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कोरोना पर सियासत: शिवसेना ने केन्द्र सरकार पर साधा निशाना, सुप्रीम कोर्ट से भी पूछा सवाल

  • सामना में लिखा- पूरा देश श्मशान और कब्रिस्तान बनता नजर आ रहा है, क्या यही नरक है?

मुंबई। देश में एक तरफ जहां महामारी की रफ्तार लगातार जारी है, तो दूसरी ओर अब सियासत (politics) भी शुरू हो गई है। मुंबई से सटे विरार वेस्ट (Virar West) में शुक्रवार तड़के एक प्राइवेट अस्पताल में लगी आग से 15 मरीजों की मौत हो गई। इस घटना पर शिवसेना (Shiv Sena) ने शनिवार को सामना में संपादकीय (Editorial) लिखते हुए केंद्र सरकार (central government) और सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) पर निशाना साधा है। संपादकीय का टाइटल है ‘नरक यही है क्या?’ इसमें शिवसेना ने कोरोना (Corona) की मौजूदा स्थिति के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट से सवाल भी पूछा गया है। सामना में लिखा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने अब देश में कोविड की स्थिति का नोटिस लिया है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट अगर नेताओं, प्रधानमंत्री (Prime minister), गृहमंत्री (home Minister) के रोड शो ()road show और हरिद्वार कुंभ को लेकर सही समय पर ध्यान देता तो ऐसी स्थिति नहीं बनती।

भाजपा और केंद्र पर निशाना साधते हुए शिवसेना (Shiv Sena) ने लिखा है, ‘मोदी और उनके सहयोगियों को देश को स्वर्ग ही बनाना था। उसके लिए ही उन्होंने वोट मांगे, लेकिन अब देश श्मशान और कब्रिस्तान बनता नजर आ रहा है। कहीं सामुदायिक चिताएं जल रही हैं, कहीं अस्पताल खुद ही मरीजों के साथ जल रहे हैं। अच्छे दिन, स्वर्ग दूर ही रह गया, परंतु वह नरक यही है क्या? ऐसा ही सवाल देश की मौजूदा स्थिति को देखने के बाद उठता है।’





शिवसेना ने संपादकीय में लिखा है, ‘कोरोना के मरीजों को बेड और प्राणवायु नहीं मिल रही है। इस पर शोर मचने के दौरान जगह-जगह कोविड अस्पतालों (Covid Hospitals) के ICU में आग लगने से मरीजों का जलकर मरना, मतलब उन्हें जीते जी दहकती चिता पर ढकेलने जैसा ही है। देश में कोरोना की स्थिति बेकाबू होने की बाद दुनिया में इसे कबूल किए जाने से देश का सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) या हाईकोर्ट (High Court) क्या कह सकते हैं, इस ओर ध्यान देने की जरूरत नहीं है।’

सुप्रीम कोर्ट पर सवाल उठाते हुए शिवसेना ने लिखा है, ‘कोरोना एक राष्ट्रीय आपदा है और इससे लड़ने के लिए केंद्र सरकार ने क्या योजना बनाई है, इसकी जानकारी सुप्रीम कोर्ट ने अब मांगी है। देश की गंभीर स्थिति का नोटिस सुप्रीम कोर्ट ने खुद लिया है। यह खुशी की बात है, लेकिन पश्चिम बंगाल में प्रधानमंत्री, गृहमंत्री के रोड शो और हरिद्वार में धार्मिक मेलों को सही समय पर नोटिस में लिया होता तो लोगों के इस तरह सड़क पर तड़पकर मरने की नौबत नहीं आई होती।’





आॅक्सीजन की कमी से मर रहे लोग, केंद्र नहीं तो कौन जिम्मेदार?
शिवसेना ने आगे लिखा है, ‘दिल्ली के गंगाराम अस्पताल (Gangaram Hospital) में आॅक्सीजन (Oxygen) की कमी होने से 24 घंटों में 25 कोरोना मरीज मर गए। यह देश की राजधानी की स्थिति है। इस स्थिति के लिए देश की केंद्र सरकार जिम्मेदार नहीं होगी तो कौन जिम्मेदार है?

 

यह भी पढ़ें: आफत के बीच राहत: देश में मरीजों के ठीक होने की बढ़ी रफ्तार, एक दिन में स्वास्थ्य हुए 2.20 लाख लोग

 

हिन्दुस्तान को कोरोना का नरक कह रहे विदेशी अखबार
सामना में आगे लिखा गया है,’हिन्दुस्तान (Hindustan) कोरोना का नरक बन गया है, ऐसा अब विदेशी अखबारों में छपने लगा है। इसलिए प्रधानमंत्री मोदी की विदेशों में क्या प्रतिष्ठा बची है? कोरोना संक्रमण से हिंदुस्तान का तंत्र इतना डगमगा गया है कि कोरोना ने हिंदुस्तान को पूरी तरह नरक बना दिया है। ऐसी घोर आलोचना ब्रिटेन के प्रतिष्ठित अखबार द गॉर्जियन (The guardian) ने की है। रोज लाख से ज्यादा मरीज मिलने के बावजूद प्रधानमंत्री मोदी समेत केंद्र सरकार ने इस संकट को नजरअंदाज किया। सत्ताधारियों का यही अति आत्मविश्वास कोरोना के फैलने की वजह साबित हुआ। ऐसी फटकार गॉर्जियन ने लगाई है।’

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