धर्म

धनतेरस के दिन रखा जाएगा कार्तिक मास का प्रदोष व्रत,जानें तिथि

हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। हर माह की त्रयोदशी तिथि भगवान शिव को समर्पित है। इस दिन शिव भक्त प्रदोष व्रत रख भगवान को प्रसन्न करते हैं। मान्यता है कि भक्ति भाव के साथ प्रदोष व्रत रखने वालों को सभी पापों से मुक्ति मिलती है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं।मंगलवार के प्रदोष व्रत को भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है। प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की विधि विधान से पूजा की जाती है। प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में करने की परंपरा है। प्रदोष काल सूर्यास्त के बाद और रात्रि के पूर्व के समय को कहते हैं। प्रदोष व्रत हर मास में दो बार त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। मंगल ग्रह का ही एक नाम भौम है।  मान्यता है कि ये व्रत हर तरह के कर्ज से छुटकारा (Relief From All debt) दिलाता है।  अगर कोई व्यक्ति कर्ज से मुक्ति पाना चाहता है, तो उसे भौम प्रदोष व्रत नियमों अनुसार रखने से लाभ होगा. भौम प्रदोष व्रत में भगवान शिव के साथ-साथ भगवान हनुमान का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।

प्रदोष व्रत 2021: तिथि और शुभ मुहूर्त

दिनांक: 2 नवंबर, मंगलवार

त्रयोदशी तिथि शुरू – 02 नवंबर, 2021 को सुबह 11:31

त्रयोदशी तिथि समाप्त – 09:02 सुबह 03 नवंबर, 2021

प्रदोष पूजा मुहूर्त – 05:35 सायं से 08:11 सायं तक

दिन प्रदोष समय – 05:35 सायं से 08:11 सायं

भौम प्रदोष व्रत 2021
हिन्दी पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ 02 नवंबर दिन मंगलवार को दिन में 11 बजकर 31 मिनट से हो रहा है। इसका समापन 03 नवंबर को प्रात: 09 बजकर 02 मिनट पर होगा। प्रदोष व्रत की पूजा त्रयोदशी तिथि के प्रदोष काल में होती है, ऐसे में प्रदोष व्रत 02 नवंबर को रखा जाएगा।

प्रदोष व्रत 2021: महत्व
हिंदू शास्त्रों के अनुसार, जो लोग प्रदोष व्रत का पालन करते हैं, भगवान शिव और मां पार्वती उन पर सभी आध्यात्मिक और सांसारिक इच्छाओं की पूर्ति के साथ आशीर्वाद देते हैं. इतना ही नहीं अगर कोई भक्त किसी बड़े रोग से ग्रसित हो तो वो ठीक होने लगता है।

प्रदोष व्रत 2021: पूजा विधि

– प्रदोष व्रत पूजा शाम में की जाती है, जो संध्याकाल है।
– कुछ भक्त 24 घंटे बिना सोए उपवास करते हैं और कुछ भी खाने से परहेज करते हैं और शाम को प्रसाद खाकर अपना उपवास तोड़ते हैं।
– कुछ भक्त केवल पूजा करते हैं और उपवास नहीं करते हैं, वो सुबह जल्दी स्नान करते हैं और शाम को मूर्तियों के सामने दीपक जलाते हैं और नैवेद्य चढ़ाते हैं।
– भक्त अभिषेक के लिए शिव मंदिरों में जाते हैं।
– शिवलिंग को घी, दूध, शहद, दही, गंगाजल आदि से स्नान कराकर ‘ऊं नमः शिवाय’ का जाप करते हुए अभिषेक किया जाता है।
– इस दिन महामृत्युंजय मंत्र, शिव चालीसा और अन्य मंत्रों का पाठ किया जाता है।
भगवान शिव को देवों के देव कहा गया है। उनकी आराधना का आशय है मनचाहे फल की प्राप्ति। जो भी भक्त भगवान शिव का सच्चे मन से ध्यान करता है और उनकी विधिवत पूजा-अर्चना करता है, उनकी सारी मनोकामनाएं स्वत: ही पूर्ण हो जाती है।
भगवान शिव को महाकल्याणकारी कहा गया है। वो सभी का कल्याण करते हैं। भगवान भोलेनाथ अपनी कृपा सबों पर रखते हैं।

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