं , भगवान विष्णु की कृपा से उनको सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं। माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने से सभी समस्याओं से छुटकारा मिलता है। जो श्रद्धालु विनायक चतुर्थी का उपवास करते हैं भगवान गणेश उसे ज्ञान और धैर्य का आशीर्वाद देते हैं। आइये जानें इसका महत्त्व, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त. की तिथि।

चैत्र, शुक्ल पक्ष चतुर्थी
प्रारम्भ: 15 अप्रैल को दोपहर बाद 03:27 बजे
समाप्त: 16 अप्रैल को दोपहर बाद 06:05 बजे
विनायक चतुर्थी 2021 पूजा शुभ मुहूर्त

ब्रह्म मुहूर्त- 17 अप्रैल को सुबह 04:14 से 04:59 बजे तक
अभिजित मुहूर्त- 11:43 एएम से दोपहर बाद 12:34 तक
विजय मुहूर्त- दोपहर बाद 02:17 बजे से शाम 03:08 तक
गोधूलि मुहूर्त- शाम 06:20 बजे से शाम 06:44 बजे तक

विनायक चतुर्थी पूजन विधि (Vinayak Chaturthi Pujan Vidhi)
गणेश पूजा दोपहर को मध्याह्न काल के दौरान की जाती है। भगवान गणेश के पूजन से विघ्न दूर होते हैं। व्‍यापार में बढ़ोत्‍तरी होती है. पूजा के बाद दान किया जाता है। इस दिन ब्रह्म मूहर्त में उठकर स्नान करें. व्रत का संकल्प लें। दोपहर में भगवान गणेश का पूजन करें और उन्हें दूर्वा अर्पित करें। पूजन कर श्री गणेश की आरती करें. ॐ गं गणपतयै नम: का एक माला जप करें, श्री गणेश को बूंदी के 21 लड्डुओं का भोग लगाएं. इसके बाद प्रसाद स्वरूप इन्हें बांटे।

विनायक चतुर्थी महत्व (Importance of Vinayaka Chaturthi)
हिंदू धर्म में गणेश चतुर्थी का त्योहार प्रमुख हिंदू त्योहारों में से एक है। यह दिन श्रीगणेश भगवान को समर्पित है। धार्मिक मान्यता है कि विनायक चतुर्थी के दिन चंद्रदर्शन करने चाहिए. जो व्यक्ति इस दिन चंद्र दर्शन करता है उसे पापों से मुक्ति मिल जाती है।

गणेश जी की पूजा करते समय सावधानी (Caution while worshiping Ganesha)
भगवान गणेश की पूजा करते समय कुछ सावधानियां भी रखनी होती है। विनाय​​क चतुर्थी की पूजा में चंद्रमा का दर्शन नहीं किया जाता है, जबकि संकष्टी चतुर्थी, जो कृष्ण पक्ष में आती है, उसमें चंद्रमा का दर्शन किया जाता है और जल अर्पित किया जाता है।

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