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आषाढ़ मास में सूर्यदेव की आराधना का है विशेष महत्व,सूर्यदेव की उपासना से मिलेगा शुभ फल

हिंदी पंचांग के अनुसार आज 5 जून से आषाढ़ महीना शुरू हो गया है। यह हिंदी पंचांग का चौथा महीना होता है। इस महीने को हिंदू धर्म में बेहद पवित्र महीना माना जाता है।

ज्योतिष : हिंदी पंचांग के अनुसार आज 5 जून से आषाढ़ महीना शुरू हो गया है। यह हिंदी पंचांग का चौथा महीना होता है। इस महीने को हिंदू धर्म में बेहद पवित्र महीना माना जाता है। आषाढ़ में भगवान विष्‍णु और भगवान शिव की पूजा की जाती है। इस महीने में ही देवशयनी एकादशी पड़ती है और भगवान श्रीहरि भोलेनाथ को सृष्टि का संचालन सौंपकर योगनिद्रा में चले जाते हैं। इसी दिन से चातुर्मास की शुरुआत होती है। चातुर्मास में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। पूरा समय भगवान की भक्ति में लगाया जाता है। इस बार आषाढ़ माह 3 जुलाई 2023 तक रहेगा। इस माह में श्रीहरि विष्णु, माता काली, शिवजी और सूर्यदेव की विशेष आराधना की जाती है। आइए जानते हैं इस माह की 10 विशेषता और जानते है कि इस महीने में क्या करें और क्या न करें।

आषाढ़ माह की 10 विशेषताएं:

  1. किसानों का माह :कृषि के लिए ये मास बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इसी माह से वर्षा ऋतु की विधिवत शुरुआत होती है।
  2. स्वच्छ जल ही पिएं :पौराणिक मान्यता के अनुसार इस माह में जल में जंतुओं की उत्पत्ति बढ़ जाती है अत: इस माह में जल की स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
  3. सेहत का रखें ध्यान :आषाढ़ माह में पाचन क्रिया भी मंद पड़ जाती है अत: इस मास में सेहत का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इस महीने में जल युक्त फल खाने चाहिए। आषाढ़ में बेल बिलकुल भी न खाएं।
  4. विष्णु उपासना और दान :आषाढ़ मास में भगवान विष्णु की पूजा करने से पुण्य प्राप्त होता है। आषाढ़ मास के पहले दिन खड़ाऊं, छाता, नमक तथा आंवले का दान किसी ब्राह्मण को किया जाता है।
  5. सो जाते हैं देव :इसी माह में देव सो जाते हैं। इसी माह में देवशयनी या हरिशयनी एकादशी होती है। इसी दिन से सभी तरह के मांगलिक और शुभ कार्य बंद हो जाते हैं।
  6. चतुर्मास का माह :आषाढ़ माह से ही चतुर्मास प्रारंभ हो जाता है। चातुर्मास 4 महीने की अवधि है, जो आषाढ़ शुक्ल एकादशी से प्रारंभ होकर कार्तिक शुक्ल एकादशी तक चलता है। इस अवधि में यात्राएं रोककर संत समाज एक ही स्थान पर रहकर व्रत, ध्यान और तप करते हैं।
  7. कामनापूर्ति का माह :इस महीने को कामना पूर्ति का महीना भी कहा जाता है। आषाढ़ माह की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा का महान उत्सव भी मनाया जाता है।वर्ष के इसी मास में अधिकांश यज्ञ करने का प्रावधान शास्त्रों में बताया गया है।
  8. गुप्त नवरात्रि का माह :वर्ष में चार नवरात्रि आती है:- माघ, चैत्र, आषाढ और अश्विन। चैत्र माह की नवरात्रि को बड़ी या बसंत नवरात्रि और अश्विन माह की नवरात्रि को छोटी या शारदीय नवरात्रि कहते हैं। दोनों के बीच 6 माह की दूरी है। बाकी बची दो आषाढ़ और माघ माह की नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहते हैं। आषाढ़ माह में तंत्र और शक्ति उपासना के लिए ‘गुप्त नवरात्रि’ होती है।
  9. मंगल और सूर्य की पूजा :इस माह में विष्णुजी के साथ ही जल देव की उपासना से धन की प्राप्ति सरल हो जाती है और मंगल एवं सूर्य की उपासना से ऊर्जा का स्तर बना रहता है। इसके अलावा देवी की उपासना भी शुभ फल देती है।
  10. गुरु पूर्णिमा का महत्व :आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि को बहुत ही खास माना जाता है। आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि को ही गुरु पूर्णिमा, व्यास पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है।

