ज्योतिष

580 साल बाद कल लगने जा रहा है साल का आखिरी सबसे लंबा चंद्रग्रहण

19 नवंबर यानी शुक्रवार को साल 2021 का आखिरी चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है।  बता दे की ये सदी का सबसे बड़ा और सबसे लंबा चंद्र ग्रहण (Longest Lunar Eclipse Of The है।  खगोलविदों का कहना है कि इस आंशिक चंद्र ग्रहण की अवधि बहुत लंबी होगी और संयोगवश ऐसा तकरीबन 580 साल बाद होने जा रहा है।  हिंदू पंचांग (Hindu Panchang) अनुसार, साल का अंतिम चंद्र ग्रहण कार्तिक शुक्ल पूर्णिमा को लगेगा।  ये आंशिक चंद्र ग्रहण होगा जो भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों में दिखाई देगा।  चंद्रग्रहण (Chandra Grahan) वृषभ राशि और कृतिका नक्षत्र में लगेगा।  ज्यो तिष शास्त्री और खगोलीय वैज्ञानिकों, दोनों ही के लिए यह चंद्रग्रहण कई मामले में खास (Important Information) बताया जा रहा है। ज्यो तिष विशेषज्ञों का कहना है कि अलग-अलग राशी के लोगों पर ग्रहण का असर मिला जुला दिखेगा. हालांकि, ज्या दातर ये अशुभ फल देने वाला ही रहेगा। आइए जानते हैं 19 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन लगने वाले इस चंद्र ग्रहण के बारे में कुछ खास बातें…

580 साल बाद होगा इतना लंबा आंशिक चंद्र ग्रहण
धार्मिक दृष्टि से इसका खास महत्व है. जानकारों की मानें तो ऐसा 580 साल बाद होगा जब इतना लंबा आंशिक चंद्र ग्रहण देखा जाएगा। इससे पहले इतना लंबा चंद्रग्रहण 18 फरवरी 1440 में पड़ा था। इसकी अवधि करीब छह घंटे से भी अधिक रहेगी. यह चंद्र ग्रहण वृष राशि, कृतिका नक्षत्र में लगेगा। वृष राशि के स्वामी शुक्र और कृतिका नक्षत्र के स्वामी सूर्यदेव (Suryadev) हैं। आइए जानें कहां-कहां, कैसे और कब इस ग्रहण को देख पायेंगे।

ग्रहण का समय
भारतीय समयानुसार चंद्र ग्रहण 19 नवंबर की सुबह 11 बजकर 34 मिनट से शाम को 5 बजकर 33 मिनट तक रहेगा। अगला चंद्र ग्रहण 16 मई 2022 को लगेगा। ऐसे में यह ग्रहण काफी लंबे समय तक रहेगा। ग्रहणकाल की कुल अवधि लगभग 05 घंटे 59 मिनट तक होगी।

इसलिए होगा इतना लंबा ग्रहण
आंशिक चंद्रग्रहण चंद्रमा और धरती के बीच अधिक दूरी की वजह से लंबे समय तक दिखेगा। इस बार आंशिक चंद्र ग्रहण की अवधि 3 घंटा 28 मिनट और 24 सेकंड रहेगी।

वृष राशि वाले बरतें सावधानी
19 नवंवर को लगने वाला चंद्र ग्रहण वृष राशि में लगेगा। इसलिए वृष राशि वालों को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है। चंद्र ग्रहण के दौरान कृत्तिका नक्षत्र रहेगा। पंचांग के अनुसार इस दिन कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि रहेगी।

उपछाया ग्रहण में नहीं लगता सूतक
ग्रहण के दौरान सूतक काल को महत्वपूर्ण माना गया है, लेकिन शास्त्रों के अनुसार सूतक काल तभी प्रभावी माना जाता है जब पूर्ण ग्रहण की स्थिति हो। इस बार लगने वाला चंद्र ग्रहण, उपछाया ग्रहण होगा। जब चंद्रमा पृथ्वी की वास्तविक छाया में आए बिना ही बाहर निकल आता है, तो इसे उपछाया ग्रहण कहा जाता है। वहीं, जब चंद्रमा पृथ्वी की वास्तविक छाया में प्रवेश करता है तो पूर्ण चंद्र ग्रहण की स्थिति बनती है। उपछाया ग्रहण में सूतक काल मान्य नहीं होता है।

सूतक काल में करें भगवान का स्मरण
चंद्र ग्रहण जब पूर्ण होता है तो सूतक काल 9 घंटे पूर्व से आरंभ होता है वहीं, जब सूर्य ग्रहण होता है तो सूतक काल 12 घंटे पूर्व आरंभ होता है। सूतक काल में शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। इस दौरान भगवान का स्मरण करना चाहिए।

कहां पर दिखाई देगा ग्रहण?
भारत में आखिरी चंद्र ग्रहण (Chandra Grahan) सिर्फ उन्हीं जगहों पर नजर आएगा. जहां चंद्रमा आकाश के घेरे में यानी क्षितिज के ऊपर होता है. असम और अरुणाचल प्रदेश समेत पूर्वोत्तर राज्यों के लोगों को यह दिखाई दे सकता है. साल का यह आखिरी चंद्रग्रहण यरोप, अमेरिका, पश्चिमी अफ्रीका, इंडोनेशिया, रूस, चीन, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन में साफ दिखाई देगा। यदि आप भारत के उत्तरपूर्वी क्षेत्र में है तो आप ग्रहण को अपनी नग्न आंखों से देख सकते हैं। दूरबीन जैसे किसी खास उपकरण की कोई आवश्यकता नहीं है।

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