रीवा: 4802 खेतों की मिट्टी का हुआ परीक्षण, जिंक व पोटाश की कमी से उपजाऊ मिट्टी की सेहत हो रही खराब
प्रयोगशाला से मिली जानकारी के अनुसार मृदा में 12 पोषक तत्व की जांच की गई है। अलग-अलग क्षेत्र के किसानों की मृदा का परीक्षण कर किसानों को प्रधानमंत्री स्वाइल हेल्थ कार्ड दिया गया है। मिट्टी की क्षमता पर फसल का उत्पादन निर्भर होता है और मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी का सीधा असर फसलों में पड़ता है।
रीवा। रीवा जिले में अधिक फसल उत्पादन लेने की होड़ में रसायनों के अंधाधुंध प्रयोग से उपजाऊ मिट्टी की सेहत खराब हो रही है। मृदा में जिंक व पोटाश की कमी हो गई है। ऐसे में पौधों की ग्रोथ प्रभावित हो रही है। किसानों को उनके मनमाफिक उपज खेतों से नहीं मिल पा रही है। दरअसल यह खुलासा जिले में किसानों द्वारा कराये गये मिट्टी परीक्षण में हुआ है। फिलहाल उक्त तत्वों की कमी दूर करने के लिये कृषि विभाग द्वारा आवश्यक सुझाव किसानों को दिये जा रहे हैं।
दरअसल जिले के अलग-अलग ब्लॉकों में किए गए मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला में 4 हजार 795 मिट्टी परीक्षण का लक्ष्य आया था। जिसके बाद प्रयोगशाला से 4 हजार 802 खेतों की मिट्टी का परीक्षण किया गया है। जिसमें पूरे जिले के सभी ब्लॉकों में मुख्य पोषक तत्व में पोटाश व सूक्ष्म पोषक तत्व में जिंक की कमी सामने आ रही है। प्रयोगशाला से मिली जानकारी के अनुसार मृदा में 12 पोषक तत्व की जांच की गई है। अलग-अलग क्षेत्र के किसानों की मृदा का परीक्षण कर किसानों को प्रधानमंत्री स्वाइल हेल्थ कार्ड दिया गया है। मिट्टी की क्षमता पर फसल का उत्पादन निर्भर होता है और मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी का सीधा असर फसलों में पड़ता है। सभी पोषक तत्व में परिपूर्ण होने वाली मिट्टी में पौधे अच्छी तरह तैयार होते हैं। जिससे फल भी उच्च किस्म के लगते हैं। मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी को लेकर भले ही जानकारी दिए जाने का दावा वैज्ञानिकों द्वारा किया जा रहा हो। लेकिन जानकारी के अभाव में किसान इस पोषक तत्व की कमी को दूर नहीं कर पा रहे है। जिससे मिट्टी से जिंक का क्षरण लगातार हो रहा है।
25 किलो जिंक मिश्रण डालने की सलाह
विशेषज्ञों के अनुसार एक हेक्टेयर जमीन में 25 किलो जिंक सल्फेट का मिश्रण जमीन पर डालने से पोषक तत्व की पर्याप्तता हो जाती है। वही मृदा में पोटाश की कमी को दूर करने के लिये किसानों को 35 किलो प्रति हेक्टेयर म्यूरेट आॅफ पोटाश डालने की सलाह दी गई है। किसानों को ज्यादा से ज्यादा समझाइश देकर मिट्टी परीक्षण के लिए सुझाव दिया जा रहा है।
मिट्टी के यह हैं 12 पोषक तत्व
मिट्टी में 12 प्रकार के पोषक तत्व मौजूद होते हैं। जिसमें से 6 मुख्य और 6 सूक्ष्म पोषक तत्व हैं। मुख्य पोषक तत्वों में नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश, आॅर्गेनिक कार्बन व पीएचमान है। इसके साथ ही सूक्ष्म पोषक तत्व में जिंक, कॉपर, मैग्नीज, आयरन, सल्फर और बोरान शामिल है। मिट्टी की जांच से यह पता चल जाता है कि किस तत्व की कमी है, जिसे दूर कर उत्पादन बढ़ाने में मदद मिलती है।
सफेद पड़ रही उपजाऊ जमीन
जानकारों की मानें तो उपजाऊ एवं अच्छी उर्वरक वाली जमीन पर भी अब असर दिखने लगा है। हालात यह हैं कि उपजाऊ जमीनों में ऊपर सफेद पपड़ी जमा हो जाती है। जिसकी वजह से धीरे-धीरे जमीन की उर्वरा शक्ति खत्म होने लगती है। वैज्ञानिकों की मानें तो उक्त जमीन को ऊसर भूमि कहा जाता है। उपज कम होने की वजह से जमीन में सिंचाई का भी खास असर नहीं पड़ता है और धीरे-धीरे खेती कम होती है। बताया गया है कि जिस तरह से जमीनों की जिंक एवं मिट्टी की क्षमता कम हो रही है वह आने वाले दिनों में किसानों के लिए चिंता का विषय बन सकती है। हालांकि कृषि वैज्ञानिकों का दावा है कि यदि समय-समय पर खेत की मिट्टी को प्लाऊ से पलटा जाए तो उसकी उपज को बेहतर बनाया जा सकता है। उपज को बेहतर बनाने के लिए किसानों को जून के आखिरी महीने में खेतों की सेहत सुधारने मिट्टी को पलटने का काम किया जाना चाहिए जिससे बरसात में खेत पूरी तरह से पानी पा जाए और वह मिट्टी एक बार फिर से उपजाऊ बन सके।