बधु दोष से मुक्ति के लिए आज से ही करें इस मंत्र जाप
भोपाल – अगर आपके ग्रह आपके अनुकूल नहीं है तो कितनी भी मेहनत कर लीजिए सफलता नहीं मिल सकती है। लेकिन ग्रह को मनाने के उपायों का वर्णन भी वेद पुराण में किया गया है। हर ग्रह के दोष से मुक्ति के लिए ज्योतिष शास्त्र में कई उपाय बताए गए हैं। इन उपायों की मदद से किसी भी ग्रह के दोष से मुक्ति पाई जाती है। आज हम बधु दोष से मुक्ति का उपाय आपको बता रहे हैं। ऐसा माना जाता है कि बुध ग्रह बिजनेस, बुद्धि, विवेक, तर्क, वाणी आदि का कारक ग्रह माना गया है। विशेषज्ञ कहते हैं कि जिसकी कुंडली में बुध ग्रह नीच स्थिति में होते हैं या अन्य ग्रहों के साथ मिलकर बुध दोष निर्मित होता है, तो इसकी वजह से बिजनेस में अनुमानित तरक्की नहीं हो पाती है। व्यक्ति पूरी मेहनत करने के लिए बाद भी बिजनेस सफल नहीं हो पाता है। उसकी दोष पूर्ण वाणी प्रभावित होती है, जिससे रिश्ते भी खराब होने की उम्मीद रहती हैं। बुध ग्रह का दोष होने से सही फैसले लेने में कई बार परेशानी का सामना करना पड़ता है। बुध दोष से पीड़ित व्यक्ति उसके लिए क्या सही है और क्या गलत है, वह कई बार इसका फैसला नहीं कर पाता है।
दोष मुक्ति के लिए करें ये उपाय
इस दोष से पीड़ित व्यक्ति को बुध ग्रह को मजबूत करने की जरूरत होती है, बुध दोष को दूर करना पहली प्राथमिकता होती है। अगर आपकी कुंडली में बुध दोष है, तो आपको प्रत्येक बुधवार के दिन पूजा के समय बुध स्तोत्र का पाठ करना अत्यंत आवश्यक है। ऐसा करने से बुध ग्रह प्रबल होता है, उससे जुड़े सभी दोष भी दूर हो जाते हैं। पाठ करने से बुध के प्रबल होने से निर्णय क्षमता और विवेक बेहतर हो जाता है।
जानते हैं बुध स्तोत्र के बारे में
बुध स्तोत्र
पीताम्बर: पीतवपुः किरीटश्र्वतुर्भजो देवदु: खपहर्ता।
धर्मस्य धृक् सोमसुत: सदा मे सिंहाधिरुढो वरदो बुधश्र्व।
प्रियंगुकनकश्यामं रुपेणाप्रतिमं बुधम्।
सौम्यं सौम्य गुणोपेतं नमामि शशिनंदनम।
सोमसूनुर्बुधश्चैव सौम्य: सौम्यगुणान्वित:।
सदा शान्त: सदा क्षेमो नमामि शशिनन्दनम्।
उत्पातरूप: जगतां चन्द्रपुत्रो महाधुति:।
सूर्यप्रियकारी विद्वान् पीडां हरतु मे बुध:।
शिरीष पुष्पसडंकाश: कपिशीलो युवा पुन:।
सोमपुत्रो बुधश्र्वैव सदा शान्ति प्रयच्छतु।
श्याम: शिरालश्र्व कलाविधिज्ञ: कौतूहली कोमलवाग्विलासी।
रजोधिकोमध्यमरूपधृक्स्यादाताम्रनेत्रीद्विजराजपुत्र:।
अहो चन्द्र्सुत श्रीमन् मागधर्मासमुद्रव:।
अत्रिगोत्रश्र्वतुर्बाहु: खड्गखेटक धारक:।
गदाधरो न्रसिंहस्थ: स्वर्णनाभसमन्वित:।
केतकीद्रुमपत्राभ इंद्रविष्णुपूजित:।
ज्ञेयो बुध: पण्डितश्र्व रोहिणेयश्र्व सोमज:।
कुमारो राजपुत्रश्र्व शैशेव: शशिनन्दन:।
गुरुपुत्रश्र्व तारेयो विबुधो बोधनस्तथा।
सौम्य: सौम्यगुणोपेतो रत्नदानफलप्रद:।
एतानि बुध नमामि प्रात: काले पठेन्नर:।
बुद्धिर्विव्रद्वितांयाति बुधपीड़ा न जायते।।