धर्म

इस बार दशहरा पर बन रहे हैं ये शुभ संयोग,ऐसे करें Dussehra पूजा

हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को दशहरा मनाया जाता है। इस दिन अस्त्र शस्त्रों की पूजा की जाती है और विजय पर्व मनाया जाता है. इस बार दशहरा पर तीन शुभ योग बन रहे हैं। इस साल ये तिथि 15 अक्टूबर 2021 दिन शुक्रवार को है। विजय दशमी के दिन अस्त्र-शस्त्र की पूजा करने की मान्यता है। कहा जाता है कि इस दिन अस्त्र-शस्त्रों की पूजा करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है। सर्वार्थ सिद्धि योग एवं कुमार योग सूर्योदय से सुबह 09:16 तक तथा रवि योग पूरे दिन रात रहेगा। आइए जानते हैं दशहरा का शुभ मुहूर्त….

चंद्रमा का गोचर
इसलिए दशहरा पर्व 15 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस बार विजयदशमी पर्व पर सर्वार्थ सिद्धि योग शाम 6.27 बजे से 9.16 बजे तक रहेगा। इस दिन चंद्रमा मकर राशि और श्रवण नक्षत्र में रहेगा। इस दिन मकर राशि में तीन ग्रहों की युति बन रही हैं। गुरु, शनि और चंद्रमा का गोचर मकर राशि में होगा।

शस्त्र पूजा का समय
सूरजकुंड स्थित बाबा मनोहरनाथ मंदिर की महामंडलेश्वर नीलिमानंद महाराज ने बताया कि विजयदशमी पर शस्त्र पूजा अभिजीत मुहूर्त में सुबह 11.43 बजे से दोपहर 12.30 बजे तक की जाएगी। इस मुहूर्त में की गई पूजा से सभी ओर जीत मिलती है।

विशिष्ट संयोग में पूजा से मिलेंगे ये लाभ
धार्मिक मान्यता है कि इसमें पूजा करने से मां आदिशक्ति की कृपा प्राप्त होती है, इससे जीवन की सारी विषमताएं खत्म हो जाती हैं। जीवन की सभी परेशानियों व कष्टों से मुक्ति मिलती है। दुःख और दरिद्रता का नाश होता है। धर्म के मार्ग पर चलने वालों की हर जगह विजय होती है।

अद्भुत लाभ
इस दिन महिषासुर मर्दिनी मां दुर्गा और भगवान राम की पूजा करनी चाहिए. मां दुर्गा के पूजन से मां आदिशक्ति की कृपा प्राप्त होती है, जिससे जीवन में आने वाली विषमताएं, परेशानियां, कष्ट और दरिद्रता का नाश होता है और विजय प्राप्त होती है। भगवान श्रीराम की पूजा करने से धर्म के मार्ग पर चलने वालों को विजय प्राप्त होती है, इसकी प्रेरणा मिलती है। इस दिन अस्त्र-शस्त्र की पूजा करना बड़ा फायदेमंद होता है। नवग्रहों को नियंत्रित करने के लिए भी दशहरे की पूजा अद्भुत होती है।

पूजा विधि
इस दिन चौकी पर लाल रंग के कपड़े को बिछाकर उस पर भगवान श्रीराम और मां दुर्गा की मूर्ति स्थापित करें. इसके बाद हल्दी से चावल पीले करने के बाद स्वास्तिक के रूप में गणेश जी को स्थापित करें. नवग्रहों की स्थापना करें अपने ईष्ट की आराधना करें ईष्ट को स्थान दें और लाल पुष्पों से पूजा करें, गुड़ के बने पकवानों से भोग लगाएं। इसके बाद यथाशक्ति दान-दक्षिणा दें और गरीबों को भोजन कराएं. धर्म ध्वजा के रूप में विजय पताका अपने पूजा स्थान पर लगाएं. ये विजय दशमी का पर्व प्रेरणा देता है, कि हमें धर्म, अनीति के खिलाफ लड़ना चाहिए।

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