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अमेरिकी F-15 स्ट्राइक ईगल और भारत के सुखोई-30MKI के बीच होगी टक्कर !

रूस के यूक्रेन पर हमले जारी है।यूक्रेन को अमेरिका का सपोर्ट लगातार मिल रहा है।ऐसे में भारत और अमेरिकी की वायुसेना 10 अप्रैल 2023 से युद्धाभ्यास शुरू करने जा रहे हैं।

रूस के यूक्रेन पर हमले जारी है।यूक्रेन को अमेरिका का सपोर्ट लगातार मिल रहा है।ऐसे में भारत और अमेरिकी की वायुसेना 10 अप्रैल 2023 से युद्धाभ्यास शुरू करने जा रहे हैं।ये एक्सरसाइज पश्चिम बंगाल के कलाईकुंडा एयरबेस में होगा।इस युद्धाभ्यास का नाम है कोप इंडिया।इसमें स्वदेशी LCA तेजस और राफेल फाइटर जेट के शामिल होने की भी संभावना है।इस युद्धाभ्यास में अमेरिकी फाइटर जेट F-15 स्ट्राइक ईगल और भारतीय फाइटर जेट सुखोई सू -30MKI के बीच तगड़े मुकाबले की उम्मीद है।लेकिन इस बीच हम जानेंगे कि आखिर किस में है कितना दम।

दोनों की ऊंचाई और वजन

अमेरिकी फाइटर जेट अमेरिकन मिलिट्री के पैसिफिक कमांड से आएंगे।F-15 स्ट्राइक ईगल को अब बोईंग कंपनी बनाती है।जबकि सुखोई सू-30एमकेआई को HAL बनाती है..F-15 स्ट्राइक ईगल फाइटर की लंबाई 63.9 फीट है।विंगस्पैन 42.9 फीट और ऊंचाई 18.6 फीट है।जबकि सुखोई सू-30 एमकेआई लंबाई 72 फीट है।विंगस्पैन 48.3 फीट है।ऊंचाई 20.10 फीट है।F-15 स्ट्राइक ईगल का वजन 14 हजार 379 किलोग्राम है।जबकि सुखोई का वजन 18 हजार 400 KG है।F-15 स्ट्राइक ईगल में 2 प्रैट एंड व्हिटनी एफ100-पीडब्लू-220 आफ्टरबर्निंग टर्बोफैन इंजन हैं।जो इसे 129.7 किलोन्यूटन की ताकत देते हैं।सुखोई में लीयुल्का एल-31एफपी आफ्टरबर्निंग टर्बोफैन इंजन लगे हैं।जो उसे 123 किलोन्यूटन की ताकत देता है।

दोनों की गति और रेंज

अब इन दोनों की गति के बारे में भी जान लेते हैं।.F-15 स्ट्राइक ईगल की अधिकतम गति 2656 किलोमीटर प्रतिघंटा है।जबकि सुखोई सू-30एमकेआई 2120 किमी प्रतिघंटा की स्पीड से उड़ता है।एफ-15 की कॉम्बैट रेंज 1272 है।जबकि फेरी रेंज 3900 किलोमीटर है।वहीं, सुखोई की कॉम्बैट रेंज 3000 किलोमीटर है।बीच रास्ते में ईंधन मिल जाए तो यह 8 हजार किलोमीटर तक जा सकता है।सुखोई-सू30एमकेआई अधिकतम 57 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है।जबकि, एफ-15 स्ट्राइक ईगल 60 हजार फीट की ऊंचाई तक जा सकता है।एफ-15 एक मिनट में 50 हजार फीट की ऊंचाई तक पहुंच जाता है।जबकि सुखोई एक मिनट में 59 हजार फीट पर चला जाता है।

किसमें कितनी क्षमता ?

सुखोई-30एमकेआई में 30mm की एक ग्रिजेव-शिपुनोव ऑटोकैनन लगी है।जो एक मिनट में 150 राउंड फायर करती है।यानी दुश्मन का विमान, ड्रोन या हेलिकॉप्टर बच नहीं सकते।इसमें 12 हार्ड प्वाइंट्स लगे हैं।यानी वो जगह जहां पर हथियार लगाया जाता है।इसमें 4 तरह के रॉकेट्स लगा सकते हैं।चार तरह की मिसाइल और 10 तरह के बम लग सकते हैं।या फिर इन सबका मिश्रण लगाया जा सकता है।F-15 में  20mm की एम61ए1 वल्कन 6 बैरल्ड गैटलिग कैनन लगी होती है।इसके अलावा इसमें चार बम पंखों के नीचे लगा सकते हैं।इसमें चार तरह की हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, 9 तरह की हवा से सतह पर मार करने वाली मिसाइलें या 18 तरह के बम लगा सकते हैं।या फिर इन सबका मिश्रण बना सकते हैं।यह 10,400 किलोग्राम वजन तक के हथियार लगाकर उड़ सकता है। सुखोई-30एमकेआई के हार्डप्वाइंट्स में हथियारों को दागने की सुविधा ज्यादा है।अगर मल्टीपल रैक्स लगाए जाएं तो इसमें 14 हथियार लगा सकते हैं।यह कुल 8130 KG वजन का हथियार उठा सकता है।इस फाइटर जेट में ब्रह्मोस मिसाइलें भी तैनात हो सकती हैं।चीन भी जानता है कि ब्रह्मोस मिसाइल कितनी घातक और तेज है।अगर भारत ने ब्रह्मोस से हमला किया तो चीन को बचाव का मौका भी नहीं मिलेगा।

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