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मंडला एनकाउंटर पर विस में बवाल, विपक्ष ने की 1 करोड़ मुआवजे की मांग

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मध्यप्रदेश विधानसभा के बजट सत्र के छठवें दिन आज मंगलवार 18 मार्च को सदन में विपक्ष ने मंडला जिले में हुए नक्सली एनकाउंटर को फर्जी करार देते हुए सरकार पर आदिवासी हत्या का आरोप लगाया। विपक्षी विधायकों ने मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की और सरकार पर पुलिस कार्रवाई को सही ठहराने का आरोप लगाया।

मृतक के परिवार को सरकार की तरफ से 10 लाख का मुआवजा देने की घोषणा पर विपक्ष ने 1 करोड़ देने की मांग की इस पर सरकार ने कहा कि अगर जांच के बाद नक्सली साबित नहीं हुआ तो 1 करोड़ दिया जाएगा।

इस पर नेता प्रतिपक्ष ने सवाल किया कि क्या 10 लाख का मुआवजा अभी नक्सली को दे रहे हैं?

विपक्ष के विधायक ओमकार मरकाम, विक्रांत भूरिया सहित तीन विधायकों ने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के माध्यम से इस मामले को सदन में उठाया और सरकार की तरफ से राज्यमंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल ने जवाब दिया।

विपक्षी विधायकों ने आरोप लगाया कि पुलिस ने नक्सल विरोधी अभियान के नाम पर निर्दोष आदिवासी युवक की हत्या कर दी। कांग्रेस विधायकों ने मांग की कि इस मामले की जांच किसी रिटायर्ड जज से कराई जाए।

इस पर सरकार की ओर से नरेंद्र शिवाजी पटेल ने जवाब दिया कि मामले की मजिस्ट्रेट जांच 11 बिंदुओं पर जारी है। उन्होंने कहा कि पुलिस ने पहले संदिग्ध से आत्मसमर्पण करने को कहा था, लेकिन उसने फायरिंग कर दी, जिसके बाद जवाबी कार्रवाई करनी पड़ी।

मंत्री के इस बयान से असंतुष्ट कांग्रेस विधायकों ने सदन में हंगामा किया और सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए वॉकआउट कर दिया।

मंडला में हुए एनकाउंटर को लेकर कांग्रेस के आदिवासी विधायक डॉ. हीरालाल अलावा ने सवाल खड़े किए। मीडिया से बातचीत में कांग्रेस विधायक हीरालाल अलावा ने कहा कि यह एनकाउंटर संदिग्ध है और सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि मारे गए व्यक्ति के नक्सली होने के क्या ठोस सबूत हैं। उन्होंने मांग की कि इस मामले की निष्पक्ष जांच किसी सेवानिवृत्त जज से कराई जाए ताकि आदिवासी समुदाय को न्याय मिल सके।

विपक्ष ने मंडला नक्सली एनकाउंटर को फर्जी बताते हुए कहा कि, पुलिस ने अपना टारगेट पूरा करने के लिए आदिवासी की हत्या की है। रिटायर्ड जज से इसकी जांच कराई जानी चाहिए। इस दौरान कांग्रेसियों ने पीड़ित परिवार को न्याय देने के नारे लगाए।

ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के दौरान कांग्रेस नेता विक्रांत भूरिया ने कहा नक्सली के नाम पर निर्दोष आदिवासियों के संबंध में मैं आपका ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा। पुलिस ने अपना टारगेट पूरा करने के उद्देश्य से आदिवासी की हत्या की है, एक ओर सरकार प्रदेश में नक्सलवाद समाप्त करने का दावा कर रही है। वहीं दूसरी ओर नक्सली के नाम पर निर्दोष आदिवासियों को मौत के घाट उतारने का काम यह सरकार कर रही है।

विधायक भूरिया ने कहा कि, NCRB रिपोर्ट में मध्य प्रदेश में आदिवासियों पर सबसे ज्यादा अत्याचार हो रहे हैं और मध्य प्रदेश की सरकार आदिवासियों की सुरक्षा करने एवं उनके समुचित विकास करने में विफल रही है।

विपक्ष की तरफ से एनकाउंटर में मृतक के परिवार को एक करोड़ रुपए का मुआवजे के साथ परिवार के किसी सदस्य को नौकरी भी दिए जाने की मांग की है। विपक्ष ने प्रश्न किया कि अगर वो नक्सली नहीं है तो आपको उनको न्याय देने में क्या दिक्कत है?

विपक्ष के विधायकों ने कहा कि अगर न्याय नहीं दिया गे तो आदिवासी कांग्रेस और कांग्रेस पार्टी पूरी से इनका विरोध करेगी और स्तर पर इसके खिलाफ प्रदर्शन भी करेगी।

इस पर मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल ने जवाब देते हुए कहा कि जांच में अगर यह परिवार नसक्ली या नक्सली समर्थक नहीं पाया गया तो एक सदस्य को सरकारी नौकरी और जरूरत पड़ने पर 1 करोड़ की राशि भी दी जायेगी। संसदीय कार्यमंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा मंत्री जी ने सदन में घोषणा कर दी है।

इस पर नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने पूछा अभी आपने 10 लाख की सहायता राशि नक्सली को दी है या आदिवासी को दी है? इस पर विधानसभा अध्यक्ष ने कहा संसदीय कार्यमंत्री ने 1 करोड़ की सहायता राशि और नौकरी दी जाएगी।

उमंग सिंघार ने कहा कि घटना कैसे हुई? यह जांच का विषय है, बालाघाट में भी ऐसी घटना हुई थी। उस मामले में सरकार ने उनके परिवार ने किसी को नौकरी दी जाएगी।

क्या उन्हें 2 करोड़ रुपए की सहायता राशि दी जाएगी? विधानसभा अध्यक्ष ने कहा यह विषय संवेदनशील है। इसके बाद कांग्रेस ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी की, फिर कार्यवाही से वॉक आउट कर दिया।

 

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