फर्जी हस्ताक्षर से राशि गबन करने का मामला: भ्रष्टाचारी प्राध्यापक को बचाने में जुटा पूरा अमला
जांच समिति के सभी सदस्यों के पास जांच प्रतिवेदन की द्वितीय प्रति उपलब्ध होगी अत: यदि मूल जांच प्रतिवेदन मे कोई फेरबदल या छेड़खानी की गई तो सभी जिम्मेदारों पर लोकायुक्त का शिकंजा कसना तय माना जा रहा है।

रीवा। भोज परीक्षा के मानदेय वितरण मे फर्जी हस्ताक्षर कर राशि गबन करने सहित भ्रष्टाचार के अन्य आरोपों से घिरे पीजीबीटी के प्राध्यापक के खिलाफ लोकायुक्त के निर्देश पर की गई जांच पूरी होने के बाद पूरा अमला प्राध्यापक को बचाने में जुटा हुआ है। समिति द्वारा तीन दिन पूर्व जांच प्रतिवेदन सौंप दिए जानें के बावजूद प्रतिवेदन लोकायुक्त को नहीं भेजा जा रहा है। बल्कि सूत्रों की माने तो संबंधित स्थापना लिपिक द्वारा आरोपी प्राध्यापक को प्रतिवेदन दिखाए जाने की खबरे भी सामने आ रही है। विभाग के जिÞम्मेदार अधिकारियों द्वारा भ्रष्टाचार के आरोपी प्राध्यापक को बचाने लगातार कवायद की जा रही है। इतना ही नहीं शिकायत कर्ता द्वारा आरोपी प्राध्यापक को बचाने, जांच रिपोर्ट दिखाने, जानबूझकर रिपोर्ट रोके रहने एवं जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा खुला संरक्षण दिये जाने की शिकायत लोकायुक्त से की गई है।
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हालांकि जांच समिति के सभी सदस्यों के पास जांच प्रतिवेदन की द्वितीय प्रति उपलब्ध होगी अत: यदि मूल जांच प्रतिवेदन मे कोई फेरबदल या छेड़खानी की गई तो सभी जिम्मेदारों पर लोकायुक्त का शिकंजा कसना तय माना जा रहा है। शिकायत कर्ता ने सभी गतिविधियों से लोकायुक्त को अवगत करा दिया है यदि शीघ्र जांच प्रतिवेदन लोकायुक्त कार्यालय नहीं पहुंचा तो किसी भी दिन बड़ी कार्रवाई हो सकती है। गौरतलब है कि इसके पूर्व 2003 मे शिक्षा कर्मी भर्ती मे व्यापक अनियमितता की शिकायतों के चलते लोकायुक्त ने छापामार कार्यवाही की थी। जिसके दोषियों को आज तक पेंशन नसीब नहीं हुई है।