भोपालमध्यप्रदेश

अन्न का करें सम्मान, एक दाना भी नहीं फेंके…भोपाल की सामाजिक संस्थाओं की पहल, मकसद कोई गरीब भूखा न सोए

शादी, भंडारे, होटलों से बचे खाने को जरूरतमंदों तक पहुंचाती संस्थाएं

कहते हैं कि हमें अन्न का आदर करना चाहिए, क्योंकि कई लोग ऐसे होते हैं जो भूखे मरते हैं. लेकिन, हमें खाने को मिल रहा है इसलिए हमें भगवान को धन्यवाद करना चाहिए. एक गरीब जब भूखा मरता है तब अन्न की कीमत समझता है. अगर हम अन्न को बर्बाद ना करें किसी गरीब की मदद करेंगे तो वह भी भूखा मरने से बच जाएगा. ऐसा ही कुछ मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में समाज सेवा करने वाली सस्थाओं ने सोचा है. अन्न की बर्बादी रोकने और जरूरतमंदों को भोजन मिल सके.इसके लिए कुछ संस्थाएं काम कर रही हैं. वो शादी, भंडारे, होटलों से बचे खाने को जरूरतमंदों तक पहुंचाती हैं. वहीं, कई संस्थाओं ने रोटी बैंक भी खोला है. नवरात्री में हुए भंडारे से बचे भोजन को करीब 1500 जरूरतमंदों तक पहुंचाया. इन संस्थाओं का एक ही मकसद है शहर में कोई भी भूखा न सोए.

भोजन की बर्बादी रोकने के लिए उठाया कदम

राजधानी की इन संस्थाओं ने भोजन की बर्बादी रोकने के लिए यह कदम उठाया है. ये संस्थाएं अपने स्तर पर भोजन की बर्बादी को रोकने के लिए करीब दो सालों से काम कर रही है. नवरात्र के समापन पर शहर में कई जगह भंडारे हुए. कई भंडारों में खाना बच गया. इस खाने को जरूरतमंदों तक पहुंचाने का काम रॉबिनहुड आर्मी ने किया. इसके अलावा अल रकीब सोसायटी, अल नईम ट्रस्ट और दाऊदी बोहरा समाज ने भी जरूरतमंदों तक भोजन पहुंचाने का काम किया. कुछ दिन पहले गुजराती समाज की कमेटी ने अपने द्वारा आयोजित किसी भी समारोह में होने वाले भोज में प्लेट या थाली में भोजन छोड़ने वाले पर 200 रुपए का जुर्माना करने का फैसला लागू किया है. इतना नहीं निगरानी के लिए भवन परिसर में कैमरे भी लगाए गए हैं.

शादी-पार्टी से बचे खाने को करते एकत्रित

रॉबिनहुड आर्मी से जुड़े युवा जुड़े बीते दो साल से शादी, पार्टी, होटल, सामूहिक भोज समेत अन्य कार्यक्रमों में बचे खाने को एकत्रित करते हैं. जिसे रेलवे स्टेशन, अस्पताल और सार्वजनिक स्थानों पर गरीब और जरुरतमंदों को बांट देते हैं. ताकि कोई भूखा न सोए. हाल ही आर्मी ने गुलमोहर और कोलार क्षेत्र के दो भंडारा स्थलों से बचे खाने को एकत्रित तक 200 जरूरतमंदों तक पहुंचाया. इसके साथ ही एक हेल्पलाइन नंबर- 7415620643 भी जारी किया. वहीं, अल रकीब सोसायटी ने इकबाल मैदान के नजदीक रोटी बैंक का काउंटर खोला है. यहां व्यक्तिगत स्तर पर लोग घर में बचा खाना, जमा करने आते हैं. संस्था के प्रमुख मो. यावर खान बताते हैं कि वह समाज के लोगों से हर मीटिंग में एक ही बात कहते हैं कि खाना फेंके नहीं, बल्कि जरूरतमंदों तक पहुंचाने के लिए हमें दे दें. इसी अपील का असर है कि रोज औसतन खाने के 125 पैकेट रोटी बैंक काउंटर पर जमा होते हैं.

जमात के खाने में बनता 100 लोगों का खाना

यावर खान ने आगे बताया कि दाऊदी बोहरा समाज के जमात खाना में रोजाना 100 लोगों की जरूरत का खाना बनता है. इसके अलावा समाज के लोगों के घर से भी यहां खाना आता है. इससे जमात खाने में रोज औसतन 30 लोगों का खाना अलग-अलग मस्जिद में बच जाता है. इस बचे हुए खाने को बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन के फुटपाथ पर भूखे सोने वालों के बीच बांटा जाता है. इसकी निगरानी समाज की दाना कमेटी करती है.

गायों का भी रखते ध्यान

यह सामाजिक संस्थाएं मानव सेवा के साथ-साथ गौसेवा भी करती हैं. नेहरू नगर स्थित करुणाधाम आश्रम प्रबंधन गायों का खासा ध्यान रखते हैं. आश्रम की वैन इलाके में लोगों के घरों से रसोई की पहली रोटी और बचा हुआ खाना इकट्‌ठा किया जाता है. इस खाने को आश्रम द्वारा संचालित गौशाला में गायों को खिलाया जाता है. आश्रम की गौशाला में करीब 250 गाय हैं.

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