विश्लेषण

राजनीति की आड़ में, शुभ शुभ मुहूर्त को भेजा भाड़ में

उत्तर प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव use का नशा ग्रामीण अंचलों में सिर चढ़ कर बोलने लगा है। ऐसी हीp एक घटना में मनमाफिक सीट घोषित न होने पर एक पूर्व जिला पंचायत सदस्य ने खरमास का भी भेद मन से निकाल कर आनन-फानन में अपने पुत्र का विवाह कर पुत्र वधू को मैदान में उतार दिया। बसपा ने उसे अपनी पार्टी से अधिकृत उम्मीदवार भी बना दिया है।

ये रोचक मामला जिले में खुटहन ब्लाक के उसरौली गांव का है. इस गाँव के भैयाराम का पुरवा निवासी पूर्व जिला पंचायत सदस्य सुभाष यादव सरगम की पत्नी आँगनबाड़ी कार्यकत्री के पद पर तैनात है। उनकी माता का निधन वर्षो पूर्व हो चुका है। इधर चुनाव नजदीक आते ही सुभाष पुनः वार्ड नंबर 17 से ताल ठोकने लगे तिथि व आरक्षण की स्थिति की घोषित भी नहीं हुई थी कि क्षेत्र में पूरे दम खम से प्रचार प्रसार शुरू कर दिए। दूसरी बार के परसीमन में यह सीट पिछड़ी जाति महिला के लिए आरक्षित कर दी गई।

उनकी पत्नी आँगनबाड़ी है,पहले तो उन्हें त्याग पत्र दिलाकर चुनाव मैदान में उतारने पर विचार किया गया जो उपयुक्त न लगने पर अपने पुत्र सौरभ यादव का तत्काल विवाह कर पुत्रवधू को प्रत्याशी बनाए जाने पर विचार शुरू किया गया। खरमास के चलते पुरोहित ने इसे धार्मिक दृष्टि से उचित नहीं बताया।

उधर इसकी जानकारी होते ही बगल गांव कपसिया निवासी रामचंदर यादव अनुरागी अपनी पुत्री अंकिता यादव की शादी के लिए उनके घर पहुंच गये। आनन फानन में रिश्ता पक्का कर दिया गया। बीते 31 मार्च को एक मंदिर में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ विवाह संपन्न करा दिया गया। अंकिता के नाम से ही रविवार को नामांकन दाखिल कर दिया। इन्हें बसपा से अधिकृत भी किया गया है जिनकी क्षेत्र में खूब चर्चा है।

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