CM शिवराज ने की गो-संवर्धन बोर्ड की समीक्षा, सख्त लहजे में अधिकारियों से बोले यह
सड़कों या बाहर घूमते गौ-वंश के कारण लोगों को असुविधा होती है। इसको रोकने के लिए प्रयास किए जाना जरूरी हैं। सालरिया गौ-अभयारण्य को सफलता प्राप्त हुई है।
भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को गौ-संवर्धन बोर्ड की समीक्षा की। इस दौरान वह सख्त भी नजर आए। सीएम ने अधिकारियों से साफ शब्दों में कहा कि प्रदेश की सड़कों या बाहर कोई भी गो-वंश नहीं दिखना चाहिए। इसके लिए समयबद्ध कार्यक्रम बना कर गौ-शालाओं का निर्माण पूरा किया जाए। इस दौरान उन्होंने जनता से भी आग्रह किया कि सेवा के भाव से गौ-शालाओं को तैयार करने के लिए वह आगे आएं। बैठक में मप्र गो-संवर्धन बोर्ड के अध्यक्ष स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरि, मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।
सीएम ने आगे कहा कि सड़कों या बाहर घूमते गौ-वंश के कारण लोगों को असुविधा होती है। इसको रोकने के लिए प्रयास किए जाना जरूरी हैं। सालरिया गौ-अभयारण्य को सफलता प्राप्त हुई है। सालरिया गौ-अभयारण्य की तरह अन्य स्थानों पर भी प्रयोग शुरू किए जाएं। उन्होंने जबलपुर में यह प्रयोग करने के निर्देश दिए। अन्य प्रस्तावों का परीक्षण भी किया जाए। बसामन मामा में भी गौ-वंश रखे जाने का मॉडल सफल है। बाकी जगह भी प्रयोग किए जाएं।
गो-तस्करों पर रखी जाए नजर
शर्तें पूरी होने पर गौ-शालाओं को खोलने की अनुमति दी जाए। मृत गो-वंश एवं अन्य प्राणियों का सम्मान के साथ निष्पादन किया जाए। गौ-तस्करों पर नजर रखी जाए। गाय का गोबर और गौ-मूत्र से कई तरह के उत्पाद बनते हैं। प्राकृतिक खेती को बढ़ावा मिलेगा। गौ-शालाओं को विभिन्न उत्पादों की बिक्री के द्वारा आर्थिक रूप से सशक्त किया जाए। वेस्ट-टू-बेस्ट के सिद्धान्त को अपनाया जाए। पशुपालक अपने गौ-वंश को बांध कर रखें, बाहर न छोड़ें। गौ-उत्पादों की खरीदी के लिए कार्य-योजना बने।
मप्र में हैं 1.87 करोड़ गो-वंश
बैठक में सीएम को बताया गया कि प्रदेश में पशु संगणना 2019 के अनुसार 1. 87 करोड़ गो-वंश हैं। प्रदेश में कुल निराश्रित गौ-वंश 8 लाख 54 हजार हैं। निराश्रित गौ-वंश के लिए स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा 627 गौ-शालाओं का संचालन किया जा रहा है। इसमें लगभग 1 लाख 84 हजार गौ-वंश हैं। मनरेगा में निर्मित 1 हजार 135 गौ-शालाओं में 93 हजार गौ-वंश हैं। साथ ही 1995 गौ-शालाएं निमार्णाधीन एवं संचालन के लिए तैयार हैं। इनकी क्षमता 2 लाख गौ-वंश की है। शेष 5 लाख 60 हजार गौ-वंश की व्यवस्था की जाना है।