धर्म

इस दिन है आश्विन मास का पहला सोम प्रदोष व्रत,जानिए तिथि, शुभ मुहूर्त

हिन्दू कैलेंडर के अनुसार हर मास के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत होता है। त्रयोदशी तिथि भगवान शिव (Bhagwan Shiv Puja) को समर्पित है । इसलिए ये सोम प्रदोष व्रत बेहद फलदायी माना जाएगा.इस बार अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 4 अक्टूबर सोमवार को है. सोमवार का दिन होने के कारण इसे सोम प्रदोष व्रत (Som Pradosh Vrat) कहा जाता है। यह अक्टूबर का पहला प्रदोष व्रत है। सोमवार का दिन होने के कारण इसे सोम प्रदोष व्रत कहा जाता है. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूरे विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की जाती है. कहते हैं कि इस दिन उपवास और पूजन करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. आइए जानते हैं सोम प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि ।

सोम प्रदोष व्रत तिथि (Som Pradosh Vrat Shubh Muhurat)
हिन्दी पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ 03 अक्टूबर दिन रविवार को रात 10 बजकर 29 मिनट से हो रहा है। त्रयोदशी तिथि का समापन अगले दिन 04 अक्टूबर दिन सोमवार को रात 09 बजकर 05 मिनट पर होना है। ऐसे में प्रदोष व्रत की उदयातिथि 04 अक्टूबर को प्रात: हो रहा है और इस दिन शिव पूजा के लिए प्रदोष मुहूर्त भी है। ऐसे में सोम प्रदोष व्रत 04 अक्टूबर को रखा जाएगा।

सोम प्रदोष व्रत महत्व (Significance of Som Pradosh Vrat-)
मान्यता है कि भगवान शंकर को प्रसन्न करने के लिए प्रदोष व्रत रखा जाता है। सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित होता है। ऐसे में सोमवार के दिन प्रदोष व्रत पड़ने से इसका महत्व और बढ़ जाता है। मान्यता है कि प्रदोष व्रत करने से जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं। भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा से भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। जीवन में खुशहाली और सुख-समृद्धि आती है।

प्रदोष व्रत पूजा सामग्री (Pradosh Vrat Puja Samagri)
सोम प्रदोष व्रत की पूजा करने के लिए पूजन सामग्री पहले ही एकत्रित कर लें. पूजा के लिए पुष्प, पांच फल, पंच मेवा, रत्न, सोना, चांदी, दक्षिणा, पूजा के बर्तन, कुशासन, मलयागिरी, चंदन, पवित्र जल, पंच रस, इत्र, गंध रोली, मौली जनेऊ, पंच मिष्ठान्न, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी के साथ-साथ जौ की बालें, तुलसी दल, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, दही, शुद्ध देशी घी, शहद, गंगा जल, ईख का रस, कपूर, धूप, दीप, रूई, शिव और मां पार्वती की श्रृंगार की सामग्री पूजन में शामिल की जाती है.

सोम प्रदोष व्रत पूजा विधि (Som Pradosh Vrat Puja Method)
प्रातः उठकर स्नानादि करने के बाद शिव जी के सामने दीपक प्रज्वलित कर प्रदोष व्रत का संकल्प लें।
संध्या समय शुभ मुहूर्त में पूजन आरंभ करें।
गाय के दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल आदि से शिवलिंग का अभिषेक करें।
अब शिवलिंग पर श्वेत चंदन लगाकर बेलपत्र, मदार पुष्प, भांग, आदि से विधिपूर्वक पूजन करें।
शिव जी के साथ माता पार्वती का पूजन करें और शिव जी की आरती करें।
पूजा के स्थान पर ही आसन पर बैठकर मंत्र जाप या शिव चालीसा का पाठ करें।

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