महामारी का कहर: लॉकडाउन के कारण आधी से ज्यादा बंद हो हो सकती हैं छोटी कंपनियां और स्टार्टअप
नई दिल्ली। देश में कोरोना महामारी (Corona Pandemic) की दूसरी लहर (Second Wave) का कहर छोटी कंपनियों (Small companies) और स्टार्टअप (Startup) में दिखने लगा है। लोकल सर्किल (Local circle) के एक सर्वे (Survey) के अनुसार महामारी और लॉकडाउन (Lockdown) की वजह से देश की आधी से ज्यादा छोटी कंपनियां एवं स्टार्टअप बंद होने की कगार या बिकने की स्थिति में पहुंच गई हैं। यह सर्वे देश के 171 जिलों के 6,000 से ज्यादा स्टार्टअप और MSME से बातचीत पर आधारित है।
सर्वे के मुताबिक, देश के 59 फीसदी सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (MSME) और स्टार्टअप पूंजी नहीं होने की वजह से इस साल के अंत तक बंद हो जाएंगे या फिर खुद बिक जाएंगे। 8 फीसदी का कहना है कि वह अगले छह महीने में अपना कारोबार बेच देंगे। वहीं, महज 22 फीसदी MSME और Startup ही तीन महीने से ज्यादा समय तक खुद को चलाने में सक्षम हैं।
Survey में शामिल 37 फीसदी MSME एवं स्टार्टअप के पास एक से तीन महीने तक कारोबार (business) चलाने भर की पूंजी बची है। 41 फीसदी के पास एक महीने से कम समय तक के लिए पैसा बचा है या फिर पूंजी ही नहीं है। 49 फीसदी ऐसे हैं, जो जुलाई तक कर्मचारियों के वेतन और अन्य लाभों में कटौती की योजना बना रहे हैं।
पिछले साल से ही दिखने लगा था असर
सर्वे में कहा गया है कि पिछले साल जब महामारी (Pandemic) की शुरूआत हुई थी, तभी से इन कंपनियों पर असर दिखना शुरू हो गया था। मार्च से सितंबर, 2020 तक Lockdown और इस साल फिर से लॉकडाउन लगने के कारण इनका कारोबार बुरी तरह प्रभावित हुआ है।
आलम यह है कि बिक्री में गिरावट से ज्यादातर कंपनियों के पास कारोबार चलाने के लिए पैसे तक नहीं बचे हैं। इस कारण एमएसएमई और स्टार्टअप को काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। उधर, RBI भी MSME, खुदरा कारोबार (Retail business), रेस्टोरेंट्स (Restaurants), मॉल और हॉस्पिटैलिटी क्षेत्र (Hospitality Sector) में सर्वे करने की योजना बना रहा है ताकि पता लग सके कि इन पर महामारी का कितना असर हुआ है।
MSME को EMI में राहत दे RBI
भारतीय सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम संगठन ने रिजर्व बैंक से मांग की है कि महामारी के दबाव से उबरने के लिए गारंटी वाले कर्ज पर ईएमआई में राहत दी जाए। संगठन ने 10 सूत्री मांगों में कहा है कि एमएसएमई को कर्ज पुनर्गठन और एनपीए मानकों में भी छूट दी जानी चाहिए। लगातार लॉकडाउन और बढ़ते संक्रमण से हजारों एमएसएमई और लाखों कामगारों पर काफी बुरा असर पड़ा है।