पेगासस जासूसी कांड की सुप्रीम कोर्ट में दस्तक, अगले हफ्ते होगी सुनवाई
ताजा खबर : नई दिल्ली। पेगासस जासूसी कांड (Pegasus spy scandal) का मामला अब सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में दस्तक दे गया है। जिसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में अगले हफ्ते सुनवाई होगी। आज इस मामले को चीफ जस्टिस एनवी. रमना (Chief Justice NV. Ramna) की बेंच के सामने उठाया गया। जिस पर चीफ जस्टिस ने कहा है कि वह अगले हफ्ते इस मामले की सुनवाई करेंगे। वरिष्ठ पत्रकार एन राम और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल (Senior Advocate Kapil Sibal) ने शुक्रवार को चीफ जस्टिस रमना के सामने पेगासस जासूसी कांड का उठाया। प्रधान न्यायाधीश एन वी रमन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष पेश कपिल सिब्बल ने कहा कि कथित जासूसी के व्यापक असर को देखते हुए इस पर सुनवाई की जरूरत है।
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया कि कथित जासूसी भारत में विरोध की स्वतंत्र अभिव्यक्ति (free expression) को दबाने और हतोत्साहित करने के एजेंसियों एवं संगठनों के प्रयास की बानगी है। बता दें कि कि अंतरराष्ट्रीय मीडिया (international media) द्वारा इस मामले का खुलासा किया गया था। इजरायली सॉफ्टवेयर पेगासस (israeli software pegasus) की मदद से भारत समेत दुनिया के कई देशों के पत्रकारों, नेताओं और अन्य हस्तियों को निशाना बनाया गया था। इस दौरान फोन हैकिंग की बात सामने आई थी।
गौरतलब है कि एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया संघ ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 300 से अधिक सत्यापित भारतीय मोबाइल फोन नंबरों को इजराइल के पेगासस स्पाइवेयर के जरिए निगरानी के लिए संभावित लक्ष्यों की सूची में रखा गया। यह अर्जी 27 जुलाई को दायर की गई थी, जिसमें किसी मौजूदा या फिर रिटायर्ड जज की अगुवाई में मामले की जांच कराने की मांग की गई है।
यही नहीं जनहित याचिका में यह मांग भी की गई है कि सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार को आदेश दे कि वह बताए कि आखिर उसने पेगासस स्पायवेयर का इस्तेमाल करने का आदेश लिया है या नहीं। याचिका में कहा गया है कि यह मिलिट्री स्पायवेयर (military spyware) है और इसका आम नागरिकों पर इस्तेमाल होना स्वीकार नहीं किया जा सकता। अर्जी में कहा गया है कि इस तरह की जासूसी निजता के अधिकार का उल्लंघन है, जिसे संविधान के आर्टिकल 14 में मूल अधिकार बताया गया है। इसके अलावा अभिव्यक्ति और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकारों का भी यह हनन है।