धर्म

सर्व पितृ अमावस्या कल,11 साल बाद बन रहा है गजछाया योग

आश्विन मास (Ashwin Month) की अमावस्य का पितृ पक्ष में विशेष महत्व बताया गया है। इस अमावस्या को आश्विन अमावस्या के साथ, सर्व पितृ अमावस्या (Sarva Pitru Amavasya )और विसर्जनी अमावस्या भी कहा जाता है। इस साल सर्व पितृ अमावस्या 06 अक्टूबर, बुधवार को है। कहते हैं 15 दिन से धरती पर आए हुए पितर अमावस्या के दिन विदा होते हैं इसलिए इसे पितृ विसर्जन अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन पितरों के निमित ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है और दान दक्षिणा देकर सम्मान पूर्वक विदा किया जाता है। इस बार सर्व पितृ अमावस्या के दिन सूर्य और चंद्रमा दोनों की सूर्योदय से लेकर शाम 4 बजकर 34 मिनट तक हस्त नक्षत्र में होंगे. इससे बेहद शुभ गजछाया योग बन रहा है. इससे पहले ये अति शुभ योग साल 2010 में बना था। आइए जानते हैं इसके महत्व और विधि के बारे में।

अमावस्या श्राद्ध 2021: तिथि और समय
अमावस्या तिथि शुरू – 5 अक्टूबर 2021, शाम 07:04 बजे
अमावस्या तिथि समाप्त – 6 अक्टूबर 2021, शाम 04:34 बजे
कुटुप मुहूर्त – 11:45 पूर्वाह्न – 12:32 अपराह्न
रोहिना मुहूर्त – दोपहर 12:32 बजे – दोपहर 01:19 बजे
अपर्णा काल – 01:19 अपराह्न – 03:40 अपराह्न
सूर्योदय 06:16 पूर्वाह्न
सूर्यास्त 06:01 अपराह्न

सर्व पितृ अमावस्या पर गजछाया योग-
इस साल सर्व पितृ अमावस्या पर गजछाया योग बन रहा है। इससे पहले यह योग 11 साल पहले 2010 में बना था। गजछाया योग को बेहद शुभ माना जाता है। 06 अक्टूबर को सूर्योदय से सूर्य और चंद्रमा शाम 04 बजकर 34 मिनट तक हस्त नक्षत्र में होंगे। इस स्थिति के कारण गजछाया योग बनता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गजछाया योग में श्राद्ध या तर्पण करने से पितर प्रसन्न होते हैं। कहते हैं कि इस योग में श्राद्ध और दान करने से पितरों की क्षुधा अगले 12 सालों के लिए शांत हो जाती है। अब ये योग 8 साल बाद 2029 में बनेगा।

सर्व पितृ अमावस्या के दिन करें ये उपाय-
सर्व पितृ अमावस्या के दिन गजछाया योग बन रहा है। इस दिन गजछाया योग में पितरों का श्राद्ध करें और घी मिली हुई घी का दान करें। मान्यता है कि ऐसा करने से पितर अगले 12 सालों तक तृप्त हो जाते हैं। इसके अलावा गरीबों व जरुरतमंदों को दान देना चाहिए। मान्यता है कि अन्न और वस्त्र के दान से जीवन के सभी संकट दूर हो जाते हैं।

सर्व पितृ श्राद्ध अमावस्या का महत्व (Importance Of Sarva Pitru Shradh Amavasya)
सर्व पितृ अमावस्या के दिन उन सभी लोगों का श्राद्ध किया जाता है जिनकी तिथि ज्ञात नहीं होती या भूल चुके होते हैं. इस दिन दान-पुण्य का भी विशेष महत्व है. कहते हैं कि श्राद्ध के समय दिया गया भोजन पितरों को स्वधा रूप में मिलता है. पितरों को अर्पित हुआ भोजन उन्हें उस रूप में परिवर्तित हो जाता है, डजिस रूप में उनका जन्म हुआ होता है। यदि मनुष्य योनि में हो तो अन्न रूप में उन्हें भोजन मिलता है, पशु योनि में घास के रूप में, नाग योनि में वायु रूप में और यक्ष योनि में पान रूप में भोजन उन तक पहुंचाया जाता है। श्राद्ध करने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है और वंश आगे बढ़ता है।

ये उपाय करने से बेहद प्रसन्न होंगे पूर्वज

दान करें
अमावस्या के दिन पितरों की श्राद्ध करने के अलावा घी मिली हुई खीर दान करने से पितरों को अति प्रसन्नता का अनुभव होता है। इस दौरान गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन कराना चाहिए और वस्त्र आदि सामर्थ्य के अनुसार दान करना चाहिए। इससे पितरों को संतुष्टि मिलती है और वो अपने वंशजों को आशीर्वाद देकर जाते हैं।

सरसों के तेल का दीपक जलाएं
कहा जाता है कि पितृ अमावस्या के दिन पूर्वज पितृ लोक के लिए लौट जाते हैं। ऐसे में शाम के समय सरसों के तेल के दीपक जलाकर दक्षिण दिशा में रखने चाहिए. अगर संभव हो तो आप 16 दीपक रखें। अगर 16 नहीं रख सकते तो एक पीतल के दीपक को ऐसे जलाएं कि वो सारी रात जलता रहे। कहा जाता है कि ऐसा करने से पितर आशीर्वाद देते हैं और पितृ दोष का प्रभाव काफी हद तक समाप्त हो जाता है।

 

Web Khabar

वेब खबर

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button