माता के इस मंदिर ने भारत-पाकिस्तान युद्ध में हमे दिलाई थी जीत, पाकिस्तान के हजारों बम मंदिर परिसर में हो गए थे फुस्स
देश में माता के कई ऐसे चमत्कारी मंदिर हैं। जिनका रहस्य आज तक कोई पता नहीं लगा सका। लेकिन क्या आपको पता है कि देश में माता का एक ऐसा मंदिर भी है। जिसके नाम से पूरा पाकिस्तान आज भी थर-थर कांपता है।
देश में माता के कई ऐसे चमत्कारी मंदिर हैं। जिनका रहस्य आज तक कोई पता नहीं लगा सका। लेकिन क्या आपको पता है कि देश में माता का एक ऐसा मंदिर भी है। जिसके नाम से पूरा पाकिस्तान आज भी थर-थर कांपता है। पाकिस्तानी सैनिकों ने मंदिर पर हजारों बम बरसाए, लेकिन सभी बम फुस्स होकर रह गए। इस मंदिर की वजह से पाकिस्तानी सैनिकों को उल्टे पैर वापस जाना पड़ा। तब से आज तक इस मंदिर की पूजा भारतीय सैनिक ही करते हैं। साथ ही पाकिस्तानी सैनिक भी अब इस मंदिर के दिवाने हो गए हैं। या यूं कहे कि पाकिस्तानी सैनिक भी मंदिर में मत्था टेकने पहुंचते हैं। जी हां, ये मंदिर राजस्थान के जैसलमेर के पास भारत और पााकिस्तान की बार्डर पर स्थित है। जिसका नाम है तनोट माता मंदिर। ऐसा कहा जाता है कि 1965 के युद्ध के दौरान भारतीय सीमा में 4 किलोमीटर तक घुस आई पाकिस्तानी सेना इस मंदिर को पार नहीं कर पाई थी और उसके द्वारा बरसाए गए गोले भी इस मंदिर पर बेअसर रहे थे। लड़ाई के दौरान पाकिस्तान की तरफ से बरसाए गए करीब 3000 बम भी इस मंदिर में खरोंच तक नहीं ला सके थे। वहीं, मंदिर परिसर में गिरे 450 बम तो फटे ही नहीं। माता के चमत्कार के आगे सभी बम वही फुस होकर रह गए। तभी से ये मंदिर बम वाली माता के मंदिर के नाम से मशहूर हो गया है। मन्दिर के अन्दर ही एक संग्रहालय है, जिसमें वे बम के गोले आज भी रखे हुए हैं।
भारतीय जवानों के हाथों में मंदिर का जिम्मा
दरअसल 4 दिसंबर साल 1971 में भारत और पाकिस्तान में एक बार फिर जंग छिड़ी थी। उस समय पाकिस्तान ने लोंगेवाला चेकपोस्ट पर हमला किया था। उस ब्रिगेड में कम से कम 2 हजार से ज्यादा पाकिस्तान जवान मौजूद थे। जबकि भारतीए सेना के सिर्फ 120 जवान ही थे। भारतीए सेना के लिए साल 1971 उस जंग में फतह हासिल करना एक बड़ी चुनौती थी। लेकिन, मां की कृपा से भारतीय सेना ने पाकिस्तान की सेना को धूल चटाकर विजय प्राप्त की। साल 1965 और 1971 की जंग में देवी के आशीर्वाद और चमत्कार से पाकिस्तानियों को धूल चटाने के बाद बीएसएफ के जवानों ने तनोट माता मंदिर का जिम्मा अपने हाथों में ले लिया था। तब से इस मंदिर में बीएसएफ का सिपाही ही पंडित होता है। साथ ही मंदिर में आरती के दौरान भी बीएसएफ के जवान पहुंचते हैं। बीएसएफ के सिपाही माता तनोट की पूजा करना कभी नहीं भूलते हैं। मंदिर के मुख्य पुजारी भी बीएसएफ सिपाही ही हैं। माना जाता है कि यह मंदिर 1200 वर्ष पुराना है। जवानों का मानना है कि तनोट माता मंदिर की कृपा की वजह से ही उन्होंने ऐतिहासिक विजय प्राप्त की। जवानों का यह भी मानना है कि तनोट माता मंदिर जैसलमेर की सरहद पर कभी कोई आंच नहीं आने देगा।