हिन्दू धर्म में है लाल रंग का विशेष महत्व, जानें खास बातें

रंगों का हमारे जीवन में बहुत महत्व है। हिंदू धर्म (Hindu Religion) में लाल रंग (Red Colour) का बहुत महत्व है, बात चाहे पूजन के दौरान भगवान की मूर्ति के नीचे वस्त्र बिछाने की हो या फिर विवाहित महिला की लाल रंग की साड़ी और लाल चूड़ियां की हो हर जगह इस रंग का अपना महत्व है । लाल रंग उत्साह, सौभाग्य, उमंग, साहस और नवजीवन का प्रतीक है। प्रकृति में भी लाल रंग या उसके ही रंग समूह के फूल अधिक पाए जाते हैं। मां लक्ष्मी को लाल रंग प्रिय है। मां लक्ष्मी लाल वस्त्र पहनती हैं और लाल रंग के कमल पर शोभायमान रहती हैं। मां दुर्गा के मंदिरों में आपको लाल रंग की ही अधिकता दिखाई देगी। लाल के अलावा हिंदू धर्म में पीले और नीले रंग को भी खासी प्रमुखता दी गई है. इन्हीं तीन रंगों में हरा, केसरिया, नारंगी आदि रंग समाए हुए हैं। इनकी अहमियत को ऐसे भी समझ सकते हैं कि पंच तत्वों में से एक अग्नि की लौ में भी यही तीन रंग नजर आते हैं। वैज्ञानिक शोध और मनोवैज्ञानिक (scientific research and psychology) अध्ययनों से पता चलता है कि लाल रंग सकारात्मक (red color positive) भावनाओं को बढ़ाता है और लाल रंग के कपड़े पहने महिलाओं को पुरुषों की आंखों के लिए आकर्षक माना जाता है। यह मंगल ग्रह (Mars) का रंग है। आईए जानते हैं कि लाल रंग की क्या खात बातें हैं।
लाल रंग उग्रता का भी प्रतीक (color also symbolizes fierceness) है लिहाजा जिन लोगों को क्रोध ज्यादा आता है, उन्हें लाल रंग के कपड़े कम पहनने की सलाह दी जाती है।
राम भक्त हनुमान (Ram Bhakt Hanuman) को भी लाल और सिन्दूरी रंग प्रिय हैं इसलिए उन्हें सिन्दूर अर्पित किया जाता है।
हिन्दू धर्म में लाल रंग को सुहाग का रंग माना गया है, इसलिए विवाहित महिलाएं (married women) लाल रंग की साड़ी और लाल सिंदूर लगाती हैं।
यहां तक कि लाल रंग का संबंध प्रकृति (Nature) से भी है। आप देखेंगे तो पाएंगे लाल रंग या उससे मेल खाते रंगों के ही फूल सबसे ज्यादा पाए जाते हैं।
लाल और केसरिया रंग सूर्योदय और सूर्यास्त (Sunrise and sunset) के भी रंग है।
मां दुर्गा (Maa Durga) के मंदिरों में भी लाल रंग का उपयोग सबसे ज्यादा किया जाता है।
कहा जाता है कि यह रंग चिरंतन, सनातनी, पुनर्जन्म (rebirth) की धारणाओं को बताने वाला रंग है।
हिंदू धर्म में विवाह के समय दूल्हा-दुल्हन के शादी के जोड़े में लाल रंग को ही प्रमुखता दी जाती है। इस रंग को उनके भावी जीवन में आने वाली खुशियों से जोड़ा जाता है।
सुहाग, खुशी के अलावा केसरिया रंग त्याग, बलिदान, शौर्य, वीरता, ज्ञान, शुद्धता और सेवा का भी प्रतीक है। चाहे राम, कृष्ण और अर्जुन (Rama, Krishna and Arjuna) के रथों का ध्वज हो या शिवाजी की सेना का ध्वज हो, सभी का रंग केसरिया ही था।
सनातन धर्म (eternal religion)साधु-संन्यासी भी केसरिया रंग के वस्त्र ही पहनते हैं। यह उनके मोक्ष के मार्ग पर चलने के संकल्प को दर्शाता है। भगवा वस्त्रों को संयम, संकल्प और आत्मनियंत्रण का भी प्रतीक माना गया है।