
नई दिल्ली : चीन को जम्मू-कश्मीर में जी-20 टूरिज्म वर्किंग ग्रुप की मीटिंग का विरोध करना भारी पड़ गया है। भारत ने चीन को इस संबंध में करारा जवाब दिया है। जी-20 को लेकर उठे सवालों के बीच पीएम मोदी ने तायबान और साउन चाइना सी विवाद का जिक्र किया है। जिसकी वजह से ड्रैगन की बोलती बंद हुई है। दरअसल, 12 दिन पहले अचानक ही साउथ चाइना सी में चाइनीस वॉरशिप्स की एक्टिविटी बढ़ गई थी। चीन के बड़े-बड़े जहाज और एयरक्राफ्ट यहां जमा होने लगे। सवाल उठने लगे कि क्या चीन ब्राउंड्री विवाद को लेकर दूसरे देशों के खिलाफ एग्रेसिव एक्शन लेने वाला है लेकिन जब इसकी जांच की गई तो पता चला कि वह साउथ चीन में हो रही पहली इंडियन नेवल एक्सरसाइज के बारे में पता लगा रहा था।
‘भारत अपनी अखंडता की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध’
एक्सरसाइज को लेकर जासूसी करने के लिए चीन ने अपनी वॉरशिप को एक्टिव किया था। इन सबके बीच हिरोशिमा में पीएम मोदी ने मीडिया को एक इंटरव्यू दिया। इसमें मोदी से साउथ चाइना सी और ईस्ट चाइना सी में हो रही चीनी सेना के विस्तार और ताइवान की स्थिति पर भारत का रुख जानने के लिए सवाल किए गए थे। मोदी ने कहा था कि भारत अपनी संप्रभुता और अखंडता की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।
चीन को जवाब देने के लिए किया बांग्लादेश का जिक्र
पीएम मोदी ने आगे कहा कि इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए बांग्लादेश के साथ रिश्तों को सुधारा है। असल में मोदी का ये बयान ऐसे समय पर आया है जब चीन ने कश्मीर में होने वाली जी-20 बैठक को लेकर अपनी टांग अड़ाने की कोशिश की है। इससे पहले भारतीय विदेश मंत्रालय कि ओर से कहा गया था कि भारत अपने किसी भी क्षेत्र में बैठक करने के लिए पूरी तरह से स्वतंत्र है।