भाजपा नेता के बयान पर भड़की शिवसेना: सामना में लिखा- अब करीब आ गया है भाजपा का अंतकाल

प्रमुख खबरें : मुंबई। महाराष्ट्र (Maharashtra) में भाजपा (BJP) और शिवसेना (Shivsena) के बीच तीखी जुबानी जंग (fierce verbal battle) एक बार फिर तेज हो गई है। भाजपा विधायक प्रसाद लाड (BJP MLA Prasad Lad) द्वारा शिवसेना भवन को गिराने वाले बयान पर सियासत गरमा गई है। भाजपा विधायक के इस बयान पर शिवसेना ने अपने मुख पत्र सामना के जरिए बड़ा हमला बोला है।
सामना में लिखा गया है कि महाराष्ट्र में भाजपा का अंतकाल (end times) करीब आ गया है। इस लेख में लिखा गया है कि शिवसेना भवन में बालासाहेब ठाकरे (Balasaheb Thackeray) के साथ-साथ छत्रपति शिवाजी महाराज (Chhatrapati Shivaji Maharaj) की प्रतिमा है। उनका भगवा झंडा (saffron flag) भवन में फहराया जाता है। यह कुछ लोगों को परेशान करता है, इसलिए वे लोग शिवसेना भवन को तोड़ने की बात करते हैं।
सामना में कहा गया है, उनके कदम जिस तरह से उल्टे-सीधे पड़ रहे हैं, इससे यह स्पष्ट होता है। भूमिपुत्रों की अस्मिता का प्रतीक माने जाने वाले शिवसेना भवन की ओर जिस किसी ने भी तिरछी नजर से देखा वे सभी नेता व उनकी पार्टी वर्ली की गटर में बह गए। वे फिर दोबारा कभी किसी को नहीं मिल सके। शिवसेना ने अपने मुखपत्र में लिखा, शिवसेना से राजनीतिक मतभेद रखने वाले कई लोगों ने शिवसेना को समय-समय पर चुनौती दी। शिवसेना उन चुनौतियों की छाती पर चढ़कर खड़ी रही, परंतु उन राजनीतिक विरोधियों ने कभी शिवसेना भवन तोड़ने-फोड़ने की बात नहीं कही।
सामना में लिखा गया कि हमने बाबरी नहीं गिराई है ऐसा क्रंदन करके बाबर को पीठ दिखाने वाले आज पतित लोगों के दम पर शिवसेना का सामना करना चाहते हैं, यह आडवाणी (Adavani), अटल बिहारी (Atal bihari) की महान पार्टी का पतन और शोकांतिका नहीं तो क्या है? शिवसेना कई अग्निदीपों से पवित्र होकर आगे आई है।
सामना में तीखा वार करते हुए कहा गया कि ऐसे पतित, यही महाराष्ट्र और मराठी लोगों का काल सिद्ध हो रहे हैं, परंतु आनेवाले समय के प्रवाह में ये पतित वरली की गटर में बहकर हमेशा के लिए खत्म हो गए. उनका नामोनिशान भी नहीं बचा। शिवसेना भवन से पंगा लेने की बात छोड़ ही दो, ऐसा इंसान अभी पैदा होना बाकी है।
सामना में आगे लिखा गया है कि भाजपा कभी जमीनी स्तर से जुड़े वफादार कार्यकर्ताओं की पार्टी थी। यहां बाहरी लोगों या गुंडों के लिए कोई जगह नहीं थी। लेकिन अब पार्टी की मूल विचारधारा वाले लोग नीच लोगों को आगे बढ़ा रहे हैं। इसलिए अब इस पार्टी का अंत निकट है। सामना में आगे लिखा गया है कि भूमिपुत्रों की अस्मिता का प्रतीक माने जानेवाले शिवसेना भवन को अगर जिस किसी ने भी बुरी नजर से देखा वे सभी नेता व उनकी पार्टी वर्ली की गटर में बह गए। वे फिर दोबारा कभी किसी को नहीं मिल सके।