धर्म

देवउठनी एकादशी के दिन करें विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ, मिलेगी कष्टों से मुक्ति

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को देवउठनी एकादशी (Devuthani Ekadashi 2021) के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि आज के दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) चार माह की निद्रा के बाद जागते हैं इसलिए इसे देवोत्थान एकादशी (Dev Uthana Ekadashi 2021) या प्रबोधनी एकादशी (Prabodhani Ekadashi 2021) के नाम से जाना जाता है। कहते हैं कि इस दिन से चतुर्मास समापत हो जाता है। आज के दिन भगवान विष्णु पाताल लोक में चार महीने की निद्रा के बाद जागकर अपना कार्यभार संभालते हैं । सृष्टि के पालनहार विष्णु भगवान की पूजा के लिए एकादशी का दिन काफी अच्छा माना जाता है। ऐसे में विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ अत्यंत फलदायक है. विष्णु सहस्त्रनाम में भगवान विष्णु के एक हजार नाम दिए गए हैं। वहीं अगर आपकी कुंडली में बृहस्पति नीच राशि में हो, या बहुत कमजोर हो तो आपको विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ जरूर करना चाहिए। आइए आपको बताते हैं इसके बारे में।

भीष्म पितामह ने बताई थी इसकी महिमा
माना जाता है कि महाभारत के समय में जब भीष्म पितामह बाणों की शैया पर लेटकर अपनी मृत्यु के लिए सही समय का इंतजार कर रहे थे, तब युधिष्ठिर ने उनसे ज्ञान पाने की इच्छा जाहिर की। युधिष्ठिर ने पूछा कि ऐसा कौन है जो सभी जगह व्याप्त है और जिसे सर्वशक्तिशाली माना जाए, जो हमें इस भवसागर से पार करा सके। इसका जवाब देते हुए भीष्म पितामह ने उनके समक्ष विष्णु सहस्त्रनाम का वर्णन किया था।

विष्णु सहस्त्रनाम का महत्व
इसका महत्व समझाते हुए भीष्म पितामह ने कहा था कि विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ युगों-युगों तक फलदायी सिद्ध होगा। जो भी इसे नियमित रूप से पढ़ेगा या सुनेगा, उसके हर तरह के कष्ट दूर हो जाएंगे। विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करने वालों पर दुर्भाग्य, खतरों, काला जादू, दुर्घटनाओं और बुरी नजर का असर नहीं होता।

ऐसे करें पाठ
सुबह जल्दी स्नानादि से निवृत्त होने के बाद पीले वस्त्र पहनें. भगवान विष्णु को पीले पुष्प, चंदन, पीले अक्षत और धूप-दीप अर्पित करें। इसके बाद उन्हें गुड़ और चने का भोग लगाएं. फिर उनके समक्ष बैठकर विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। विष्णु सहस्त्रनाम में भगवान विष्णु को शिव, शंभु और रुद्र जैसे नामों से भी पुकारा गया है, जो ये स्पष्ट करता है कि शिव और विष्णु वास्तव में एक ही हैं।

 

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