मध्यप्रदेश

MP में आज के जमाने के ‘शाहजहां’ ने,पत्नी की याद में घर के बाहर बनवा दिया मंदिर

मध्य प्रदेश के शाजापुर में एक पति ने अपनी पत्नी की मौत के बाद उसका मंदिर बनवाया है। दरअसल, यह अनोखा मंदिर शाजापुर जिला मुख्यालय से करीब तीन किलोमीटर दूर सांपखेड़ा गांव में बना हुआ है। जहां बंजारा समाज के नारायणसिंह राठौड़ ने अपनी पत्नी से गीताबाई इतना प्रेम करते हैं कि उन्होंने उसकी याद में मंदिर ही बनवा दिया। नारायण सिंह बंजारा की पत्नी गीताबाई की कोरोना से इसी साल 27 अप्रैल को मौत हो गई थी। पत्नी से बेहद प्यार करने वाले बंजारा और उनका पूरा परिवार अब 3 फीट की इस प्रतिमा की पूजा-अर्चना कर रहा है। परिवार ने महिला की जान बचाने के लिए लाखों रुपए खर्च किए, लेकिन वह फिर भी नहीं बच सकीं। गीताबाई के बेटे अपनी मां को भगवान की तरह मानते थे। लेकिन जब वह छोड़कर कर गईं तो वह हर समय मायूस और दुखी रहने लगे। परिजनों ने उनको काफी समझाया लेकिन मां का जाना वह सहन नहीं कर पा रहे थे। जिसके बाद बेटों और पति ने मिलकर गीताबाई की मूर्ति बनाई। हर रोज बच्चे अपनी मां की भगवान की तरह पूजा करते हैं। रोज नई चूनरी ओढ़ते हैं। बच्चों का कहना है कि मां सिर्फ बोलती नहीं लेकिन हर पल हमारे साथ रहती है।

पति ने पत्नी का मंदिर
शाजापुर में एक शख्स ने अपनी पत्नी की मौत के बाद अपने बेटों के साथ मिलकर अपनी पत्नी का मंदिर ही बना दिया। इस शख्स ने अपने बेटों के साथ रिश्तों को भगवान का दर्जा देने की कोशिश की हैं। जहां एक पति ने अपनी पत्नी का मंदिर बनवाया और हर दिन सुबह शाम उसमें पूजा भी करता है।

मां की कमी महसूस कर रहे थे बेटे
बेटों के साथ हमेशा साए की तरह रहने वाली मां की कमी उनके बच्चे सहन नहीं कर पा रहे थे। इसके बाद उनलोगों ने अपने पिता नारायण सिंह के साथ विचार-विमर्श किया। इसी दौरान मंदिर बनाने का प्रस्ताव दिया। महिला के पति और बेटों ने मिलकर गीताबाई की प्रतिमा स्थापित करने का निर्णय लिया।

राजस्थान के अलवर के कलाकारों ने तैयार की है प्रतिमा
नारायण सिंह का भी पत्नी से बेहद लगाव था। गीताबाई की मौत के बाद नारायण सिंह ने उसकी याद में घर के बाहर मंदिर बनाने का निर्णय लिया। गीताबाई की प्रतिमा बनाने का काम राजस्थान के अलवर के मूर्तिकार को 50 हजार रुपये में दिया गया। करीब डेढ़ महीने में प्रतिमा बनकर तैयार हो गई। मूर्ति को राजस्थान से लाकर मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा के साथ स्थापित की गई।

कोरोना से हुई थी पत्नी की मौत
दरअसल, शाजापुर जिला मुख्यालय से महज 3 किलोमीटर दूर सांपखेड़ा गांव में रहने वाले नारायण सिंह बंजारा की पत्नी गीताबाई की कोरोना बीमारी के चलते 27 अप्रैल को मौत हो गई थी। नारायण सिंह की पत्नी बेहद धार्मिक प्रवृत्ति की थी और उनका लगाव राजस्थान के रामदेवरा में स्थित बाबा रामदेव मंदिर से था। वह हर साल उस मंदिर में दर्शन करने लिए भी जाती थी। लेकिन कोरोना होने के बाद उनकी मौत हो गई।

खास बात यह है कि नारायण सिंह का भी अपनी पत्नी से बेहद लगाव था और इनके बेटे भी अपनी मां की मौत के बाद टूट से गए थे। ऐसे में मां की मौत के तीसरे के कार्यक्रम के दिन बेटों और पति ने उनकी स्मृति में घर के बाहर एक मंदिर बनाने का निर्णय लिया और उसमें पत्नी की प्रतिमा को स्थापित किया जाने का फैसला किया।

प्रतिदिन करते हैं पूजा अर्चना
गीता बाई की तीन फीट बड़ी इस सुंदर प्रतिमा के लिए घर के बाहर मंदिर बनाकर स्थापित किया गया। घर के बाहर बने इस छोटे से मंदिर में अब हर रोज सुबह शाम नारायण सिंह और उनके बेटे नियमित पूजा अर्चना करते है। बेटे भी चाहते थे कि मां भले ही इस दुनिया से चली गई हो। लेकिन इस प्रतिमा के तौर पर सदैव वे उनके साथ रहे, वहीं नारायण सिंह भी अपनी पत्नी को देवी स्वरूप मानते है और उनके आचरण और संयमित जीवन शैली की तारीफ करते नहीं थकते।

दरअसल, कोरोना काल में कई लोग अपनों को बेवक्त छोड़कर चले गए। लेकिन अपनों को अपने बीच जिंदा रखने के लिए कई लोग कुछ न कुछ ऐसा करने की कोशिश कर रहे हैं। ताकि वह हमेशा उनकी याद में बना रहे हैं। नारायण सिंह द्वारा अपनी पत्नी की याद में किया गया यह इस काम की जमकर तारीफ हो रही है।

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