धर्म

शनिदेव को मिला था पत्नी से श्राप,इसलिए विनाश लाती है शनि देव की दृष्टि

शनि,भगवान सूर्य (lord sun) तथा छाया के पुत्र हैं। शनिदेव का पूजन करने से इंसान के ग्रहों की चाल पर अनुकूल प्रभाव पड़ता है। भगवान शनिदेव के अधिदेवता प्रजापति ब्रह्मा और प्रत्यधि देवता यम हैं। माना जाता है कि शनि जब किसी से रुष्ट हो जाते हैं तो उसका सब कुछ छीन लेते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कर्मों के देव शनि को उनकी पत्नी ने श्राप दे दिया था। आइए पौराणिक कथा से जानते हैं रहस्य..

भगवान कृष्ण की भक्ति में लीन रहते थे शनिदेव
दरअसल, इसका वर्णन ब्रह्मपुराण (Brahmapuran) में विस्तार से किया गया है। इसके अनुसार, शनि देव के वयस्क होने पर पिता ने उनका विवाह चित्ररथ की कन्या से करा दिया। लेकिन शनि देव तो भगवान कृष्ण के अनन्य भक्त थे, इसलिए वे उनकी भक्ति में ही लीन रहते थे और उनकी पत्नी भी साध्वी व ईश्वर की आराधना में रहती थीं।

इसलिए पत्नी ने दे दिया शनिदेव को श्राप
एक बार पत्नी संतान प्राप्ति की इच्छा से शनि देव के पास गईं, लेकिन वह कृष्ण की भक्ति में डूबे थे। उनके लाख प्रयास के बावजूद शनि देव का ध्यान नहीं टूटा और उनकी पत्नी के प्रयास व्यर्थ चले गए। इससे क्षुब्ध होकर पत्नी ने शनि देव को श्राप दे दिया कि अगर वे अपनी पत्नी को नहीं देख सकते तो उनकी दृष्टि विच्छेदकारक हो जाएगी यानी वह जहां देखेंगे, वहां विनाश जरूर होगा।

ज्योतिष में भारी मानी जाती है शनि की दृष्टि
ध्यान टूटने के बाद शनि ने अपनी पत्नी को मनाया, जिससे उन्हें भी काफी पश्चाताप हुआ लेकिन होनी को कौन टौल सकता था। शनि तो पहले से ही अंतर्मुखी थे और उसके बाद वह अपना सिर नीचे करके रहने लगे, क्योंकि उनकी कहीं पर दृष्टि पड़ेगी तो कहीं न कहीं विच्छेद अवश्य होगा। इसीलिए वैदिक ज्योतिष में माना जाता है कि कुंडली में शनि की दृष्टि से जिस भाव पर पड़ती है, उससे जुड़े सुख जातक के जीवन में कम हो जाते हैं।ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, अगर शनि रोहिणी-शकट भेदन कर दें तो पृथ्वी पर 12 वर्ष का अकाल पड़ सकता है। अगर ऐसा हुआ तो किसी भी प्राणी का बचना मुश्किल है।

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