सियासी तर्जुमा

पंजाब के हालात, राहुल का बयान और अमरिंदर की चिट्ठी

वैभव गुप्ता

सियासी तर्जुमा : कांग्रेस (Congress) को लेकर हाल ही में दो बड़ी खबरें हाल ही में सामने आई। खबर मां – बेटे यानि सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) और राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को लेकर थीं। दोनों ही खबरें कांग्रेस के अन्दर और बाहर की कलह के बारे में बता रही थीं। तो बात शुरू करते है, पहली खबर कांग्रेस के शहजादे कहें जाने वाले राहुल गांधी से जिन्हें बिना किसी राजनीतिक अनुभव (political experience) के देश की सबसे पुरानी पार्टी की कमान संभालने का मौका मिला और उन्होंने ऐसी कमान संभाली की पार्टी के उन उम्रदराज नेताओं (Senior leaders) को किनारे लगा दिया जिन्होंने कांग्रेस को बनाने कम से कम राहुल से तो ज्यादा योगदान दिया था। लेकिन राहुल तो राहुल ठहरे।

अब राहुल कह रहे है, कि जो लोग खुलकर बात करते हो ड़रते नहीं हो अगर वो कांग्रेस के बाहर भी है तो उन्हें कांग्रेस में लाना चाहिए।  तो क्या राहुल कह रहे है उनकी अपनी पार्टी में अभी जो लोग है वे लोग डरपोक हो गए है यह उन पुराने कांग्रेसियों के मुंह पर तमाचा नहीं है जिन्होंने जवाहर (Jawahar), इंद्रिरा (Indira), सोनिया (Sonia), राजीव (Rajiv) और संजय (Sanjay) के लिए दिन रात काम किया। सवाल तो यह भी है कि न कि क्यों राहुल को उनके पार्टी भीतर के कांग्रेसी डरपोक (Congress coward) लग रहे है। राहुल तो बीजेपी (BJP) पर हमेशा आरोप लगाते है कि बीजेपी नेता (BJP leader) कांग्रेसियों को डराकर धमाकर अपनी पार्टी शामिल करा रहे है। तो ये बात तो केन्द्र में सत्ता संभालने वाली और Congress को साल 2019 के लोकसभा चुनाव में 52 सीट तक पहुंचाने वाली बीजेपी नेताओं की कहनी चाहिए। खैर राहुल कह रहे है कि उनकी पार्टी में कई आरएसएस (RSS) के लोग शामिल हो गए है तो पहले सवाल उनकी पहचान कौन करेगा और दूसरा उन्हें पार्टी से निकालेगा कौन।





अब बात करते है दूसरी खबर यानि पंजाब कांग्रेस (Punjab Congress) में मची राजनैतिक उठापटक की। एक वो दौर था जब कांग्रेस के नेता आलाकमान तक अपनी बात पहुंचाने तक में डरते थे। लेकिन यहां तो सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर साफ चेतावनी दी जा रही है कि पंजाब में हस्तक्षेप करने की गलती सोनिया न करें। पंजाब (Punjab) के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह (Chief Minister Captain Amarinder Singh) ने चिट्ठी लिखकर अपनी ही पार्टी के सुप्रीम नेता को बताया कि पंजाब के हालात अनुकूल नहीं है जिसका नुकसान पार्टी को उठना पड़ सकता है। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि सोनिया गांधी जिनके फैसलों पर अब तक सवाल कोई नहीं उठा पाता था उन्हें एक राज्य का मुख्यमंत्री पत्र लिखकर बता रहा हो कि पंजाब से दूरी बनाकर रखिए।

जिस पर राहुल गांधी कुछ नहीं कह रहे हैं। तो राहुल पंजाब को लेकर चुप्पी पर क्या कहा जाए। दिल्ली से चंडीगढ़ महज पांच घंटे दूर है, लेकिन पंजाब संकट कम होने का नाम नहीं ले रहा है। और कांग्रेस का कार्यकर्ता एक फिर मासूस सा खड़ा इस संकट को देख रहा है कि उनकी पार्टी के पास कोई एक ऐसा नेता नहीं जो संकट की घड़ी में पार्टी को पार लगा सकें। या फिर कहा जाए कि अब पार्टी में सोनिया की उनती स्वीकायर्ता बची नहीं और राहुल तो खुद ही खुद पर सवाल खड़े कराने का मौका देते नहीं थकते है। क्योंकि उन्हें चिंता यूपी पंजाब की नहीं उन्हें आरएसएस की चिंता ज्यादा है।

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