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नींद में चलने की बीमारी खतरनाक हो सकती है,जानिए क्‍या हैं इसके लक्षण

स्‍लीप वॉकिंग (Sleepwalking) किसी भी आम इंसान की समस्‍या हो सकती है यह एक मेडिकल सिचुएशन होता है जिसे सोनामबुलिज्म (Somnambulism) भी कहा जाता है। इसमें नींद की स्थिति में उठना और घूमना शामिल है। लेकिन फिर भी यह बीमारी बहुत खतरनाक मानी जाती है, क्योंकि अगर इस पर नियंत्रण नहीं किया गया तो मरीज की हालत बुरी भी हो सकती है। कई बार स्लीप वॉकिंग की वजह से गंभीर दुर्घटनाएं भी हो सकती हैं। यह बीमारी किसी को हो सकती है, पर बड़ी उम्र के लोगों की तुलना में बच्चों को यह बीमारी ज्यादा होती है। इसमें बीमारी का शिकार व्यक्ति स्वप्न देखने लगता है और उसी दौरान उठ कर चल पड़ता है। कई बार ऐसे लोग बुरे स्वप्न देखते हैं। नींद में चल पड़ने के दौरान ये कहीं भी गिर सकते हैं और इनके साथ दुर्घटना होने की आशंका भी होती है। ऐसे में अगर इसका सही समय पर उपचार (Treatment) कराया जाए तो इसे ठीक किया जा सकता है।

स्लीपवॉकिंग के लक्षण (Symptoms of Sleepwalking)
स्लीपवॉकिंग आमतौर पर रात में होती है, अक्सर सोने के एक से दो घंटे बाद शुरू होती है। हालांकि, झपकी के दौरान भी स्लीपवॉकिंग की संभावना नहीं है। स्लीपवॉकिंग एपिसोड कभी कभार हो सकता है जो आम तौर पर कई मिनट तक रहता है, लेकिन कोई कोई लंबे समय तक भी चल सकता है। यहां कुछ स्लीपवॉकिंग के कुछ लक्षण हैं।
बिस्तर से उठना और इधर उधर घूमने लगना
बिस्तर पर बैठ जाना और अपनी आंखें खोलकर रखना
दूसरों के साथ किसी तरह की प्रतिक्रिया या बातचीत न करना
जागने के बाद थोड़े समय के लिए विचलित या भ्रमित होना
सुबह का वाकया याद न रहना
नींद में खलल के कारण दिन में काम करने में समस्या

क्‍या है स्लीप टेरर (what is sleep terror)
कई बार स्लीपवॉकिंग के दौरान लोग एक्‍स्‍ट्रीम कंडीशन में चले जाते हैं और कई बार तो हिंसक हो जाते हैं। सोते वक्त डेली रुटीन की एक्टिवीटज करने लगना जैसे कि कपड़े पहनना, बात करना या भोजन खाना आदि, घर छोड़कर बाहर चले जाना, नींद में कार चलाना, यहां वहां पेशाब करना, सीढ़ियों या खिड़की से नीचे गिर जाना आदि।

ऐसे में क्या करें (so what to do)
जैसे ही लगे कि कोई नींद में चल रहा है तो उसे जगाने की कोशिश करनी चाहिए। लेकिन ऐसा अचानक नहीं करना चाहिए। उसे धीरे से पकड़ कर बिस्तर पर ले जाना चाहिए और आराम से जगाना चाहिए। इसके बाद पानी पीने को देना चाहिए। इतना करने पर इस बीमारी का शिकार व्यक्ति जाग जाता है। लेकिन उसे यह कभी पता नहीं रहता कि वह नींद में चल पड़ा था।

जरूरी है इसका इलाज करवाना (it is necessary to treat it)
ऐसी समस्या होने पर पीड़ित शख्स का स्लीप स्पेशलिस्ट डॉक्टर से चेकअप और इलाज करवाना जरूरी होता है, नहीं तो बीमारी बढ़ती चली जाती है। ज्यादातर मामलों में मानसिक समस्याओं के चलते भी नींद में चलने की बीमारी हो जाती है। इस बीमारी के शिकार बच्चे अक्सर बिस्तर पर ही मल-मूत्र का त्याग कर देते हैं। कई बड़े लोग भी बिस्तर पर ही पेशाब करते पाए गए हैं, क्योंकि स्वप्न के दौरान उन्हें लगता है कि वे टॉयलेट में हैं। ये इस बीमारी के संकेत हैं।

स्लीपवॉकिंग के ये हैं वजह
स्लीपवॉकिंग को रोकने के लिए सोने का टाइम सेट करना और पर्याप्त नींद लेना बहुत जरूरी है।
इसके अलावा जहां तक हो सके तनाव, चिंता से बचें और इसके लिए योगा मेडिटेशन आदि को लाइफस्‍टाइल में शामिल करें।
सुबह जल्दी उठें और रात को जल्दी सोने की आदत डालें।
डेली वर्कआउट करें और वॉक आदि करें।
कैफीन युक्त पदार्थ का अधिक सेवन करने से बचें।
सोते वक्‍त रूम की सभी लाइट को बंद करें।

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