क्या BJP का गढ़ बन चुके विंध्य को भेद पाएंगे राहुल: 8 अगस्त को शहडोल में करेंगे सभा
सीधी में हाल ही में हुए पेशाब कांड के बाद पहली बार किसी राजनैतिक दल का राष्टÑीय नेता विंध्य के आदिवासी बाहुल्य शहडोल जिले के दौरे पर आ रहा है। माना जा रहा है कि शहडोल जिले के ब्यौहारी से राहुल गांधी जहां प्रदेश में कांग्रेस के चुनाव प्रचार का आगाज करेंगे वहीं विंध्य समेत समूचे मप्र में आदिवासी वोटरों को साधने का भी प्रयास होगा।
सतना। कभी कांग्रेस का गढ़ रहे विंध्य क्षेत्र में पार्टी इन दिनों अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है। देश के सबसे पुराने राजनैतिक दल के लिए इससे दुर्भाग्यपूर्ण बात और क्या होगी कि पिछले चुनाव में यहां की 30 में से मात्र 6 सीटें ही कांग्रेस को मिली थी जबकि 7 जिलों में से 4 जिलों में पार्टी का खाता भी नहीं खुला था। अब जब एक बार फिर अगले पांच साल के लिए जनादेश लेने की तैयारी कांग्रेस कर रही है ऐसे में पार्टी जनों का मानना है कि पार्टी के पूर्व राष्टÑीय अध्यक्ष राहुल गांधी का दौरा विंध्य में कांग्रेस के लिए संजीवनी साबित हो सकता है।
सीधी में हाल ही में हुए पेशाब कांड के बाद पहली बार किसी राजनैतिक दल का राष्टÑीय नेता विंध्य के आदिवासी बाहुल्य शहडोल जिले के दौरे पर आ रहा है। माना जा रहा है कि शहडोल जिले के ब्यौहारी से राहुल गांधी जहां प्रदेश में कांग्रेस के चुनाव प्रचार का आगाज करेंगे वहीं विंध्य समेत समूचे मप्र में आदिवासी वोटरों को साधने का भी प्रयास होगा। अपने इस प्रयास में कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व कितना कामयाब होता है यह तो आने वाले विधानसभा चुनाव के परिणाम बताएंगे लेकिन इतना तो तय है कि जबलपुर में हुई पार्टी की राष्टÑीय महासचिव प्रियंका गांधी की सभा के बाद अब शहडोल जिले के ब्यौहारी में राहुल गांधी की होने वाली सभा कांग्रेस कार्यकर्ताओं में एक नई जान जरूर फूंकेगी, लेकिन देखना यह दिलचस्प होगा कि क्या भाजपा का गढ बन चुके विंध्य को राहुल गांधी भेद पाएंगे।
शहडोल संभाग में 8 सीटें, 2 में कांग्रेस विधायक
कांग्रेस पार्टी के पूर्व राष्टÑीय अध्यक्ष राहुल गांधी विंध्य में जिस शहडोल संभाग के दौरे पर आ रहे हैं उसमें तीन जिलों में 8 विधानसभा सीटें आती हैं। इन 8 विधानसभा सीटों में से 6 सीटों पर भाजपा विधायक हैं जबकि मात्र 2 सीटों पर कांग्रेस के विधायक हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि ये दोनों विधायक एक ही जिले अनूपपुर जिले की कोतमा और पुष्पराजगढ़ विधानसभा सीट से आते हैं। शहडोल और उमरिया जिले की 5 विधानसभा सीटों में कांग्रेस का खाता भी पिछले चुनाव में नहीं खुला था। अब जब कांग्रेस के पूर्व राष्टÑीय अध्यक्ष राहुल गांधी शहडोल जिले की ब्यौहारी विधानसभा के दौरे पर आ रहे हैं तो कांग्रेस को उम्मीद है कि 2023 के विधानसभा चुनाव में पूर्व अध्यक्ष का यह दौरा कांग्रेस के लिए संजीवनी का काम करेगा।
दो जिलों में 15 सालों से नहीं जीत पाई एक भी सीट
देश की सबसे पुरानी राजनैतिक पार्टी कांग्रेस का यह दुर्भाग्य है कि जिस विंध्य ने पार्टी को कई दिग्गज नेता दिए उसी विंध्य में आज स्थिति यह है कि कांग्रेस अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही है। हालत तो यह है कि दो जिलों की पांच विधानसभा सीटें पिछले तीन चुनावों से कांग्रेस नहीं जीत पाई है। यहां पार्टी को लगातार पराजय का सामना करना पड़ रहा है। 2008 से लगातार सिंगरौली और उमरिया जिले की सभी विधानसभा सीटों में कांग्रेस को लगातार पराजय मिल रही है। यदि बात करें कि किस सन् में कांग्रेस विंध्य के कौन से जिले में एक सीट भी नहीं जीत पाई थी तो 2008 के चुनाव में कांग्रेस पांच जिलों में अपना खाता नहीं खोल पाई थी। जिन जिलों में पार्टी का खाता नहीं खुला था उनमें सतना, रीवा,सिंगरौली, शहडोल और उमरिया शामिल है। इसी तरह 2013 के विधानसभा चुनाव में भले ही कांग्रेस को विंध्य की 30 में से 12 सीटें मिली थी लेकिन दो जिले सिंगरौली और उमरिया में एक भी सीट कांग्रेस नहीं जीत पाई थी। 2018 के चुनाव में तो कांग्रेस के हालात 2008 के चुनाव की तरह ही रहे। यहां चार जिलों रीवा, सिंगरौली, शहडोल एवं उमरिया की एक भी सीट कांग्रेस नहीं जीत पाई। जबकि रीवा में आठ, सिंगरौली और शहडोल में तीन-तीन एवं उमरिया में दो विधानसभा सीटें हैं।
विंध्य में लगातर पराजय की ये वजहें
विंध्य में कांग्रेस के पतन की इबारत नब्बे के दशक में लिखी गई थी, इसी दौर में जातिगत सियासत का तेजी से पदार्पण हुआ और कांग्रेस के दिग्गजों के बीच टकराहट शीर्ष पर रही। तब से अब तक पार्टी यहां उबर नहीं पाई है। यहां लगातार पार्टी की पराजय की वैसे तो कई वजहें रही हैं लेकिन अगर चंद प्रमुख वजहों की बात करें तो इसमें टिकट वितरण में भाई-भतीजावाद , निष्ठावान कार्यकर्ताओं की उपेक्षा के चलते परमपरागत वोट बैंक पर पहले बसपा फिर भाजपा की सेंध प्रमुख है।