शख्सियत

ये दिग्गज नेता चार बार बना मुख्यमंत्री, लेकिन चारों बार नहीं कर सके अपना कार्यकाल पूरा, अब राजनीति से लिया संन्यास

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से अपने करियर की शुरुआत करने वाले बीजेपी नेता बुकानकेरे सिद्धालिंगप्पा येदियुरप्पा यानि बीएस येदियुरप्पा ने राजनीति से संन्यास ले लिया है।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से अपने करियर की शुरुआत करने वाले बीजेपी नेता बुकानकेरे सिद्धालिंगप्पा येदियुरप्पा यानि बीएस येदियुरप्पा ने राजनीति से संन्यास ले लिया है। बुधवार यानि 22 फरवरी को उन्होने विधानसभा में अपनी आखिरी स्पीच दी और कहा कि ये एक दुर्लभ पल है, क्योंकि अब मैं दोबारा चुनाव नहीं लडूंगा। मुझे बोलने का मौका देने के लिए शुक्रिया। 80 साल के येदियुरप्पा ने अपनी स्पीच में पीएम मोदी का धन्यवाद भी किया और कहा कि अगर भगवान ने मुझे शक्ति दी तो मैं पांच साल बाद होने वाले अगले विधानसभा चुनावों में भी भाजपा को सत्ता में लाने के लिए अपना पूरा जोर लगाऊंगा। येदियुरप्पा ने भले ही राजनीति से संन्यास ले लिया हो। लेकिन कर्नाटक में उनके नाम का डंका बजता था। वो ऐसे ही प्रदेश के चार बार मुख्यमंत्री नहीं बने। हालाकि चारों बार वो अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके। पांच दशकों से अधिक लंबा उनका राजनीतिक सफर उथलपुथल से भरा रहा। सबसे पहले वो 12 नवंबर 2007 को पहली बार कर्नाकट के मुख्यमंत्री बने। लेकिन कुछ ही दिन बाद 19 नवंबर 2007 को उनकों इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद वो 30 मई 2008 को दोबारा राज्य के मुख्यमंत्री बने। लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते उन्हे 4 अगस्त 2011 में फिर से इस्तीफा देना पड़ा। फिर येदियुरप्पा ने 17 मई 2018 को तीसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री के रुप में शपथ ली। लेकिन 23 मई 2018 को फिर उन्हे इस्तीफा देना पड़ा। जिसके बाद येदियुरप्पा को चौथी बार 26 जुलाई 2019 को राज्य का मुख्यमंत्री बनाया गाया था। लेकिन ठीक दो साल बाद 26 जुलाई 2021 को फिर उन्हे इस्तीफा देना पड़ा। 80 साल के बीएस येदियुरप्पा ने अपने राजनीतिक जीवन में ऐसे कई उतार-चढ़ाव देखे। आज हम जानेंगे कि कैसे इस दिग्गज नेता ने चावल मिल के क्लर्क से लेकर चार बार मुख्यमंत्री बनने का गौरव प्राप्त किया।

चार साल की उम्र में मां का निधन

चावल मिल के मामूली क्लर्क से एक मजबूत व प्रभावी राजनेता का सफर तय करने वाले येदियुरप्पा को ही कर्नाटक और देश के किसी भी दक्षिणी राज्य में बीजेपी को पहली बार सत्ता में लाने का श्रेय जाता है। बीएस येदियुरप्पा का पूरा नाम बुकंकरे सिद्दालिंगप्पा येदियुरप्पा है। उनका जन्म 27 फरवरी 1943 को कर्नाटक के मांड्या जिले में हुआ था। येदियुरप्पा महज चार साल के थे, जब उनकी मां का निधन हो गया था। जिसके बाद पिता ने उनका पालन-पोषण किया। उनकी प्राथमिक शिक्षा जिले के ही पीईएस कॉलेज से हुई। वर्ष 1965 में उन्होंने समाज कल्याण विभाग में प्रथम श्रेणी के क्लर्क के रूप में नौकरी शुरू की। कुछ ही समय बाद वे नौकरी छोड़ शिकारीपुरा चले गए और राइस मिल में काम करने लगे। वर्ष 1967 में राइस मिल के मालिक की बेटी माता मैत्रादेवी से शादी कर ली। येदियुरप्पा के दो बेटे बीवाई राघवेंद्र और विजयेंद्र तथा तीन बेटियां अरूणादेवी, पद्मावती और उमादेवी हैं।

