भोपालमध्यप्रदेश

आदिवासी अत्याचार में नं. 1 MP, यह हमें करता है शर्मिंदा: आदिवासी जननायक को याद कर BJP पर बरसे नाथ

भोपाल। आदिवासी जननायक राजा शंकर शाह, कुंवर रघुनाथ का आज बलिदान दिवस है। इस खास मौके पर भाजपा और कांग्रेस आदिवासी वोटरों को साधने के लिए कार्यक्रम के लिए कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं। राजधानी भोपाल के मानस भवन में मप्र आदिवासी कांग्रेस ने अमर शहीद आदिवासी जननायक राजा शंकर शाह एवं कुंवर रघुनाथ शाह के बलिदान दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री और पीसीसी चीफ कमलनाथ ने शिरकत की। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए नाथ भाजपा सरकार पर बड़ा हमला बोला।

अपने संबोधन में नाथ ने कहा कि राजा शंकर शाह और कुंवर रघुनाथ शाह एक जननायक थे। एक बाप बेटे ने अंग्रेजों के खिलाफ लड़े, उन्हें अंग्रेजों ने तोप से उड़ा दिया। आपका डीएनए कांग्रेस डीएनए है। मध्य प्रदेश आदिवासियों का है बाकी सब तो बाद में आए आदिवासियों ने मेहनत करना सीखा लेकिन मुंह चलाना नहीं सीखा, ये आप में बड़ी कमी है। आज आदिवासियों को अपने हक के लिए लड़ना पड़ना रहा है। मैं आपके साथ लड़ूंगा। इस दौरान पीसीसी चीफ ने यह भी कहा कि अगर आदिवासियों ने ठान लिया तो मप्र में बदलाव से कोई नहीं रोक सकता है। आपने साथ दिया तो मध्य प्रदेश की विधानसभा में कांग्रेस का झंडा लहराएगा।

भाजपा ने 18 साल में आदिवासियों का छीना हक
पीसीसी चीफ और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि राजा शंकर शाह और कुंवर रघुनाथ शाह एक जननायक थे। वह अंग्रेजों के खिलाफ लड़ें। लेकिन आज आदिवासियों पर खूब अत्याचार हो रहे हैं। इस मामले में मप्र पहले स्थान पर है। यह केंद्र सरकार की रिपोर्ट कह रही है। मध्य प्रदेश आदिवासी अत्याचार में नंबर वन यह हमें शर्मिंदा करता है। कई अत्याचार आदिवासियों पर ऐसे हुए जिसकी जानकारी भी नहीं लगी। कमलनाथ ने कहा कि भाजपा ने 18 साल में आदिवासियों को देने की जगह उल्टा छीना है। पैसा नियम को लेकर भर्ती में घोटाला किया। आदिवासी दिवस जो हमने शुरू किया, उसको बंद किया।

भटकना पड़ता है अंतिम संस्कार के लिए
नाथ ने आगे कहा कि आदिवासियों को अंतिम संस्कार के लिए भटकना पड़ता है। अब नई शुरूआत करनी है। आप छाती ठोक कर डिमांड करिए। कमलनाथ ने कहा कि मुझे सबसे ज्यादा उम्मीद आदिवासियों से है। कांग्रेस और मेरा साथ नहीं सच्चाई का साथ दे। बता दें 2018 में आदिवासी समाज ने लंबे समय से सत्ता से बाहर कांग्रेस की सरकार बना दी थी। प्रदेश में 230 में से 47 सीटें आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित है। इसमें 30 सीटें कांग्रेस ने जीती थी। यहीं वजह है कि कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों का फोकस आदिवासी वोटरों पर ज्यादा है।

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