प्रमुख खबरें

देश में कोरोना का कहर: 100% भरोसेमंद नहीं रही आरटी-पीसीआर रिपोर्ट, नये-नये स्ट्रेन ले रहे लोगों की जान

नई दिल्ली। कोरोना के नए वायरस को पकड़ पाने में आरटी-पीसीआर टेस्ट लगातार फेल हो रहा है। कोरोना वायरस छुपा हुआ बहुरूपिया है। इसके नये-नये स्ट्रेन लोगों को धराशायी कर रहे हैं, वो भी चुपचाप। वायरस शरीर में है, लेकिन टेस्ट निगेटिव आ रहा है। आरटी-पीसीआर टेस्ट भी अब सौ फीसदी भरोसेमंद नहीं रहा।

दरअसल, कोई व्यक्ति कोरोना संक्रमित है या नहीं? इसके लिए पहले एंटीजेन टेस्ट करवाया जाता है, जिससे ये पता चलता है कि कोई व्यक्ति वायरस के संपर्क में आया या नहीं, लेकिन इसके नतीजे पर निश्चिंत नहीं हो सकते। इसीलिए इस पर भरोसा कम था, लेकिन आरटी-पीसीआर टेस्ट को फाइनल नतीजा माना जा रहा था। हालांकि अब आरटी-पीसीआर टेस्ट भी अंतिम कसौटी नहीं है।

आरटी-पीसीआर टेस्ट के नतीजे 20 फीसदी तक गलत साबित हो रहे हैं। यानी हर 5 में से एक व्यक्ति का टेस्ट रिजल्ट सही नहीं है। कई राज्यो में ऐसे मरीज मिल रहे हैं जिनमें कोरोना के लक्षण हैं लेकिन टेस्ट बार-बार निगेटिव आ रहा है। ये कोरोना की दूसरी लहर का कहर है, सवाल ये है कि टेस्ट में वायरस पकड़ में क्यों नहीं आ रहा?





जवाब में इसकी कई वजह हैं-

  • वायरस नाक या गले में मौजूद न हो तो नतीजा सही नहीं आएगा।
  • अगर वायरल लोड यानी वायरस की संख्या ज्यादा नहीं थी तो भी नतीजा सही नहीं आएगा।
  • गले या नाक की जगह वायरस का इनफेक्शन सीधे फेफड़े में हो तो भी सही नतीजा मिलना मुश्किल है।

और इन सारे कारणों की जड़ है वायरस का म्यूटेशन यानी रूप बदलना। इस नई मुसीबत को एक उदाहरण से समझिए- मरीज को बुखार, खांसी और सांस फूलने जैसी समस्याएं थी, लेकिन रिपोर्ट निगेटिव थी। बाद में डॉक्टरों ने मरीज का सीटी स्कैन किया तो फेफड़े में वायरस की मौजूदगी के निशान दिखे।

देश में वायरस के जो नए वैरिएंट मिले हैं वो ज्यादा संक्रामक हैं और टेस्ट की पकड़ में भी नहीं आ रहे। खासतौर पर वो डबल म्यूटेंट वेरियंट, जो भारत में ही दो अलग-अलग कोरोना वायरस वेरियंट से मिलकर बना है। महाराष्ट्र में 15 से 20 फीसदी सैंपल की टेस्टिंग में वायरस का डबल म्यूटेंट वेरियंट मिल रहा है।





इसकी वजह से मरीजों में कोरोना वायरस की पुष्टि बहुत देर से हो रही है। तब तक मामला गंभीर हो जाता है और मरीज अस्पताल तक पहुंच जाता है। मरने वालों की संख्या बढ़ने का एक कारण ये भी है। दूसरी मुसीबत ये है कि आरटी-पीसीआर टेस्ट के नतीजे आने में देरी हो रही है। रिपोर्ट आने में कई दिन लग जा रहे हैं।

यह भी पढ़ें: गुजरात में कोरोना से बुरा हाल: पूरा बिल नहीं चुकानें पर अस्पताल ने बॉडी देने से किया इनकार, गिरवी रखनी पड़ी कार

झारखंड का ही उदाहरण ले लीजिए, वहां 28 हजार आरटी-पीसीआर सैंपल की रिपोर्ट पेंडिंग है। हाईकोर्ट की फटकार के बाद सैंपल ओडिशा भेजने की नौबत आ गई है। कहीं अस्पताल में तकनीशियन की कमी है तो कहीं आरटी-पीसीआर मशीन की कमी है। रिपोर्ट के बिना कोई नौकरी में वापस ज्वॉइन नहीं कर पा रहा तो कोई कॉलेज नहीं जा पा रहा।

ऐसे हालात में लोगों की जान बचाना बहुत मुश्किल हो रहा है। इस समय आपको अतिरिक्त सावधानी बरतने और जागरूक रहने की जरूरत है। क्योंकि आरटी-पीसीआर टेस्टिंग का रिजल्ट देर से आ रहा है और जो रिजल्ट आ भी रहा है उसपर आप 100 फीसदी भरोसा नहीं कर सकते।

Web Khabar

वेब खबर

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button