उतार-चढ़ाव भरा रहा राजनीतिक सफर

येदियुरप्पा ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत वर्ष 1970 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शिकारीपुरा इकाई के सचिव के रूप में की। इसके दो साल बाद शिकारीपुरा नगर पालिका के सदस्य चुने गए। उसी साल वे जनसंघ के तालुका इकाई के अध्यक्ष भी बने। वर्ष 1975 में येदियुरप्पा शिकारीपुरा नगर पालिका के अध्यक्ष चुने गए, जब देश में आपातकाल लगा हुआ था। येदियुरप्पा बेल्लारी और शिमोगा की जेल में कैद भी रहे थे। बीजेपी के साथ उनकी यात्रा की शुरुआत वर्ष 1980 में हुई, जब उन्हें शिकारपुरा तालुका इकाई का अध्यक्ष बनाया गया। वह 1983 में शिकारपुरा विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने। वर्ष 1985 में उन्हें शिमोगा जिले की बीजेपी इकाई का अध्यक्ष चुना गया था और अगले तीन साल में वे बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बन गए। वर्ष 1994 में येदियुरप्पा कर्नाटक विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बने। 5 साल बाद जब 1999 विधानसभा चुनाव में हार मिली, तो उन्हें राज्य के ऊपरी सदन (विधान परिषद) का सदस्य बनाया गया। वर्ष 2004 में वे एक बार फिर से कर्नाटक विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बने।

4 बार सीएम बने पर एक भी बार कार्यकाल नहीं किया पूरा

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से अपने करियर की शुरुआत करने वाले बीजेपी नेता बीएस येदियुरप्पा चार बार कर्नाटक के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। पहली बार येदियुरप्पा वर्ष 2007 में राज्य के मुख्यमंत्री बने थे। दरअसल कर्नाटक में वर्ष 2006 में बीजेपी के समर्थन से कुमारस्वामी मुख्यमंत्री बने थे। येदियुरप्पा उस सरकार में उप मुख्यमंत्री थे। बाद में जब गठबंधन के तहत येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री बनाने का समय आया तो जेडीएस ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया। राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया। लेकिन नवंबर 2007 में जेडीएस ने समर्थन देने का मन बनाया। और येदियुरप्पा पहली बार मुख्यमंत्री बने और तब दक्षिण भारत में पहली बार बीजेपी गठबंधन की सरकार भी बनी। हालांकि यह सरकार 10 दिन भी नहीं चल सकी। कर्नाटक में वर्ष 2008 में हुए विधानसभा चुनाव में जबरदस्त उलटफेर हुआ। येदियुरप्पा ने शिकारपुरा से पूर्व मुख्यमंत्री एस बंगारप्पा के खिलाफ चुनाव लड़ा और यहां से 45,000 से अधिक वोटों के अंतर से जीत गए। जिसके बाद 30 मई 2008 को येदियुरप्पा दूसरी बार कर्नाटक के मुख्यमंत्री बनें। और अगस्त 2011 तक अपने पद पर बने रहे। लेकिन भ्रष्टाचार का आरोप लगने के बाद उन्हें अपना पद छोड़ना पड़ा था। जिसके बाद वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में बीएस येदियुरप्पा तीसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री बनें, लेकिन बहुमत साबित ना कर पाने की वजह से उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था। जिसके बाद येदियुरप्पा को चौथी बार 26 जुलाई 2019 को राज्य का मुख्यमंत्री बनाया गाया था। लेकिन ठीक दो साल बाद पार्टी हाईकमान के कहने पर 26 जुलाई 2021 को फिर उन्हे इस्तीफा देना पड़ा। विपक्ष ने आरोप लगाए कि बीजेपी ने उन्हे हटा दिया है। लेकिन विधानसभा में अपनी आखिरी स्पीच के दौरान उन्होने इन सभी आरोपों को नकार दिया है। भावुक कर देने वाले अपने भाषण में उन्होंने कहा कि विपक्ष कहता है कि मुझे मुख्यमंत्री पद से उन्हें हटाया गया था। ये गलत है। येदियुरप्पा को किसी ने मुख्यमंत्री पद से नहीं हटाया था। येदियुरप्पा ने अपनी उम्र के चलते ये फैसला लिया था।

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