आषाढ़ माह में क्या नहीं खाना चाहिए?

  1. आषाढ़ में हरी सब्जियां, पत्तेदार भाजियां बिलकुल नहीं खाना चाहिए।
  2. इस माह जहां तक हो सके तेल वाली चीजें कम खाना उचित रहता है।
  3. इस माह बिलकुल भी बेल नहीं खाना चाहिए।
  4. आषाढ़ में मांस, मछली का सेवन नहीं करना चाहिए।
  5. इन दिनों शराब, मदिरा और अन्य नशीले पदार्थों से दूर रहना चाहिए।
  6. इस महीने बैंगन, मसूर की दाल, गोभी, लहसुन और प्याज का सेवन नहीं करना चाहिए।
  7. आषाढ़ का महीना धार्मिक दृष्‍टि से अधिक महत्व रखता हैं अत: इन दिनों गंध युक्त चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह चीजें मन भटकाव, काम भाव बढ़ाने तथा शरीर और मन की अशुद्धता को बढ़ाती है।

आषाढ़ माह में क्या करना चाहिए?

  • देव पूजा : आषाढ़ माह में भगवान विष्णु, सूर्यदेव, मंगलदेव, दुर्गा और हनुमानजी की पूजा करने का दोगुना फल मिलता है।  आषाढ़ मास में भगवान विष्णु की पूजा करने से पुण्य प्राप्त होता है। इस माह में विष्णुजी के साथ ही जल देव की उपासना से धन की प्राप्ति सरल हो जाती है और मंगल एवं सूर्य की उपासना से ऊर्जा का स्तर बना रहता है। इसके अलावा देवी की उपासना भी शुभ फल देती है।
  • दान : इस माह में आषाढ़ मास के पहले दिन खड़ाऊं, छाता, नमक तथा आंवले का दान किसी ब्राह्मण को किया जाता है। पहले दिन नहीं कर पाएं हैं तो अन्य विशेष दिनों में दान कर सकते हैं।
  • यज्ञ : यह माह यज्ञ करने का माह कहा गया है। वर्ष के इसी मास में अधिकांश यज्ञ करने का प्रावधान शास्त्रों में बताया गया है। इस माह में यज्ञ करने से यज्ञ का फल तुरंत ही मिलता है।
  • व्रत : आषाढ़ माह में विशेष दिनों में व्रत करने का बहुत ही महत्व होता है। क्योंकि आषाढ़ माह में देव सो जाते हैं, इसी माह में गुप्त नवरात्रि के व्रत प्रारंभ होते हैं और इसी माह से चातुर्मास भी प्रारंभ हो जाता है। इस माह में योगिनी एकादशी और देवशनी एकादशी का प्रमुख व्रत होता है।
  • स्नान और सेहत : इस मास में सेहत का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इस मास ही नहीं, अगले तीन माह तक सेहत का ध्यान रखना चाहिए। इस महीने में जल युक्त फल खाने चाहिए। आषाढ़ में बेल बिलकुल भी न खाएं। इस माह में स्नान करने का भी महत्व बढ़ जाता है।
  • उपरोक्त सभी कार्य करने से इस महीने को कामना पूर्ति का महीना भी कहा जाता है। इस माह में जो भी कामना की जाती है उसकी पूर्ति हो जाती है।

 

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