राजस्थान में मंत्रिमंडल विस्तार की अटकलें तेज, सैलजा के बाद गहलोत से मिले डीके

ताजा खबर : जयपुर। राजस्थान (Rajsthan) में गहलोत सरकार के मंत्रिमंडल में फेरबदल की अटकलें तेज हो गई हैं। हरियाणा कांग्रेस की प्रमुख कुमारी सैलजा (Kumari Selja) की मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Chief Minister Ashok Gehlot) से मुलाकात के बाद आज कर्नाटक के प्रदेश अध्यक्ष डी के शिवकुमार (DK Shivkumar) ने भी जयपुर पहुंचकर मुख्यमंत्री से मुलाकात कर चर्चा की। एक के बाद एक हो रही इन मुलाकातों ने गहलोत मंत्रिमंडल विस्तार (cabinet expansion) की अटकलों को लेकर हवा दे दी है। बता दें कि फेरबदल में पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट (Sachin Pilot) के समर्थक विधायक ज्यादा प्रतिनिधित्व चाहते हैं।
पार्टी सूत्रों ने कहा कि कुमार बेंगलुरू से आये और मुख्यमंत्री निवास पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ लगभग एक घंटे बैठक की। बैठक करने के बाद शिवकुमार का शाम को ही नई दिल्ली चले गए। तय कार्यक्रम के अनुसार वह कल कांग्रेस के बड़े नेताओं से मुलाकात करेंगे। उम्मीद है कि इस दौरान अपनी इस बैठक के बारे में केंद्रीय नेतृत्व को जानकारी देंगे।
रविवार रात कुमारी सैलजा ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ संक्षिप्त मुलाकात की थी। बैठक के एजेंडे के बारे में कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है, लेकिन अनुमान लगाया जा रहा है कि सैलजा और शिवकुमार दोनों ने पार्टी के केन्द्रीय नेतृत्व के संदेशों को पहुंचाने के लिये जयपुर की यात्रा की है। सैलजा को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) और गहलोत दोनों का करीबी माना जाता है।
AICC के महासचिव और प्रदेश प्रभारी अजय माकन (Ajay Makan) ने पिछले सप्ताह जयपुर में पार्टी विधायकों और पार्टी संगठन के नेताओं के साथ कई श्रृखंलाबद्ध बैठकें की थी। गहलोत मंत्रिमंडल के कुछ सदस्यों को मंत्रिमंडल से हटाने के स्पष्ट संकेत में माकन ने शुक्रवार को कहा था कि कुछ मंत्रियों ने संगठन के लिये काम करने के लिये मंत्रिमंडल से पद छोड़ने की इच्छा व्यक्त की है।
राजस्थान मंत्रिमंडल में अभी गहलोत सहित 21 मंत्रिमंडलीय सदस्य है। मंत्रिमंडल में नौ ओर लोगो को समायाजित किया जा सकता है। इसी तरह पार्टी इकाइयों में जिला स्तर पर नियुक्तियां होनी है। दिसम्बर 2018 में सत्ता में आई गहलोत सरकार ने आधा कार्यकाल पूरा कर लिया है। मंत्रिमंडल में फेरबदल और अन्य पदों पर राजनीतिक नियुक्तियों की मांग जून माह में उस समय तेज हो गई जब सचिन पायलट के कुछ करीबी विधायकों ने पिछले साल पार्टी आलाकमान द्वारा किये गये वादे पूरे नहीं होने पर नाराजगी व्यक्त की थी और कहा था कि आलाकमान द्वारा पिछले साल किए गए वादे पूरे नहीं हुए है।