सियासी तर्जुमा

कांग्रेस से अलग है भाजपा में बदलाव के मायने

भोपाल – भारतीय जनता पार्टी(BJP) ने अपने चार राज्यों के मुख्यमंत्रियों(CHIEF MINISTER) को बदल दिया है। इस बदलाव को लेकर कहा जा रहा है कि क्या भाजपा का कांग्रेसीकरण होने लगा है ?, क्योंकि एकाएक मुख्यमंत्रियों को बदलने की प्रथा कांग्रेस(CONGRESS) में पहले भी देखी जा चुकी है। जहां गांधी परिवार के प्रति निष्ठा न रखने वाले मुख्यमंत्रियों को एकदम से बदल दिया जाता था। लेकिन भाजपा ने जो बदलाव किया है, उसका कारण पारिवारिक निष्ठा नहीं हो सकता है। क्योंकि भारतीय जनता पार्टी एक परिवार है, किसी परिवार की पार्टी नहीं । ऐसे में  मुख्यमंत्रियों को बदलने के लेकर कई तरह की बातें सामने आ रही है जैसे, अक्षमता, स्थानीय राजनीतिक समीकरण, सामाजिक परिस्थितियां या दबाव ? इस बदलाव राजनीतिक गलियारों में इस तरह की बातें हो रही हैं कि पीएम मोदी केंद्रीकरण की राजनीति में ज्यादा भरोसा रखते है। इसलिए भी मुख्यमंत्रियों को बदला जा रहा है। लेकिन प्रधानमंत्री(PRIME MINISTER) नरेंद्र मोदी(NARENDRA MODI) ने अपने पहले कार्यकाल में किसी भी राज्य के मुख्यमंत्री को नहीं बदला था। तब यह कहा गया था कि भरोसा रखा जाना जरूरी है तभी बेहतर रूप से काम किया जा सकता है। तब राजस्थान और झारखंड के लिए यह बीजेपी के अंदरखाने में कहा जा रहा था कि इन राज्यों में मुख्यमंत्री बदल देने से भाजपा जीत जाएंगी।

भाजपा में बदलाव के पीछे है कई कारण – 

ऐसे में भारतीय जनता पार्टी के द्वारा मुख्यमंत्री बदलने के पीछे कई कारण नजर आ रहे है उनमें से एक राज्य विशेष की परिस्थितियां। जैसे देवभूमि उत्तराखंड में त्रिवेंद्र सिंह रावत(TRIBENDRA SINGH) पार्टी के लिए बोझ बनते नजर आ रहे थे तो पार्टी ने उनके बदलकर तीरथ सिंह रावत को कमान सौंपी, तो पता चला कि यह तो पहले से भी बड़ी गलती हो गई जिसे सुधारने में पार्टी ने ज्यादा वक्त नहीं लगाया और कमान उत्तराखंड की कमान पुष्कर सिंह धामी (PUSKAR SINGH DHAMI)को सौंप दी। धामी के आने के बाद लगने लगा कि अब पार्टी ने सही फैसला लिया है। कर्नाटक में भी पार्टी ने बीएस येदियुरप्पा को बदला, हालांकि येदियुरप्पा 78 साल के हो चुके और सरकार में उनके रिश्तेदारों का दखल तेजी से बढ़ने लगा था। कर्नाटक में पार्टी को पीढ़ी परिवर्तन भी करना था तो वहां पार्टी ने बदलाव कर दिया। गुजरात(GUJRAT) की बात की जाए तो विजय रूपाणी(VIJAY RUPANI) फौरी व्यवस्था के तौर पर मुख्यमंत्री की कमान संभाले हुए थे। उनके चुनाव के भी दो कारण बताए जाते हैं। पहला कारण उनका निर्विवाद होना है और दूसरा कारण उनका कोई बड़ा जातीय आधार न होना है। जिससे गुजरात में जातीय आधार पर कोई प्रतिस्पर्धा न हो। अब साल 2022 में गुजरात में विधानसभा चुनाव होना है ऐसे में पार्टी को लगा कि विजय रूपाणी चुनावों का भारी भरकम बोझ अपने कंधों पर नहीं उठा पाएंगे तो गुजरात में भी पार्टी ने बदलाव कर दिया। 

