प्रोजेक्ट चीता के प्रयासों को लगा बड़ा झटका: ज्वाला के दो और शावकों ने तोड़ा दम
दो शवकों की मौत के साथ ही अफ्रीकी देशों से लाए गए चीतों में से अब तक छह की मौत हो चुकी है। इनमे तीन शावक और तीन वयस्क चीता शामिल हैं। अब कूनो नेशनल पार्क में अब कुल चीतों की संख्या 18 बची है, जिनमें 17 वयस्क चीता और एक शावक शामिल है।

श्योपुर। कूनो नेशनल पार्क से एक और दुखद खबर सामने आई है। यहां मादा चीता ज्वाला से जन्मे 4 शावकों में से दो और शावक की मौत हो गई है। इससे पहले मंगलवार को भी एक शावक की मौत हुई थी। इन शावकों की मौत के बाद ज्वाला द्वारा जन्मे गए चार शावकों में से सिर्फ एक ही शावक शेष बचा है। चीता ज्वाला ने 27 मार्च को चार शावकों को जन्म दिया था। शुरूआती जानकारी के अनुसार इन शावकों की मौत कुपोषण की वजह से हुई है।
दो शवकों की मौत के साथ ही अफ्रीकी देशों से लाए गए चीतों में से अब तक छह की मौत हो चुकी है। इनमे तीन शावक और तीन वयस्क चीता शामिल हैं। अब कूनो नेशनल पार्क में अब कुल चीतों की संख्या 18 बची है, जिनमें 17 वयस्क चीता और एक शावक शामिल है। पीसीसीएफ जेएस चौहान ने बताया कि कूनो नेशनल पार्क में एक शावक चीते की मौत के बाद 3 अन्य शावकों की स्थिति भी ठीक नहीं लग रही थी, इसे ध्यान में रखते हुए कूनो वन्य प्राणी चिकित्सकों की देखरेख में तीनों शावकों को रखा गया था। अधिक तापमान होने और लू के चलते इनकी तबीयत खराब होना बताई गई है। गुरुवार को उपचार के दौरान इनमें से दो की मौत हो गई है। एक की हालत अभी भी गंभीर बनी हुई है।
23 मई को हुई थी एक शाव की मौत
गौरतलब है कि 23 मई को सुबह मादा चीता ज्वाला के एक शावक की मृत्यु हुई। इसके बाद शेष तीनों शावक एवं मादा चीता ज्वाला की पालपुर में तैनात वन्यप्राणी चिकित्सकों की टीम एवं मॉनिटरिंग टीम दिनभर निगरानी करती रही। दिन में चीता ज्वाला को सप्लीमेंट फूड दिया गया। निगरानी के दौरान शेष तीन शावकों की स्थिति सामान्य नहीं लगी। जिसके बाद इनके उपचार के लिए नामीबिया एवं साउथ अफ्रीका के सहयोगी चीता विशेषज्ञ एवं चिकित्सकों की सलाह ली जा रही थी। इसके बावजूद दो शावकों की मौत हो गई।
कमजोर थे चीता शावक
सभी चीता शावक कमजोर, सामान्य से कम वजन एवं अत्यधिक डिहाइड्रेटेड पाए गए। मादा चीता ज्वाला पहली बार मां बनी है। चीता शावकों की उम्र लगभग 8 हफ्ते है। इस अवस्था में चीता शावक सामान्यत: जिज्ञासु होते हैं। मां के साथ लगातार चलते हैं। चीता शावकों ने अभी लगभग 8-10 दिन पूर्व ही मां के साथ घूमना शुरू किया था। चीता विशेषज्ञों के अनुसार सामान्यत: अफ्रीका में चीता शावकों का जीवित रहने का प्रतिशत कम होता है। स्टैंडर्ड प्रोटोकॉल के अनुसार पोस्टमॉर्टम की कार्यवाही की जा रही है।
कब-कब हुई चीतों की मौत
- 26 मार्च को नामीबिया से लाई गई मादा चीता साशा की मौत
- 23 अप्रैल को साउथ अफ्रीका से लाए गए चीता उदय की मौत
- 9 मई को मादा चीता दक्षा की मौत
- 23 मई को ज्वाला के एक शावक की मौत
- 25 मई को ज्वाला के दो और शावकों की मौत
कूनो में अब 18 चीते बचे
पहली खेप में नामीबिया से 8 चीतों को कूनो नेशनल पार्क लाया गया था। 17 सितंबर को अपने जन्मदिन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन्हें बाड़े में रिलीज किया था। इसके बाद 18 फरवरी को दक्षिण अफ्रीका से 12 और चीते कूनो लाए गए थे। नामीबिया से लाई गई मादा चीता ज्वाला ने 4 शावकों को जन्म दिया था। पहले तीन चीतों और फिर एक एक कर 3 चीता शावकों की मौत हो गई। जिसके बाद कूनो में चीतों की संख्या अब 18 रह गई है।