एक्शन में सीबीआई: फर्जी बंदूक लाइसेंस मामले में जम्मू-कश्मीर के 40 ठिकानों पर एक साथ छापा

ताजा खबर : जम्मू। फर्जी बंदूक लाइसेंस (fake gun license) की अवैध बिक्री के मामले में सीबीआई (CBI) ने आज जम्मू-कश्मीर (Jammu&Kashmir) के 40 ठिकानों पर छापेमारी कर बड़ी कार्रवाई की है। सीबीआई की इस छापेमारी में सीनियर आईएएस अधिकारी शाहिद इकबाल चौधरी (Senior IAS officer Shahid Iqbal Choudhary) का घर भी शामिल है। बताया जा रहा है कि यह सीनियर अधिकारी वर्तमान समय में सचिव (जनजातीय मामले) और CEO मिशन यूथ, जम्मू-कश्मीर हैं। उन्होंने पहले कठुआ, रियासी, राजौरी और उधमपुर जिलों के उपायुक्त के रूप में काम किया, इस दौरान उन्होंने कथित तौर पर अन्य राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के लोगों को फर्जी नामों के तहत हजारों लाइसेंस जारी किए। केंद्रीय एजेंसी (central agency) कम से कम आठ पूर्व उपायुक्तों की जांच कर रही है।
बता दें कि राज्य में 2012 के बाद से अब तक दो लाख से अधिक बंदूक लाइसेंस फर्जी रूप से जारी किए गए हैं। इसे भारत का सबसे बड़ा गन लाइसेंस रैकेट (gun license racket) माना जाता है।पिछले साल आईएएस अधिकारी राजीव रंजन (Rajeev Ranjan) समेत दो अधिकारियों को सीबीआई ने गिरफ्तार किया था। रंजन और इतरत हुसैन रफीकी (Itrat Hussain Rafiqui) ने कुपवाड़ा जिले (Kupwara District) के उपायुक्त के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान कथित रूप से अवैध रूप से ऐसे कई लाइसेंस जारी किए थे। एक अधिकारी ने बताया कि CBI ने जम्मू-कश्मीर में 22 स्थानों पर व्यापक छापे मारे, जिसमें कश्मीर में 12 स्थान और जम्मू क्षेत्र में 10 स्थान शामिल हैं। अधिकारी ने कहा कि यह छापेमारी 2018 में CBIको सौंपे गए फर्जी बंदूक लाइसेंस मामले के सिलसिले में की गई।
बताया जा रहा है कि फर्जी बंदूक लाइसेंस की जांच पहले राजस्थान (Rajsthan) के आतंकवादी निरोधी दस्ते (anti terrorist squad) द्वारा की जा रही थी। लेकिन गैर जम्मू-कश्मीर निवासियों को भारी मात्र में दिए फर्जी लाइसेंस के खुलासे के बाद इस मामले को CBI के हाथों दे दिया गया था। एटीएस ने पाया था कि जाली दस्तावेजों पर उधमपुर, डोडा, रामबन और कुपवाड़ा जिलों में गैर-जम्मू-कश्मीर निवासियों को 40,000 फर्जी बंदूक लाइसेंस जारी किए गए थे। प्रारंभिक जांच से पता चला था कि एक IAS अधिकारी ने गैर-जम्मू-कश्मीर निवासियों को बड़ी संख्या में फर्जी बंदूक लाइसेंस जारी किए थे, जब वह उपायुक्त (DC) के रूप में एक जिले में तैनात थे।