 

भविष्य का नेतृत्व तैयार करने की तैयारी में भाजपा – 

भाजपा ने चार राज्यों में मुख्यमंत्रियों को बदलकर वहां भविष्य का नेतृत्व तैयार करने की दिशा में एक कदम बढ़ा दिया है। लेकिन इस बदलाव ने एक बात और तय कर दी है कि जो बने हैं वे बने रहेंगे यह तय नहीं, पर हटा दिए जाएंगे यह भी नहीं कहा जा सकता है। मजबूत लोकतंत्र के लिए बेहतर नेता बनने के लिए बेहतर वक्ता, राजनीतिक समीकरण को साधने की ताकत, विकास का विजन होना जरूरी होता है। लेकिन केवल यहीं सब आपको एक अच्छा नेता नहीं बना सकता है, जब तक जनता आपको वोट न दें। एक दूसरा कारण भी माना जाता जा सकता है, नरेंद्र मोदी और अमित शाह के आने के बाद लोकसभा में पार्टी का वोट प्रतिशत बढ़ जाता है। लेकिन विधानसभा में यही वोट प्रतिशत कम हो जाता है। कई बार यह अन्तर पांच से लेकर 19 फीसदी तक हो सकता है। ऐसे में भाजपा उन जनाधार वाले नेताओं को खोज कर रही है जो नरेंद्र मोदी के अतिरिक्त पार्टी को वोट दिला सकें। 

 

भाजपा में पार्टी हित ही प्राथमिकता – 

भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व लगातार अपने फैसलों की समीक्षा कर रहा है। जहां उन्हें लगा रहा है कि फैसला गलत है तो वे खुद अपने लिए फैसले को प्रतिष्ठा का सवाल बनाकर बदलने से बच नहीं रहे है बल्कि उनमें बदलाव करने में भी कोई देरी नहीं कर रहे हैं। मुख्यमंत्री बदलाव को लेकर बीजेपी के कांग्रेसीकरण की आशंका व्यक्त वालों को इस बात का भी खास ख्याल रखना चाहिए ये बदलाव किसी निजी हित के लिए नहीं बल्कि पार्टी हित में लिए जा रहे हैं। कांग्रेस में जो भी बदलाव होते हैं उसमें इस बात का खास ख्याल रखा जाता है कि बदलाव से गांधी परिवार का हित होगा या नहीं। फिर भले ही आप कितने भी काबिल हो या फिर जनता के बीच कितने भी मजबूत हो आपकी काबिलियत गांधी परिवार के प्रति संदेह के घेरे में अगर है तो फिर मायूस ही रहोगे। भाजपा के लगातार मजबूत और कांग्रेस के लगातार कमजोर होने का कारण भी यही है कि भाजपा में पार्टी हित सबसे ऊपर है और कांग्रेस में परिवार हित। इसके साथ ही भाजपा की कार्यशैली, विचारधारा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के चलते भी कभी पार्टी कांग्रेसीकरण नहीं हो पाएगा। भाजपा में हर तीन साल में राष्ट्रीय अध्यक्ष, प्रदेश अध्यक्ष बदल जाता है लेकिन कांग्रेस में क्या गांधी परिवार के रहते ऐसा मुमकिन है? भाजपा में कार्यकर्ता को यह पता रहता है कि वह संगठन और सरकार के शिखर तक पहुंच सकता है और कांग्रेस कार्यकर्ता को पता है कि वह शिखर केवल देख सकता है उसे छूने का सपना देखना भी एक गुनाह है।

वैभव गुप्ता

वैभव गुप्ता मध्यप्रदेश की पत्रकारिता में जाना-पहचाना नाम हैं। मूलतः ग्वालियर निवासी गुप्ता ने भोपाल को अपनी कर्मस्थली बनाया और एक दशक से अधिक समय से यहां अनेक प्रतिष्ठित संस्थानों में उल्लेखनीय सेवाएं दी हैं। वैभव गुप्ता राजनीतिक तथा सामाजिक मुद्दों पर भी नियमित रूप से लेखन कर रहे हैं।

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